भारत बंद का दिखा व्यापक असर: ऊधमसिंहनगर में सड़कों पर बैठे किसान, चक्का जाम

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कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन,राजनीतिक दलों ने दिया समर्थन
रूद्रपुर/गदरपुर/किच्छा/सितारगंज/ नानकमत्ता/काशीपुर। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद का जिले में व्यापक असर देखने को मिला। जिले भर में किसानांे विरोध प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ जमकर गुबार निकाला। कुछ स्थानों पर किसानों ने जाम भी लगाया। जिला मुख्यालय पर किसानों ने धरना प्रदर्शन कर सभा की। साप्ताहिक बंदी के चलते आज शहर के बाजार पहले ही बंद था छिटपुट खुली दुकानों को आंदोलनकारियों ने बंद करा दिया। किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ बाटा चैक पर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए किसानों ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की दुश्मन साबितत हो रही है। किसान लगातार कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार पूंजीपतियों की कठपुतली बनकर किसानांे की अनदेखी कर रही है। वक्ताओं ने कहा जब तक काले कृषि कानून वापिस नहीं होंगे तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। किसान आंदोलन को आज कांग्रेस नेताओं ने भी अपना समर्थन दिया। धरना प्रदर्शन में पूव मंत्री तिलकराज बेहड़, मीना शर्मा, अनिल शर्मा, सीपी शर्मा, जगदीश तनेजा,संजय जुनेजा, इन्द्रजीत सिंह,साहब सिंह, करनैल सिंह, प्रदीप सिंह, सतपाल सिंह, मनवीर सिंह,जगदीप सिंह, इंदरजीत सिंह, तलविन्दर सिंह, गुरमीत सिंह, कांवल सिंह, इन्द्रजीत सिंह, अमन सिंह, संदीप चीमा, अनिल रावत, मनिंदर पाल सिंह, हरप्रीत सिंह,गगनदीप सिंह, गुरजिंदर सिंह विर्क, गुरबाज सिंह आदि सहित तमाम लोग मौजूद थे। गदरपुर- केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को रद्द करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आ“वान पर आहूत बंद पूर्णता सफल रहा। व्यापार मंडल द्वारा भी बाजार बंद को अपना समर्थन रखते हुए सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान दोपहर 2ः00 बजे तक बंद रखे गए। सोमवार की सुबह से ही तराई किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बलविंदर सिंह कलसी भारतीय किसान यूनियन के ब्लाकध्यक्ष राजेंद्र सिंह मक्कड़ एवं व्यापार मंडल अध्यक्ष दीपक बेहड़ के संयुक्त नेतृत्व में बाजार बंद रखा गया। सुबह से ही किसान संगठन से जुड़े लोग गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में एकत्र हुए जहां से वह बाजार में पहुंच गए, और सभी व्यापारी भाइयों से हाथ जोड़कर अपने अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखने की अपील की गई। किसान संगठनों के बाजार बंद के आ“वान के चलते पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह से सजग रहा थानाध्यक्ष सतीश चंद्र कापड़ी के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस फोर्स को सार्वजनिक स्थलों पर तैनात किया गया था। स्थानीय अभिसूचना इकाई के उप निरीक्षक मोहम्मद रिजवान खान भी टीम के साथ पल-पल की स्थिति पर नजर रखे हुए थे। किसान संगठन से जुड़े प्रतिनिधियों ने गूलरभोज रोड, सकैनिया मोड मुख्य बाजार एवं दिनेशपुर मोड़ सहित विभिन्न भागों में पहुंचकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने तीन 20 कानूनों को जबरन किसानों पर थोप कर उनकी कमर तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी मनमानी पर उतारू है और किसानों तीनों को रद्द करने की मांग को अनसुना कर रही है। सरदार मंडल के जिलाध्यक्ष राजकुमार भुîóी ने किसान संगठनों के आ“वान पर आहूत बंद के शांतिपूर्ण ढंग से सफल होने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि व्यापारी वर्ग द्वारा भारत बंद के दौरान किसान संगठनों का समर्थन किया गया है, क्योंकि व्यापारी और किसान एक दूसरे के पूरक हैं। इस दौरान तराई किसान संगठन के जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह गोराया, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष सुभाष बेहड़, मंडी समिति के पूर्व चेयरमैन प्रीत ग्रोवर, युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुमित्र भुल्लर, प्रदेश प्रवक्ता वरुण कपूर, प्रदेश सचिव मन्नु चैधरी, आप नेता जरनैल सिंह काली, सुरजीत सिंह बरनाला, सुखविंदर सिंह, सेवा सिंह, गुरबख्श सिंह, करनैल सिंह, मनदीप सिंह सर्वजीत सिंह, भीम ठुकराल, शाकिर अली, मोहम्मद शादाब, दीदार सिंह, विक्रम सिंह कलसी, बलदेव सिंह एवं साहब सिंह सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे। किच्छा- किसान संगठन के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने भारत बंद आहवान को लेकर बाजार में व्यापारियों से प्रतिष्ठानों को बंद रख आंदोलन को सफल बनाने का आग्रह किया। इस दौरान बंडिया चैराहे से जुलूस की शक्ल में किसानों ने रैली को प्रारंभ किया। जो हल्द्वानी मार्ग मुख्य बाजार बरेली मार्ग रुद्रपुर मार्ग होते हुए पुनः दीनदयाल चैक पहुंच कर समाप्त हुई ।इस दौरान आयोजित सभा को संबोधित करते हुए जितेंद्र सिंह संधू ने कहा कि किसानों का किया जा रहा है शोषण किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा किसान भाजपा सरकार द्वारा लगाए गए तीनों कृषि कानूनों को पूर्व से ही नहीं मान रहा जिसको लेकर किसानों का लगातार 10 माह से सरकार के खिलाफ आंदोलन जारी है और उक्त आंदोलन को मांगों के पूरे ना होने तक जारी रखा जाएगा। इस मौके पर व्यापार मंडल अध्यक्ष राजकुमार, बजाज कांग्रेश प्रदेश महासचिव संजीव कुमार सिंह, हरीश पनेरु,निर्मल सिंह हंसपाल, गणेश उपाध्याय, मेजर सिंह, फिरदौस सलमानी, सुरेश पपनेजा, सन्तोक सिंह, नारायण सिंह बिष्ट, नवजोत सिंह खैरा, बलवंत सिंह, अरुण तनेजा, जीशान कुरेशी आदि मौजूद थे। सितारगंज- सोमवार को किसानों एवं अन्य सहयोगी पार्टियों ने काले कानून को लेकर शहर में जुलूस निकाला तथा अमरिया चैराहे पर धरना प्रदर्शन कर रामलीला ग्राउंड में बैठक का आयोज किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले 10 महीनों से भी अधिक समय से कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं जिसमें 600 किसानों की अब तक शहादत हो चुकी है कृषि कानूनों के विरोध में आज भारतीय किसान यूनियन ने पूरे देश में भारत बंद का आ“वान किया है वही सितारगंज में भी संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में भारत बंद का असर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है जिसको  ओर भी ज्यादा असरदार बनने के लिए सितारगंज व्यापार मंडल ने भरपूर समर्थन किया व्यापार मंडल के साथ ही नगर के कांग्रेसजनों ने भी भारत बंद का समर्थन कर भारत बन्द को और सफल बनाने में सहयोग किया। नगर में सभी छोटी-बड़ी दुकानें व्यापारियों ने स्वयं ही बंद रखीं। प्रशासन की ओर से बंद के दौरान किसी भी तरह की अराजकता को बदर्शत नहीं करने की सख्त हिदायत भी दी गई है। वही सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त सुरक्षा बल जगह-जगह तैनात किए गए थे इस मौके पर नवतेजपाल सिंह, साहब सिंह, गुरसेवक सिंह, चेयरमैन हरीश दुबे, फकीर सिंह कन्याल, मंजू तिवारी, मुख्तार अंसारी, जगदीश महार, प्रभजोत सिंह, रघुविंदर सिंह, दिलबाग सिंह, जस्सा सिंह, गुरुसाहब सिंह गिल, जसकरण सिंह, सतवंत सिंह बागी, हसनैन मलिक, इश्तियाक अंसारी, बब्बू पठान, जीशान मलिक, साहिल मलिक,  फतेहजीत सिंह आदि लोग रहे। नानकमत्ता- तीन कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के किसानों ने नगर के मुख्य चैराहे पर धरना प्रदर्शन करते हुए केंद्र के मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान एकता के जिंदाबाद के नारे भी लगाए। किसान मालूक सिंह खिडा ने कहा है कि जब तक काले कृषि कानून वापिस नहीं होंगे तब तक किसानों का धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। केंद्र में मोदी सरकार पूजी पतियों की सरकार बन कर रह गई है। मोदी सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। इधर नगर के व्यापारियों ने किसानों का समर्थन करते हुए अपने प्रतिष्ठान पूर्ण रुप से बंद रखें। इधर मोदी सरकार द्वारा महंगाई चरम पर है। महंगाई की मार से आम जनता की कमर टूट चुकी है। सुरक्षा के मद्देनजर थाना अध्यक्ष योगेश कुमार, एसआई नवीन बुधानी एसआई जावेद मलिक पुलिस फोर्स के साथ तैनात रहे। प्रदर्शन करने वालों में मलूक सिंह खिंडा, लखविंदर सिंह, बलविंदर सिंह, सतनाम सिंह, जरनैल सिंह, करनैल सिंह, सुखविंदर सिंह, अवतार सिंह, अमरजीत सिंह, बलजीत सिंह, दलजीत सिंह, रणजीत सिंह, सुखवंत सिंह, बलदेव सिंह, परमजीत सिंह, बख्तावर सिंह, हरनाम सिंह, करनैल सिंह, हरबंश सिंह, कुलदीप सिंह, अवतार सिंह आदि किसान मौजूद थे। काशीपुर- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के आ“वान पर आज विभिन्न राजनैतिक दलों, संगठनों, ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद को अपना समर्थन देकर बंदी को पूर्णतया सफल बनाने का प्रयास जरूर किया लेकिन यहां काशीपुर में भारत बंद का मिलाजुला असर देखा गया। सुबह 9बजे तक एमपी चैक, स्टेशन रोड, रतन रोड, टांडा उज्जैन, रामनगर रोड, तहसील के आसपास, पुरानी व नई सब्जी मंडी में दुकानें खुली रही। हालांकि व्यापार मंडल के साथ मिलकर किसान नेता अवतार सिंह ने बाजारों में घूम घूम कर व्यापारियों से प्रतिष्ठान बंद रखने की अपील की लेकिन भीड़ के जाते ही दुकानों के शटर उठते देखे गए। अपराहन बाद मार्केट पूरी तरह गुलजार हो उठी। इस दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए नगर के महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस महकमा पूरी तरह अलर्ट रहा। कृषि बिल के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के आ“वान पर देश के सैकड़ों किसान संगठनों ने भारत बंद को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। यहां काशीपुर में भी भारत बंद को लेकर सुबह से ही गहमागहमी का माहौल देखा गया।गंगे बाबा रोड पर बैलजूड़ी मोड़ के समीप अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किसानों के साथ मिलकर सड़क पर ट्रैक्टर खड़ा कर भारी जाम लगा दिया। जाम के कारण सड़क पर दूर-दूर तक वाहनों की कतार लग गई। विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान समर्थकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसी तरह रतन सिनेमा रोड पर सैकड़ों की तादाद में एकत्रित किसान समर्थकों ने बाजार में घूम घूम कर व्यापारियों से प्रतिष्ठान बंद रखने की अपील की। इसके बाद वह नारेबाजी करते हुए स्टेशन रोड से होकर टांडा उज्जैन चैराहे पर जा पहुंचे। यहां सड़क पर बैठकर जाम लगाते हुए किसानों ने देर तक सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विरोध प्रदर्शन के दौरान एक महिला जाम खोले जाने को लेकर प्रदर्शनकारियों से भिड़ गई। नोकझोंक के बीच पुलिस ने बीच-बचाव किया। किसानों के भारत बंद की इस मुहिम में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के अलावा लेफ्ट पार्टियों समेत कई राजनीतिक दलों ने भी अपना-अपना समर्थन दिया। चीमा चैराहे के करीब आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी टेंट लगाकर शांतिपूर्ण ढंग से भारत बंद में अपना सहयोग दिया। इसी तरह कुंडा व आईटीआई थाना क्षेत्र के अलावा औद्योगिक आस्थान महुआ खेड़ा गंज में भी भारत बंद का आंशिक असर देखा गया। उपरोक्त दोनों थाना क्षेत्रों में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई ताकि प्रदर्शनकारी किसी प्रकार का बलवा अथवा उपद्रव ना कर सके।कृषि कानूनों के विरोध में जहां आज एक ओर किसान यूनियनों के साथ मिलकर कांग्रेस सपा बसपा आम आदमी पार्टी व्यापारी संगठन व ट्रेड यूनियन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया वही उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल से जुड़े पदाधिकारी यहां बाजार बंदी के सख्त खिलाफ रहे। उन्होंने अपर पुलिस अधीक्षक को पत्र देकर बाजार में व्यापारियों की सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की। एएसपी को दिए पत्र में बताया गया कि पिछले 2 वर्षों से लाॅकडाउन के कारण व्यापारी मंदी की मार झेल रहा है। ऐसे में भारत बंद के दिन यदि प्रतिष्ठान बंद कराए जाते हैं तो व्यापारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने कहा कि व्यापारियों का नुकसान किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के पदाधिकारियों ने आशंका जताई कि भारत बंद के दिन शरारती तत्व बाजार में उपद्रव तोड़फोड़ व दुकानें बंद कराने को लेकर उत्पात मचा सकते हैं लिहाजा व्यापारियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए।बता दें तीन कृषि कानूनों के विरोध में वर्ष 2020 की 26 नवंबर से किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था। तब से लेकर अब तक लगभग एक वर्षों से भी अधिक के लंबे समय में किसान संगठनों ने कई बार चक्का जाम, भारत बंद आदि कर गुस्से का इजहार किया लेकिन केंद्र सरकार अपने फैसले पर अडिग है। किसान आंदोलन में शामिल अब तक लगभग 159 मौतें हो चुकी है। किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा पारित 3 कृषि कानून विधेयक कारपोरेट को फायदा पहुंचाने वाले हैं जबकि सरकार का कहना है कि पारित तीन कृषि कानूनों से देश का अन्नदाता अपनी फसल का भरपूर लाभ ले सकेगा। वर्ष 2020 की 20 सितंबर व 22 सितंबर को भारत की संसद में कृषि विधेयक को पारित किया गया। कृषि कानूनों के विरोध में चलने वाला किसानों का यह आंदोलन देश के इतिहास का सबसे लंबे समय तक चलने वाला आंदोलन माना जा सकता है लेकिन आंदोलन के नतीजे आज भी सिफर हैं। 2020 की 8 दिसंबर को भी भारत बंद रहा। सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा होने के बाद बीते 7 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला।

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