फिर बरसे स्वामी रामदेवः योग और आयुर्वेद से 98 फीसद को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ी
कोरोना की एक भी दवाई का अब तक नहीं हुआ क्लीनिकल ट्रायल
हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के स्वामी योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि जिनकी कोई इज्जत नहीं, वो कर रहे एक हजार करोड़ की मानहानि का दावा। उन्होंने यह बात शुक्रवार को सोशल मीडिया के एक लाइव प्रोग्राम में कहीं। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि इस वत्तफ देश में धार्मिक, वैचारिक और सांस्कृतिक आतंकवाद तेजी से फैल रहा है। इसी में एक नए किस्म का आतंकवाद ट्रीटमेंट आतंकवाद भी पैदा हो गया है। कहा कि उनकी लड़ाई इनके खिलाफ हैं। एलोपैथिक का यह कारोबार करीब दो लाख करोड़ का है, वह इसके खिलाफ लड़ रहे हैं। सरकार चाहे उनका साथ दे या ना दे। भले ही सरकार उनका विरोध करें पर उनकी लड़ाई जारी रहेगी और वह इसमें सफल होंगे। दोहराया कि उनका किसी पैथी से कोई मुकाबला नहीं, विरोध नहीं। कहा कि आकस्मिक स्थितियों में वह एलोपैथी इलाज और चिकित्सा को जरूरी समझते हैं, मान्यता देते हैं, पर इसका मतलब यह नहीं कि इलाज की केवल यही अवस्था है और यही विधि है। एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में आपके पास लाइफ सेविंग ड्रग्स और एडवांस सर्जरी है। हम यह मानते हैं पर, आपके पास यह दो चीज है तो हमारे पास 98 चीज हैं। दावा किया कि योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा बिना सर्जरी और बिना दवा के स्वस्थ जीवन शैली देता है और 1000 से अधिक व्याधियों का इलाज करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस वत्तफ देश दुनिया के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए जिन-जिन भी दवाओं का इस्तेमाल उपयोग किया जा रहा है, उनमें से किसी भी एक दवा का कोरोना के इलाज प्रोटोकाॅल के तहत क्लीनिकल ट्रायल अब तक नहीं हुआ है। सवाल उठाया की तो फिर किस आधार पर इन दवाओं का इस्तेमाल कोरोना संक्रमित मरीजों पर किया जा रहा है। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे योग गुरु बाबा रामदेव का एक और बयान सुर्खियों में है। योग गुरु ने एलोपैथी से इलाज को दुनिया सबसे बड़ा झूठ बताया। दावा किया कि कोरोना संक्रमण में एलोपैथी से महज 10 फीसद गंभीर मरीज ही ठीक हुए हैं, जबकि योग और आयुर्वेद से 90 फीसद। कहा कि कोरोना का रामबाण इलाज योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में ही है। पिछले दिनों एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर बाबा रामदेव के बयान से नाराज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन उन्हें कड़ा पत्र लिख चुके हैं। इसके बाद बाबा ने अपना बयान वापस लेने की घोषणा की। इसके अगले दिन ही उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ;आइएमएद्ध के नाम खुला पत्र जारी कर 25 सवाल दागे। इनमें भी एलोपैथी को लेकर ही तमाम प्रश्न किए गए थे। इसके बाद उनके निकट सहयोगी और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बाबा रामदेव की ओर से सफाई दी। इसमें कहा गया कि योगगुरु एलोपैथी सहित सभी चिकित्सा पद्धतियों का सम्मान करते हैं। आचार्य बालकृष्ण ने तो यहां तक कहा कि बाबा का विरोध एलोपैथी से नहीं है, विरोध तो आयुर्वेद के खिलाफ दिए गए बयान से है। शुक्रवार को योग गुरु बाबा रामदेव ने अपने एक बयान को री-ट्वीट किया है। यह बयान उन्होंने एक मीडिया संस्थान से बातचीत में दिया। इसमें बाबा कह रहे हैं कि कोरोना संक्रमण काल में एलोपैथिक चिकित्सक केवल सिम्टोमैटिक इलाज कर रहे हैं। इनके पास कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कमजोर फेफड़ों और कमजोर नर्वस सिस्टम का कोई कारगर इलाज ही नहीं है। सोशल मीडिया पर उनका यह बयान तेजी के साथ वायरल हो रहा है। योग गुरु बाबा रामदेव ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ;एम्सद्ध के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया पर भी निशाना साधा है। कहा कि डा. गुलेरिया कहते हैं कि 90 फीसद मरीजों को अस्पताल जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी, जबकि मैं कहता हूं कि 95 से 98 फीसद कोरोना संक्रमितों को अस्पताल नहीं जाना पड़ा, क्योंकि ये सभी योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संक्रमण मुत्तफ हो गए। बाबा रामदेव ने एलोपैथिक चिकित्सकों की सेवा भावना की सराहना भी की। साथ ही जोड़ा कि, लेकिन यह कहना कि कोरोना मरीजों का इलाज सिर्फ इसी पैथी के चिकित्सकों ने ही किया, सरासर गलत और तथ्यहीन है।