श्रीमठ बाघम्बरी में रीति रिवाजों के साथ महंत नरेंद्र गिरी को दी भू समाधि,13 अखाड़ों के संतों ने किये अंतिम दर्शन

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सुसाइड नोट के हर पन्ने पर महंत गिरी का नाम और हस्ताक्षरः महिला के साथ वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का जिक्र
देहरादून/प्रयागराज(दर्पण ब्यूरो)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्रीमहंत नरेंद्र गिरि को श्रीमठ बाघम्बरीमें देशभर से बड़ी संख्या में पहुंचे साधु-संत मौजूदगी में भू समाधि दे दी गई है। उन्हें योग ध्यान मुद्रा में समाधि दी गयी। इस दौरान 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद उनका पार्थिव शरीर श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी लाया गया। फूलों से सजे वाहन पर पार्थिव शरीर रखकर अंतिम यात्रा शहर के मार्गों से होकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पहुंची। वहां स्नान कराने के बाद बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर फिर वापस श्रीमठ बाघम्घ्बरी गद्दी ले जाया गया। यहां वैदिक मंत्रोच्घ्चार के साथ महंत के पार्थिव शरीर को भू समाधि दी गई। संगम तट पर महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को गंगाजल से स्नान कराया गया। पात्रों में गंगाजल भरकर उनके पार्थिव शरीर को स्नान कराया गया। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार का पाठ भी किया गया। संगम तट से महंत की अंतिम यात्रा श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी अल्लापुर के लिए रवाना हो गई। महंत नरेंद्र गिरि का पार्थिव शरीर फूलों से सजे वाहन में प्रयागराज शहर की सड़कों पर घूमते हुए संगम तट पहुंचा। संगम तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन जल से पार्थिव शरीर को स्नान कराया गया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की संगम तट पर भीड़ उमड़ पड़ी। महंत नरेंद्र गिरि का शव सोमवार को मठ में उनके कमरे के भीतर फांसी से लटकता हुआ मिला था। वहीं, इससे पहले महंत नरेंद्र गिरि की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। पोस्टमार्टम में नरेंद्र गिरि की मौत की वजह फांसी लगना बताई गई है। आगे की जांच के लिए बिसरा सुरक्षित रख लिया गया है। गौरतलब है कि, महंत नरेंद्र गिरि की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। महंत गिरि की मृत्यु मामले की जांच के लिए मंगलवार को 18 सदस्यीय विशेष जांच दल ;एसआईटीद्ध का गठन किया गया और हरिद्वार में संत के एक शिष्य को हिरासत में ले लिया। इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, महंत की मृत्यु से जुड़े सभी पहलुओं की जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि 70 की मौत को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। इस बीच महंत नरेंद्र गिरि के तथाकथित 11 पन्नों में लिखा हुआ सुसाइड नोट सार्वजनिक कर दिया गया है। जिसमें उन्होंने आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी का तीन बार जिक्र किया और पूरे होश में उन्हें अपनी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है।ये भी लिखा है कि एक महिला से जोड़कर उनका वीडियो वायरल किए जाने का धमकी दी जा रही थी। इसके चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा उन्होंने बाघंबरी गद्दी मठ का उत्तराधिकारी बलबीर को घोषित किया है। उन्होंने लिखा कि मैं कहां कहां सफाई दूंगा, मैं बदनाम हो जाऊंगा और इससे अच्छा तो मरना है। सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरी मौत का जिम्मेदार आनंद गिरी है। लिखा कि आनंद गिरी ने मेरी वीडियो बनाकर उसे वायरल करने की धमकी देता था। मेरी आत्महत्या के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। सुसाइड नोट में लिखा कि मेरा मर जाना ही ठीक है। मैं कहां-कहां सफाई दूंगा। मेरा मन आनंद गिरी के कारण विचलित हो गया था। बता दें कि महंत गिरी ने लेटर हेड में अपना सुसाइड नोट लिखा है। पहला पन्ने में लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि। मठ वाघम्बरी गद्दी बड़े हनुमान मंदिर ;लेटे हनुमानजीद्ध वर्तमान में अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अपने होशोहवास में और बगैर किसी दबाव में ये बात लिख रहा हूं कि जबसे आनंद गिरि ने मेरे ऊपर सत्य, मिथ्या, मनगढ़ंत आरोप लगाया, तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में रहता हूं मर जाने की इच्छा होती है। आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनका लड़का संदीप तिवारी मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया। मुझे जान से मारने का प्रयास किया। दूसरा पन्ना..सोशल मीडिया, फेसबुक और समाचार पत्रों में आनंद गिरि ने मेरे चरित्र के ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाया। मैं मरने जा रहा हूं। सत्य बोलूंगा मेरा घर से कोई संबंध नहीं है। मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया। मैंने एक-एक मंदिर एवं मठ में लिगाया। 2004 में मैं महंत बना। 2004 से पहले अभी जो मठ एवं मंदिर का विकास किया सभी भत्तफ जानते हैं। आनंद गिरि द्वारा जो भी आरोप लगाया गया। उससे मेरी एवं मठ मंदिर की बदनामी हुई। मैं बहुत आहत हूं। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरे मरने की सम्पूर्ण जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी, जो मंदिर में पुजारी है, आद्या प्रसाद तिवारी का बेटा संदीप तिवारी की होगी। मैं समाज में हमेशा शान से जिया, लेकिन आनंद गिरि मुझे गलत तरीके से बदनाम किया। तीसरा पन्ना..मैं महेंद्र नरेंद्र गिरि। आज मेरा मन आनंद गिरि के कारण विचलित हो गया। हरिद्वार से ऐसी सूचना मिली कि कम्प्यूटर के माध्यम से एक लड़की के साथ मेरी फोटो जोड़कर गलत काम करते हुए बदनाम करेगा। आनंद गिरि का कहना है कि महराज यानी मैं कहां तक सफाई देते रहेंगे। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं। अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज में कैसे रहूंगा। इससे अच्छा मर जाना ही ठीक है। इससे मैं दुखी होकर आत्महत्या करने का निर्णय लेकर आत्महत्या करने जा रहा हूं। चैथा पन्ना.. मैं महेंद्र नरेंद्र गिरि। वैसे तो मैं 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कम्प्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर फोटो वायरल कर देगा। मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा। एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। मैं जिस पद पर हूं गरिमामयी पद है। पांचवां पन्ना..आज मैं आत्महत्या कर रहा हूं, जिसकी पूरी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी जो पहले तिवारी थी व उनको मैंने निकाल दिया और संदीप तिवारी सन आॅफ आद्या प्रसाद तिवारी की होगी। वैसे मैं पहले ही आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था। एक आॅडियो कैसेट आनंद गिरि जारी किया था, उससे मेरी बदनामी हुई। आज मैं हिम्मत हार गया और आत्महत्या कर रहा हूं। 25 लाख रुपया आदित्य मिश्रा से एवं 25 लाख रुपया शैलेष सिंह सेंगर रियल स्टेट से मांगता हूं। छठवां और सातवां पन्ना.. सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चल जाएगी, लेकिन मेरा नाम बदनाम हो जाएगा। मेरी मौत का जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी, संदीप तिवारी सन आॅफ आद्या प्रसाद तिवारी ही होंगे। प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि मेरी आत्महत्या के जिम्मेदार उपरोत्तफ लोगों पर कार्रवाई की जाए। जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले। आठवां पन्ना..प्रिय बलवीर गिरि ओम नमो नारायण। मैं तुम्हारे नाम एक रजिस्टर वसीयत की है। जिसमें मेरे ब्रह्मलीन ;मरने के बादद्ध हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ वाघम्बरी गद्दी का महंत बनोगे। तुमसे मेरा एक अनुरोध है कि मेरी सेवा में लगे विद्यार्थी जैसे मिथलेश पांडे, राम कृष्ण पांडे, मनीष शुक्ला, विवेक कुमार मिश्रा, अभिषेक कुमार मिश्रा, उज्ज्वल द्विवेदी, प्रज्ज्वल द्विवेदी, अभय द्विवेदी, निर्भर द्विवेदी, सुमित तिवारी का ध्यान देना। जिस तरह से मेरे समय में रह रहे थे उसी तरह से तुम्हारे समय में रहेंगे। इन सभी का ध्यान देना। नौवा पन्ना..उपरोत्तफ सभी जिनका मैंने नाम लिया है तुम लोग भी हमेशा बलवीर गिरि महाराज का सम्मान करना जिस तरह से हमेशा मेरी सेवा और मंदिर की सेवा किया उसी तरह से बलवीर गिरि महाराज और मठ-मंदिर की सेवा करना। वैसे हमें सभी विद्यार्थी प्रिय हैं, लेकिन मनीष शुक्ला, शिवेक मिश्रा, अभिषेक मिश्रा मेरे अति सप्रिय हैं। जब मुझे कोरोना हुआ मेरी सेवा सुमित तिवारी ने की। मंदिर में माला-फूल की दुकान मैंने सुमित तिवारी को किरायानाम रजिस्टर किया है। मिथलेश पांडे को बड़े हनुमान की इम्पोरियम की दुकान किराए पर दी है। मनीष शुक्ला, शिवेक मिश्रा, अभिषेक को दुकान नंबर एक लîóू की दुकान किराये में दी है। दसवां पन्ना.. बलवीर गिरि मेरी समाधि पार्क में नींबू के पेड़ के पास दी जाए। यही मेरी अंतिम इच्छा है। धनंजय विद्यार्थी मेरे कमरे की चाभी बलवीर गिरि महाराज को देना। बलवीर गिरि एवं पंच परमेश्वर निवेदन कर रहा हूं मेरी समाधि पार्क में नींबू के पेड़ के पास लगा देना।ग्यारहवा पन्ना.. प्रिय बलवीर गिरि, मठ-मंदिर की व्यवस्था का प्रयास करना। जिस तरह से मैंने किया है, उसी तरह से करना। आशुतोष गिरि और नीतेश गिरि एवं मढ़ी के सभी महात्मा बलवीर गिरि का सहयोग करना। परम पूज्य महंत हरि गोविंद गिरि एवं ;एक नाम लिखकर काट दियाद्ध बलबीर गिरि को मढ़ी का महंत बनाना। महंत रवींद्र पुरी जी आपने हमेशा साथ दिया। मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान दीजिएगा। सभी को मेरा ओम नमोः।

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