आशा वर्करों ने महिला चिकित्सालय में किया धरना प्रदर्शन

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हल्द्वानी। महिला चिकित्सालय हल्द्वानी की समस्याओं के निराकरण और आशाओं पर अनर्गल आरोप लगाये जाने के विरुद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा महिला अस्पताल परिसर में धरना प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के बाद महिला अस्पताल की सीएमएस से वार्ता की गयी। जिसमें उन्होंने समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। तत्पश्चात चिकित्साधिकारी नैनीताल को ज्ञापन भेजा गया। धरने के माध्यम से चेतावनी दी गयी कि आशाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया गया तो फिर से आंदोलन किया जायेगा। अपने सम्बोधन में यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि, श्आशाएं कोविड से लेकर स्वास्थ्य विभाग के तमाम सर्वे, अभियान, गणना जैसे दर्जनों कामों में अपनी सेवाएं दे रही हैं उसके बावजूद भी आज तक आशायें न्यूनतम वेतन तक से वंचित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आशाओं के कार्य को विशिष्ट तौर उल्लेखनीय मानते हुए सम्मानित किया है। लेकिन महिला अस्पताल प्रशासन और जिले का स्वास्थ्य विभाग आशाओं के काम को काम नहीं समझता है और आशाओं पर बेवजह के आरोप लगाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा महिला अस्पताल हल्द्वानी में हालात यह है कि गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक अल्ट्रासाउंड टाइप टू और डाप्लर नहीं है। थोड़ा सा भी जटिल मामला सामने आने पर गर्भवती महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है और अस्पताल की अव्यवस्थाओं की जिम्मेदारी आशाओं पर डाली जा रही है। महिला अस्पताल में विभिन्न अव्यवस्थाओं के लिए आशाओं को दोषी ठहराया जा रहा जो बिल्कुल गलत है। मीडिया में लगाए गए आरोपों से आशाओं की छवि धूमिल हो रही है जिससे आशायें आहत हैं और उनका मनोबल गिरा है। इसलिये अस्पताल प्रशासन को आशाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। हल्द्वानी अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि महिला अस्पताल प्रशासन द्वारा अक्सर ही आशाओं को किसी न किसी रूप में अपमानित किया जाता है। कभी अस्पताल के गेट से होकर अंदर न आने देना, कभी मरीज के साथ अंदर न आने देना और ओपीडी में कुछ डॉक्टरों द्वारा अक्सर मरीजों के सामने ही आशाओं के प्रति अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जाना आम बात हो गयी है। कुछ डॉक्टरों द्वारा किए जा रहे इस अभद्र व्यवहार की शिकायत भी कई बार सीएमएस से की जा चुकी है। लेकिन अभी तक न तो उन डॉक्टरों के व्यवहार में कोई परिवर्तन आया न ही उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की गयी। इसलिये महिला अस्पताल प्रशासन को आशाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए निर्देशित किया जाय। उन्होंने कहा कि, श्आशाओं की मांगों को गंभीरता से लेते हुए कार्यवाही नहीं हुई तो हमें मजबूरीवश आंदोलन करने पर बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने कहा आशाओं के प्रति अपने रवैये में अस्पताल प्रशासन बदलाव करे और दिन रात स्वास्थ्य विभाग के अभियानों, सर्वे, कोविड, पल्स पोलियो जैसे कामों में जुटी आशाओं पर गलत आरोप लगाना बंद करे। आशाओं के साथ अस्पताल में सम्मानजनक व्यवहार किया जाय। महिला अस्पताल हल्द्वानी में पूरे चौबीस घंटे गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी जांच की सुविधा सुनिश्चित की जाए। सेकंड लेवल अल्ट्रासाउंड, डाप्लर की सुविधा तत्काल शुरू की जाय। गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड की तारीखें तीन महीने बाद की नहीं बल्कि तत्काल उनका अल्ट्रासाउंड करने की सुविधा दी जाए। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे महिला अस्पताल में डॉक्टरों की नियुत्तिफ की जाय।धरना-प्रदर्शन में रिंकी जोशी, सरोज रावत, दीपा बिष्ट, गीता पांडेय, चम्पा मंडोला, प्रीति रावत, डॉ कैलाश पांडेय, हुमेरा अंजुम, अनुराधा, कमरूल निशा, हेमा शर्मा, गंगा तिवारी, फरहीन, रजनी, कविता भट्टð, बृजेश कटियार, विमला कपकोटी, सलमा, लता सती, हंसी उप्रेती, राबिया, मीनू चौहान, गीता देवी, राजकुमारी, मालती, सावित्री भंडारी, सरिता साहू, गंगा साहू, शहनाज, सुनीता सक्सेना, सुधा जायसवाल, सुनीता अरोड़ा, मंजू, माया तिवारी, छाया, माला वर्मा, भगवती बेलवाल, सीमा आर्य, लता कोहली, दीपा आर्य, देवकी गोस्वामी, इंदु बाला, दीपा कनवाल, सुनीता आर्य, रुखसाना, अनीता देवल, पुष्पा पवार, पुष्पा मेहता, गीता जोशी, मीना मटियानी, प्रेमा रौतेला, पुष्पलता, शकुन्तला, दिव्या, भावना, ललिता, रेणू, माया टंडन, चंपा, हंसी बेलवाल, कविता बिष्ट, चंपा परिहार, मीना, ममता पपने, मोहिनी ब्रजवासी, सुधा जायसवाल, जानकी जोशी, मुमताज, जायदा, शांति देवी, अंबिका जोशी, विनीता थापा, यशोदा बोरा, पूजा आर्य, रेखा, मीना सनोला, दीपा उपाध्याय, गीता पालीवाल आदि शामिल थे।

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