एसडीआरएफ के जवानों की मानव सेवा के कायल हुए मशहूर काॅमेडी एक्टर संजय मिश्रा
अल्मोड़ा।मशहूर काॅमेडी एक्टर संजय मिश्रा कोरोना महामारी में अल्मोड़ा पुलिस की मानव सेवा के कायल हो गए। उन्होंने हालिया बुजुर्ग कोरोना संक्रमित को कंधे पर लाद रामगंगा नदी पार करते पुलिस कर्मियों की फोटो को अपने इंस्टाग्राम में अपलोड भी किया था। मरचूला से अल्मोड़ा पहुंचे सिने जगत के हास्य अभिनेता संजय मिश्रा एसएसपी पंकज भट्ट से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे। हालांकि, आइजी अमित सिन्हा के दौरे के कारण एसएसपी से मुलाकात न हो सकी। उन्होंने पुलिस कर्मियों के साथ विचार साझा किए। पहाड़ की शुद्ध आबोहवा पर बात की। उन्होंने कहा कि पहाड़ की वादियां उन्हें हमेशा से बहुत अच्छी लगती हैं। इसीलिए वह अक्सर बच्चों को लेकर पहाड़ का रुख कर लेते हैं। बाद में अभिनेता संजय अपनी पुत्री पल के साथ डीडीहाट स्थित अपनी ससुराल के लिए रवाना हो गए। गोलमाल, धमाल, बंटी और बबली आदि तमाम फिल्मों में अपने अभिनय से लोटपोट करने वाले संजय मिश्रा करीब पांच वर्ष पूर्व रानीखेत के पंतकोटली गांव परिवार के साथ पहुंचे थे। संजय मिश्रा की प्रमुख फिल्में: उन्होंने सत्या, दिल से, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, साथिया, ब्लफमास्टर, बंटी और बबली, गोलमाल, गुरु, धमाल, वेलकम, गोलमाल रिटंर्स, अतिथि तुम कब जाओगे, गोलमाल3, फंस गए रे ओबामा, सर आफ सरदार, जाॅली एलएलबी, बाॅस, आंखो देखी, किक, भूतनाथ रिटन्रस्र्, दम लगा के हइसा आदि में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। कोरोना काल में संक्रमित व्यत्तिफ से दूरी बनाने का सिलसिला उसके मरने के बाद भी खत्म नहीं हो रहा। पुलिस की तरह मोर्चे पर जुटी एसडीआरएफ की टीम कुमाऊं में पिछले 27 दिनों में 83 शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी है। इन सभी की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई थी। ऐसे में अपनों ने भी दूरी बना ली। हालांकि, कुछ मामले ऐसे भी थे, जिसमें घर के अन्य लोग भी पाॅजिटिव होने के कारण उपचार करा रहे थे। ऐसे में एसडीआरएफ के जवानों ने सूचना मिलने पर खुद की जान जोखिम में डाल इन लाशों को कंधा देने के साथ अंतिम संस्कार भी किया। 30 अप्रैल से 27 मई तक नैनीताल में 21, चम्पावत में 31, पिथौरागढ़ में 16, बागेश्वर में तीन, अल्मोड़ा में 11 और ऊधमसिंह नगर में एक लावारिश शव की एसडीआरएफ जवानों द्वारा अंत्येष्टि की गई। हाल में चम्पावत जिले के एक दुर्गम गांव में एक महिला की कोरोना से मौत हो गई थी। डर के मारे गांव के लोग नहीं आए। जिसके बाद एसडीआरएफ के चार जवान डेढ़ किमी तक पैदल ही महिला के शव को लेकर सड़क पर आए। उसके बाद गाड़ी से श्मशान घाट तक पहुंचे। एसडीआरएफ के जवानों को घर-घर कोरोना किट बांटने का जिम्मा भी सौंपा गया है। फोन से संपर्क करने पर जवान मेडिकल किट लेकर पहुंच जाते हैं। इसके अलावा एसटीएच के रेड जोन यानी संक्रमित वार्ड के बाहर सुरक्षा में भी लगाया गया है।