परीक्षा भर्ती घोटाले में घिरे यूकेएसएससी के चेयरमैन एस राजू ने कार्यकाल पूरा होने से पहले पद से दिया इस्तीफा
मेरा किसी नेता से नहीं है रिश्ताः आयोग की जांच पर कोचिंग इंस्टीटड्ट और नकल माफिया का दबाव,पूर्व सीएम के बयान पर किया पलटवार
देहरादून(उद संवाददाता)। वीपीडीओ और वीडिओ के पदों पर स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कर अभियर्थियों से लाखों के भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने से चर्चाओं में चल रहे उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस. राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। एस. राजू ने कहा कि परीक्षा के दौरान हुई गड़बड़ी की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने यह निर्णय लिया है। कार्यकाल पूरा होने से पहले त्यागपत्र देने वाले एस. राजू आयोग के दूसरे अध्यक्ष हैं। इससे पहले आयोग के प्रथम अध्यक्ष आरबीएस रावत ने भी ग्राम विकास अधिकारी के पदों की परीक्षा में हुई गड़बड़ी के बाद त्यागपत्र दे दिया था। उधर मुख्य सचिव डा. एसएस संधु ने एस. राजू का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। इस घटनाक्रम के बाद आयोग की भविष्य में करीब सात हजार पदों के लिए होने वाली आठ भर्ती परीक्षाएं भी खटाई में पड़ गई हैं। आयोग के मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अध्यक्ष एस. राजू ने त्यागपत्र की घोषणा करने के साथ ही बड़ा खुलासा भी किया। उन्होंने कहा कि चयन आयोग पर कोचिंग इंस्टीटड्ढूट और नकल माफिया का दबाव है। इतना ही नहीं यूकेएसएससी के चेयमैन ने प्रदेश सरकार की जीरो टाॅलरेस की नीति पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिये है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि इस पूरे प्रकरण पर सरकार मौन क्यों है? एस. राजू ने कहा कि शिक्षा से जुड़े परीक्षा माफिया आयोग को अपनी गिरफ्त में लेना चाहते हैं। इसलिए वह आयोग को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि आयोग की भर्ती परीक्षा कोचिंग माफिया के निशाने पर हैं। वह नहीं चाहते कि आयोग भर्ती परीक्षाओं को आनलाइन करवाए। यही माफिया पहले भर्ती परीक्षा में नकल को अंजाम देते हैं और पकड़े जाने पर आयोग को बदनाम करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकार के कार्यों को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि भर्ती परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी की जानकारी एक पूर्व सदस्य को भी है, लेकिन वह चुप्पी साधे हुए हैं। एस. राजू ने कहा कि वह पिछले कुछ समय से आहत हैं। कई लोग भर्ती परीक्षा में उनपर मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं। अपनी बात रखते हुए भावुक हुए सेवानिवृत्त आइएएस ने कहा कि मेरे सिर पर किसी नेता का हाथ नहीं है, मैंने ईमानदारी और पूरी पारदर्शिता से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं को आयोजित किया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चयन आयोग को भंग करने संबंधी बयान पर नाराजगी जताई। कहा कि मेरे कार्यकाल में अब तक 88 भर्ती परीक्षाएं आयोजित की गईं, इनमें से तीन से चार परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आई। इनके पीछे भी नकल माफिया का हाथ रहा। पुलिस को ऐसे माफिया पर कड़ी कार्रवाई कर उन्हें सलाखों के पीछे डालने चाहिए। उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भर्ती को लेकर कई बार राजनीतिक दबाव भी आया, लेकिन उन्होंने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। सरकार चाहे तो उनकी संपत्ति की जांच करवा सकती है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस. राजू ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चयन आयोग को भंग करने संबंधी बयान पर नाराजगी जताई। कहा कि मेरे कार्यकाल में अब तक 88 भर्ती परीक्षाएं आयोजित की गईं, इनमें से तीन से चार परीक्षाओं में गड़बड़ी सामने आई। इनके पीछे भी नकल माफिया का हाथ रहा। पुलिस को ऐसे माफिया पर कड़ी कार्रवाई कर उन्हें सलाखों के पीछे डालने चाहिए। उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भर्ती को लेकर कई बार राजनीतिक दबाव भी आया, लेकिन उन्होंने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने राज्य सरकार के 13 विभागों के 916 स्नातक स्तर के पदों के लिए चार एवं पांच दिसंबर 2021 को भर्ती कराई थी। इसमें एक लाख 46 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परिणाम घोषित होने से पहले यह परीक्षा विवादों में आ गई थी। मुख्यमंत्री के आदेश पर उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही है। अब तक जांच में कई चैंकाने वाले जानकारी सामने आई है। इसमें चयन आयोग के कर्मचारियों के साथ ही पुलिस, न्यायिक कर्मचारी, प्रिंटिंग प्रेस और परीक्षा का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी की मिली भगत सामने आई है। 13 आरोपितों को एसटीएफ अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।
नकल माफियाओं के सामने घुटने नहीं टेकेंगे,धांधली में सफेदपोश लोग भी शामिल!
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष और पूर्व एसीएस रहे एस राजू ने अचानक इस्तीफा देकर आयोग के सभी कर्मचारियों को चैंका दिया। उन्होंने यूकेएसएससी पेपर लीक मामले में नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया है। एस राजू जब अपने कार्यालय से इस्तीफा देकर निकले तो उनकी आंखें नम थी। कार्यालय से इस्तीफा देकर निकले एस राजू ने जाते-जाते अपने कर्मचारियों से कहा कि वे बेईमानी करके नहीं जा रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कुछ सफेदपोश लोगों का भी जिक्र किया जो इस धांधली में शामिल हैं। पेपर लीक के मामले में इस्तीफा देने के बाद आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने कहा कि वह जानते हैं कि इसमें राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों का भी हाथ है, लेकिन वह अभी इस बारे में खुलकर नहीं कह सकते। उन्होंने कहा पुलिस की जांच यदि ठीक प्रकार से होती है तो उन राजनीतिक लोगों का भी नाम सामने आने में देर नहीं लगेगी। राजू ने कहा उन्होंने एसटीएफ को राजनीतिक पृष्ठभूमि के उन सारे लोगों की जानकारी दी है जो कि इस मामले में संदिग्ध पृष्ठभूमि रखते हैं। इसके अलावा एस राजू ने कहा उन्होंने अपने कार्यकाल में जो नकल और कोचिंग माफिया है, उन्हें गलत तरीके से सरकारी नौकरियों में नहीं घुसने दिया। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा हमारे देश में ईमानदारी से काम करना सबसे मुश्किल काम है। उन्होंने बताया कि परीक्षा में हुए पेपर लीक की शिकायत आयोग के पास काफी पहले से आ रही थी, जिसके आधार पर आयोग ने जांच कराई। आयोग ने ही इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाया। राजू ने कहा उन्हें इस बात की खुशी है कि आयोग से कोई भी कर्मचारी अबतक इस मामले में संलिप्त नहीं पाया गया है। फिर भी लगातार आयोग पर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया में उनके खिलाफ बयानबाजी हो रही है। उनकी संपत्ति की जांच की बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि वो इस मामले में किसी भी तरह से पीछे हटने के लिए राजी नहीं हैं, चाहे उन्हें इसके लिए उनको अपनी नौकरी ही क्यों ना छोड़नी पड़े। उनका साफ तौर से कहना है कि जब से वो आयोग में आए हैं तब से बैकडोर एंट्री पूरी तरह से बंद हो गई है। एक ऐसा सिस्टम ईजाद किया गया है जिसके सेटिंगबाजी का खेल काफी हद तक कम हो चुका है। अब जब आयोग खुद नकल माफियाओं के खिलाफ खड़ा है तो उन पर अनर्गल टिप्पणियां की जा रही हैं। एस राजू ने बताया कि उनकी यह पूरी कोशिश है कि जिस परीक्षा में पेपर लीक हुआ है उस परीक्षा में वह बच्चे जिन्होंने पूरी मेहनत करने के बाद इस परीक्षा को पास किया है, उन बच्चों की मेहनत बर्बाद नहीं होने दी जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में सख्ती से जांच होगी। जिसके बाद बेईमानी करने वाले छात्रों को सख्त सजा मिलेगी। जिन बच्चों ने मेहनत से परीक्षा दी है उनका करियर बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। जिसको लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कुछ लोगों से भी बातचीत की है। उनका पूरा प्रयास होगा कि परीक्षा रद्द न हो। एस राजू का कहना है कि इस वत्तफ नकल माफिया और बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा भी चाहते हैं कि यह परीक्षा रद्द हो जाए। कहीं ना कहीं यह फैसला आयोग के लिए भी एक आसान फैसला था लेकिन इस फैसले के बाद पूरा मामला खत्म ही हो जाता। गौरतलब है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की आने वाले समय में सात भर्ती परीक्षाएं आयोजित होनी हैं।
भविष्य की परीक्षाओं में आशंकाओं के बादल
देहरादून। पेपर लीक के मामले सामने आने और आयोग के अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद भविष्य की परीक्षाओं में आशंकाओं के बादल छा गये है। माना जा रहा है कि राज्य की धामी सरकार भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ होने के बाद बड़ा एक्शन ले सकती है। सरकारी नौकरियों में बड़ती धांधली पर अंकुश लगाने के लिये चयन आयोग को भंग कर नये सिरे से उच्चस्तरीय आयोग का गठन किया जा जा सकता है। बहरहाल उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने कहा है कि स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा में पेपर लीक व नकल के मामले सामने आने के बाद आयोग की परीक्षा आयोजित करने वाली परीक्षा एजेंसियां आनलाईन परीक्षा आयोजित करने में फिलहाल रुचि नहीं ले रही हैं। उत्तराखंड में चयन आयोग ने 16 फरवरी 2019 को वन आरक्षी के 1218 पदों की भर्ती परीक्षा प्रदेशभर में आयोजित की थी। परीक्षा में 98 हजार से अधिक अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल हुए थे। परीक्षा समाप्त होने की शाम को देहरादून व हरिद्वार में ब्लूटूथ से नकल के मामले सामने आए थे। बाद में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की तो 12 से अधिक आरोपितों को गिरफ्तार किया था। आयोग ने हरिद्वार के उन सात परीक्षा केंद्रों की परीक्षा रद कर दी थी, जहां नकल के मामले पकड़े गए थे। एक साल बाद करीब तीन हजार अभ्यर्थियों ने दोबारा परीक्षा दी। पिछले वर्ष 12-14 को आयोग ने सहायक समीक्षा अधिकारी, लेखाकार, सहायक लेखाकार आदि के 662 पदों के लिए आनलाइन परीक्षा आयोजित की थी। परीक्षा में 18,640 अभ्यर्थी शामिल हुए। यह आनलाइन परीक्षा प्रदेशभर के केंद्रों पर हुई थी। आयोग ने छह पालियों में आयोजित परीक्षा में पूछे गए 600 सवालों पर अभ्यर्थियों व बेरोजगार संघ ने सवाल खड़े किए। जिसके बाद आयोग ने एक जांच कमेटी गठित की। कमेटी ने अपनी सिफारिश में स्वीकार किया कि परीक्षा के 600 में से 400 प्रश्न गलत हैं। कमेटी की सिफारिश के बाद आयोग ने यह परीक्षा रद कर दी। आयोग इस परीक्षा को दोबारा आयोजित करेगा।