मैदानी जिलें में सेवा अवधि पूर्ण होने के बाद भी जिला नही छोड़ रहे एक इंस्पेक्टर व 16 एसआई
तबादला समिति की उड़ रही धज्जियां, मैदान में 8 वर्ष की सेवा के बाद पर्वतीय जिले में होनी थी तैनाती
अनिल सागर
ऊधमसिंहनगर । उत्तराखण्ड पुलिस तबादला समिति के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुये ऊधम सिंह नगर जिले में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक उपनिरीक्षक व एक निरीक्षक जिले में सेवा अवधि पूर्ण करने के बाद भी जिले में डटे हुये है। जबकि ऐसे निरीक्षक एवं उपनिरिक्षक मैदानी जिले में 8 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने के बाद पहाड़ी जिलों में तबादला होने के बाद भी जिला नही छोड़ रहें है। इनमें से अधिकतर उपनिरीक्षक थानाध्यक्ष और निरीक्षक कोतवाल की कुर्सी संभाल रहें है। ऐसे में पुलिस तबादला समिति पर सवाल उठ रहें है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड पुलिस विभाग में अराजपत्रित पुलिस अधिकारी /कर्मचारियों के स्थानान्तरण के सम्बन्ध में पुलिस अधिष्ठान समिति द्वारा वर्ष 2020 में निरीक्षक व उपनिरिक्षक स्तर के अधिकारियों के स्थानान्तरण की जो नीति बनाई गई थी। इस समिति की जिलें में किस तरह धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिला ऊधम सिंह नगर में ही 8 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने के बावजूद 1 निरीक्षक व 16 उपनिरिक्षक पर्वतीय जनपद में स्थानान्तरण होने के बावजूद जिला नही छोड़ रहें है। जिन निरीक्षक एवं उपनिरीक्षक ने मैदानी जिले में सेवा अवधि पूर्ण होने के बावजूद जिला नही छोड़ा है, उनका स्थानान्तरण 1 वर्ष या 6 माह की अवधि के लिए स्थगित कर दिया गया है। यही नही ऐसे निरीक्षक एव उपनिरीक्षक जिले में कोतवाली व थाने के प्रभारी के पद पर भी बने हुए है। जबकि उत्तराखण्ड पुलिस के नियमानुसार मैदानी जिलें देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर , नैनीताल में 8 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले निरीक्षक एव उपनिरीक्षक व कर्मचारी का स्थानान्तरण पर्वतीय जिलें में किया जायेगा जबकि टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, चम्पावत, अल्मोड़ा ,पिथौरागढ़ रूद्रप्रयाग आदि पर्वतीय जिलों में एक बार की नियुक्ति अवधि 4 वर्ष होगी। इसी तरह मुख्य आरक्षी एवं आरक्षी की सेवा अवधि का प्रावधान भी दिया गया है। यह स्थिति ऊधम सिंह नगर की है, इसी तरह अन्य मैदानी जिलें नैनीताल, हरिद्वार व देहरादून में भी कई निरीक्षक व उपनिरिक्षक सेवा अवधि पूर्ण होेने के बाद जिला नही छोड़ रहें है। ऐसा नही है कि मैदानी जिले का मोह पुलिस विभाग में ही है , ऐसा अन्य विभागों में भी दिखाई देता है। कई मामलों में बीमारी व अन्य कारण स्थानान्तरण स्थगित होना माना जाता है। लेकिन अधिकतर मामलों में मैदानी मूल का मोह सामने आता है। वही ऐसे मामलों में सिफारिश भी बड़ी वजह है। पुलिस अधिक्षक मनोज कत्याल के मुताबिक एक निरिक्षक का एक वर्ष एवं 16 उप निरीक्षक का 6 माह के लिए स्थानान्तरण उच्चधिकारी के आदेश पर स्थागित किया गया है।
नही त्याग पा रहे मैदानी मूल का मोह
ऊधमसिंहनगर । जिले में सेवा अवधि पूर्ण होने के बावजूद निरीक्षक व उपनिरिक्षक मैदानी मूल का मोह नही त्याग पा रहंे है। पर्वतीय जिलों में जाने से बचने के लिए सिफारिश व सेंटिग गेटिंग, मेडिकल का खेल भी खेला जाता है। ऐसे में गंभीर बीमारियों पर तो स्थानान्तरण रोकना जायज है,लेकिन कई अधिकारी व कर्मचारी पर्वतीय जिलों में सेवा देने से बचते है, यही कारण है कि मैदानी जिलों का मोह उन्हें अपनी और खींचता है। यही हाल अन्य सरकारी विभागों का भी है।
कोतवाल और प्रभारी हैं निरीक्षक व उप निरिक्षक
ऊधमसिंहनगर । जिले में सेवा अवधि पूर्ण करने वाले एक निरीक्षक एवं चार निरीक्षक थाने व कोतवाली का प्रभार संभाल रहंे है। एसएसपी कार्यालय के मुताबिक खटीमा कोतवाली में तैनात नरेश चौहान की सेवा सेवा अवधि जुलाई 2022 को पूरी हो चुकी थी लेकिन उनका स्थानान्तरण जुलाई 2023 तक स्थगित कर दिया गया है। इसी तरह 16 उप निरिक्षक के स्थानान्तरण 6 माह के लिए स्थगित किये गये है, जिनमें चार उप निरीक्षक कुण्डा, पुलभट्टा, नानकमत्ता, केलाखेड़ा थाने में प्रभारी है। जिनकी जिले में सेवा अवधि पूर्ण हो चुकी है। इसके अलावा अन्य उपनिरीक्षक भी जगह-जगह तैनात है। हलांकी इनकी 6 माह की अवधि कब पूर्ण हो रही है, ये जानकारी नही मिली है। फिलहाल सुत्रो की माने तो 6 माह की अवधि पूर्ण होने के बाद मैदानी जिला उप निरिक्षकों केा छोड़ना पड़ेगा।