हरीश के बिना पार्टी अधूरी-अनुग्रह
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सम्मेलन में जुटी नेताओं की भीड़,कुंजवाल ने खोली गुटबाजी की पोल
देहरादून। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नई छाप छोड़ेने की तैयारी में है। सूबे में कांग्रेस संगठन को मजबूती देने के लिये नये प्रदेशप्रभारी ने पहली बार नये प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को पार्टी में बढ़ते मनमुटाव को खत्म करने की नसीहत दे डाली। वह यह भी कहने से नहीं डिगे कि हरीश रावत से दूरी पार्टी को ही नुकसान पहुंचायेगी,उनके बिना तो पार्टी भी अधूरी है।इसलिये मतभेद भुलाने से ही आगामी चुनाव में पार्टी की लाज बचायी जा सकती है। पहली बार देहरादून पहुंचे प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह की कांग्रेस दिग्गजों के बीच सुलह कराने की कोशिशों को झटका लगता दिख रहा है। अगर ऐसा ही हुआ तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस के लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों से लड़ने के बजाय आपस में ही नूरा-कुश्ती करने में ताकत गंवा देंगे। सभी को माला पहनाकर शुरू हुई पीसीसी की विस्तारित बैठक में हरीश के करीबियों को बोलने का मौका नहीं दिया तो कुंजवाल बिफर पड़े। पार्टी की भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बुलायी गयी प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक में सभी लोग कांग्रेस की एका की बात तो कर रहे थे, लेकिन उनकी बातों से गुटबाजी की गंध भी नहीं छुप पायी। प्रीतम सिंह के भाषण से शुरू हुई बैठक में इंदिरा हृदयेश, किशोर उपाध्याय, काजी निजामुद्दीन, तिलकराज बेहड़, पृवीराज चैहान, युवक कांग्रेस अध्यक्ष बिक्रम रावत, सरिता आर्य, हीरा सिंह बिष्ट, प्रकाश जोशी सहित कई अन्य नेता जब बोलते रहे तो इसी बीच पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का सब्र जवाब दे गया। वे संचालकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित (करने के लिए उठ कर दूसरी कुर्सी पर जा बैठे। मौके की नजाकत को देखते हुए बैठक का संचालन कर रहे विनय सारस्वत और सूर्यकांत धस्माना ने उन्हें संबोधन के लिए बुला लिया। इसके बाद दबी जुबान से दिख रही गुटबाजी खुलकर सामने आ गयी। कुंजवाल ने माइक संभालते ही कहा कि इस तरह की भाषणबाजी से पार्टी मजबूत नहीं होने वाली। कार्यकर्ता को सम्मान देना होगा। उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते इतने काम किये थे कि यदि सही तरीके से प्रचार होता तो पार्टी सत्ता में वापसी कर लेती। कुंजवाल ने यह कहने में गुरेज नहीं किया कि कांग्रेस को कांग्रेस ही हराती है। उन्होंने प्रभारी से यह भी कहा कि 2017 में हुई हार के बाद पार्टी नेताओं के बयानों का अध्ययन किया जाए और उसके बाद कड़ी कार्यवाही की जाए। कुंजवाल ने सीधा आरोप लगा दिया कि बोलने वालों की सूची भी पहले से ही तैयार की गयी है, राज्यसभा सांसद का नाम तक बोलने वालों में नहीं रखा गया है। इसके बाद पूरा माहौल एकदम गर्म हो गया। कुंजवाल ने कहा कि जब तक मन का मैल नहीं धुलेगा, पार्टी का भला नहीं हो सकता। ऐसे ही भेदभाव चलता रहा तो पार्टी के अच्छे दिन कभी नहीं आने वाले। एआईसीसी में हरीश रावत को मिली तीन-तीन जिम्मेदारियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड का सौभाग्य है कि कांग्रेस की सबसे पावरफुल कमेटी में उन्हें जगह मिली है। कल जब वे कांग्रेस भवन में पहुंचे तो प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान प्रदेश कार्यकारिणी ने प्रोटोकाल का भी पालन नहीं किया। हवाई अड्डे से पूरे जुलूस के रूप में रावत के कांग्रेस भवन में पहुंचने पर प्रीतम सिंह 10 मिनट तक बाहर ही नहीं आये। कुंजवाल का कहना था कि प्रोटोकाल के हिसाब से उन्हें बाहर आकर उनका स्वागत करना चाहिए था। अगर यह सब ऐसे ही चलता रहा तो ये गुटबाजी पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रदेश कार्यकारिणी में ठीक से चयन नहीं हुआ तो पार्टी में भारी असंतोष भड़क सकता है। इसलिए पार्टी के लिए काम करने वाले सही लोगों को रखना होगा। इसके बाद प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह माइक पर आये और एनाउंस किया कि जो भी लोग बोलना चाहते हैं वे अपने नाम दे दें, यह बैठक देर रात तक चलती रहेगी। इसके बाद सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व विधायक मदन विष्ट, मंत्री प्रसाद नैथानी सहित कई लोगों को बोलने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने खुलकर हरीश रावत को कमतर आंकने वालों को इशारों-इशारों में सचेत करते हुए कहा कि उनके बिना उत्तराखंड में