श्रम मंत्री के खिलाफ शमशेर सिंह सत्याल ने खोला मार्चा
त्रिवेंद्र शाख नहीं, वृक्ष हैं…सभी जानते हैं कौन कब-कब किस शाख पर बैठा
देहरादून। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल और श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत के मध्य छिड़ा विवाद अब मुख्यमंत्री दरबार में पहुंच गया है। हालांकि दोनों के तल्ख तेवर बरकरार हैं। बोर्ड अध्यक्ष सत्याल ने श्रम मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सभी जानते हैं कि कौन कब-कब किस डाल पर बैठा है। साथ ही मंत्री पर झूठी बयानबाजी का आरोप भी जड़ा। इसके साथ ही सत्याल ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर बोर्ड की सचिव द्वारा एक वाहन चालक के खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार करार देते हुए प्रकरण की सीबीआई अथवा उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उधर, श्रम मंत्री डा रावत ने भी पलटवार करते हुए कहा कि उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में हुए कार्यों में यदि कहीं कोई अनियमितता थी तो वर्तमान बोर्ड अध्यक्ष ने इसका भुगतान क्यों किया। पिछली त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में गत वर्ष अक्टूबर में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाकर शमशेर सिंह सत्याल को अध्यक्ष बना दिया गया। तब से बोर्ड अध्यक्ष व श्रम मंत्री के बीच तलवारें खिंची हैं। सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद अब फिर से बोर्ड का विवाद सुर्खियों में है। वर्तमान में बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव के बीच छिड़ा विवाद अब अध्यक्ष और श्रम मंत्री पर केंद्रित हो गया है। दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ तेवर तल्ख किए हैं। बोर्ड के अध्यक्ष सत्याल ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को सीधे निशाने पर लिया। उन्होंने श्रम मंत्री के उस वक्तव्य पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और बोर्ड अध्यक्ष जिस शाख पर बैठे थे, उसे ही काट रहे थे। सत्याल ने कहा कि त्रिवेंद्र शाख नहीं, वृक्ष हैं। यह सभी जानते हैं कि कौन कब-कब किस शाख पर बैठा है। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रम मंत्री झूठी बयानबाजी कर उन पर आक्रमण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह श्रमिक हितों के लिए लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक से संरक्षण मांगा है। उन्होंने यह भी कहा कि श्रम मंत्री ने उनके कार्यकाल की जांच कराने की बात कही है, जिसका वह स्वागत करते हैं। श्रम मंत्री रावत के कार्यकाल में हुए कार्यों की अब तक जितनी भी जांच हुई हैं, वह भी सार्वजनिक होनी चाहिए।