उत्तराखंड में दलित वोटबैंक पर लाॅबिंग तेज: यशपाल आर्य के घर पहुंचे पुष्कर सिंह धामी,नाराजगी की चर्चाएं गरम
हरदा के बयान के बाद कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में खलबली
देहरादून(दर्पण ब्यूरो)। उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बयान के बाद आगामी चुनाव में दलित वोटबैंक को साधने के लिये लाॅबिंग तेज हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं चुनाव संचालन समित के अध्यक्ष हरदा ने पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड में बड़ा सियासी दांव खेलने का संकेत दिया है। खुले मंच से दिये गये बयान जिसमें एक बार दलित नेता को सीएम बनाने को लेकर छिड़ी बहस के बीच राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त हलचल पैदा हो गई है। भाजपा में शामिल प्रदेश के सबसे कद्दावर एवं दलित नेता यशपाल आर्य का नाम चर्चाओं में छाया हुआ है। इतना ही नहीं उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में घरवापसी की अटकलों को लेकर जहां कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में खलबली मची हुई है वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को अचानक आर्य के यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास पर पहुंचकर लंबी चर्चा की है। सीएम ने यशपाल आर्य को स्वागत के दौरान पौधा भेंट किया। साथ ही कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने फूलों का गुलदस्ता देकर सीएम पुष्कर सिंह धामी का स्वागत किया।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक्शन को आर्य का मान मनोव्वल करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि नाश्ते की टेबल पर करीब 35 से 40 मिनट की बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने बाहर निकलकर आर्य की नाराजगी की चर्चाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। भाजपा में नाराजगी से जुड़े प्रश्न पर कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि मुझे तो जानकारी नहीं है कि मैं नाराज हूं। मैं नाराज क्यों होने लगा। मेरा ऐसा कोई बयान भी नहीं आया। मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं। जो भी जिम्मेदारी दी जाती है उसका निर्वहन करता हूं। ऐसा कुछ भी नहीं है। नाराजगी का प्रश्न नहीं होता। मैं जहां पर हूं ईमानदारी, निष्ठा व समर्पण भाव से काम कर रहा हूं। आगे भी जो जिम्मेदारी दी जाएगी, मैं निभाऊंगा। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के दलित चेहरे को मुख्यमंत्री देखने के प्रश्न पर कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि रावत बड़े नेता हैं, वह छोटे से कार्यकर्ता हैं। दलित को सीएम बनाने की बात उन्होंने किस संदर्भ में कही, वह नहीं जानते। उनकी बातों का क्या अर्थ है और क्या मायने हैं। उनकी एक बात के कई मायने होते हैं। ऐसी चर्चाएं हैं कि आर्य कांग्रेस में जा सकते हैं जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। आपने उनके बयान देखे होंगे। जिस खटीमा सीट से वह विधायक हैं, उस पर आर्य 30 साल पहले विधायक थे। हमारी सरकार पूरे प्रदेश के लिए काम कर रही है। आर्य ने बाजपुर में 20 गांवों के मालिकाना हक दिलाने का मामला उठाया था। 20 गांव में मालिकाना हक मिल गया है। वह लगातार काम कर रहे हैं। उत्तराखंड में आगामी 2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस विधायक राजकुमार को भाजपा में शामिल होने के बाद कई अन्य नेताओं के भी पार्टी छोड़ने की चर्चाये जोरो पर है। हांलाकि अब तक किसी बड़े नेता ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है ऐसे में सिर्फ बयानबाजी को हवा देकर सियासी वर्चस्व बढ़ाने का दाव भी खेला जा रहा है। कांग्रेस के साथ ही अब भाजपा के खेमे में भी हलचल पैदा हो गई है। पार्टी के सीनियर नेताओं की असहजता को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में नाराजगी की चर्चाये गरम है कि मंत्री यशपाल आर्य भाजपा के भीतर सहज नहीं हैं। कांग्रेस के हलकों से भी ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कि आर्य के साथ ही सतपाल महाराज घरवापसी कर सकते हैं। वहीं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव नहीं लड़ने की चर्चाओं के साथ ही हरक सिंह रावत से जुड़े प्रकरण को लेकर घमासान के आसार बने हुए है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी संकेत दिए थे कि भाजपा के कई बड़े नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं और 15 अक्तूबर के बाद सत्तारूढ़ पार्टी को पता चल जाएगा। वहीं जब आर्य से पूछा गया कि आप नाराज हैं, तो उन्होंने हैरानी जताई कि अच्छा मुझे जानकारी नहीं है कि मैं नाराज हूं। जबकि आर्य के घर बिना किसी कार्यक्रम और फ्लीट के मुख्यमंत्री के पहुंचने और उनसे लंबी मंत्रणा करने के सियासी मायने टटोले जा रहे हैं।