एनटीपीसी की टनल में रेस्क्यू आपरेशन तेज: ज्योग्राफिकल मैपिंग से श्रमिकों की तलाश

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चमोली आपदा में नौ राज्यों के लापता 115 लोगों की पहली सूची जारी,33 लोगों के शव और दस क्षत विक्षत मानव अंग बरामद हुए ,सात घंटे तक सुरंग में लटके रहे मजदूरों को बचाया
देहरादून।चमोली जिले के तपोवन के पास रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में मारे गए 18 लोगों के शव अब तक बरामद किए जा चुके हैं। वहीं अब भी उत्तराखंड, यूपी, झारखंड, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, नेपाल, जम्मू-कश्मीर और ओडिशा के तकरीबन 202 व्घ्यत्तिफ लापता हैं। इनकी तलाश के लिए राहत व बचाव कार्य जारी है। सोमवार को प्रशासन ने चमोली आपदा में लापता 115 लोगों की पहली सूची जारी की है। इनके अलावा 7 लापता लोग फिलहाल अज्ञात हैं, जिनकी जानकारी जुटाई जा रही है। लापता लोगों की सूची में सबसे ज्यादा नाम उत्घ्तर प्रदेश व बिहार के श्रमिकों के हैं। ये श्रमिक आपदा के वत्तफ वहां कार्य कर रहे थे। हालांकि ग्लेशियर टूटने की सूचना के बाद भारत तिब्बत सीमा पुलिस , एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एयरफोर्स और स्घ्थानीय पुलिस रेस्घ्क्घ्यू अभियान चला रही है। बीते रविवार को आइटीबीपी के जवानों ने एक अन्घ्य टनल से 12 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाला था। उत्तरांखड के लापता लोगः त्रेपन सिंह, टिहरी गढ़वाल अनिल कुमार, टिहरी गढ़वाल विनोद सिंह, टिहरी गढ़वालअनिल कुमार, चमोली धीरेंद्र, पौड़ी गढ़वाल विक्रम सिंह, देहरादून. जगदीश तोमर, देहरादून. हर्ष चैहान, देहरादून सलदार सिंह, देहरादून जीवन सिंह, देहरादून कल्याण सिंह, देहरादून. अनिल, देहरादून. अनिल, देहरादून. संदीप चैहान, देहरादून. अमित डोभाल, चमोली रविंद्र सिंह, पिथौरागढ़ रोहित सिंह, चमोली रामकिशोर सिंह, चमोली. साजन सिंह, चमोली अरविंद सिंह, चमोली. ओम प्रकाश, चमोली. मनोज सिंह नेगी, चमोली. महेंद्र लाल, चमोली. पंकज सिंह चमोली शिव सिंह, चमोली अजनेश, हरिद्वार. दीपेश कुमार, टिहरी गढ़वाल . शुभम घिल्डियाल, टिहरी गढ़वाल जीत सिंह ठाकुर, देहरादून दीपक टम्टा, चमोली गौरव प्रसाद, देहरादून अनूप थपलियाल, चमोली राजेश थपलियाल, चमोलीनरेंद्र लाल मैसोन, चमोली जितेंद्र थापा, देहरादून महेंद्र सिंह, चमोली नरेंद्र कुमार, चमोली पदमेंद्र बिष्ट, चमोली आलम सिंह, टिहरी गढ़वाल सत्यपाल, चमोली अमित पाल, चमोली कुलदीप सैनी, हरिद्वार उत्तर प्रदेश के लापता लोगः छोटू, श्रावस्ती वेद प्रकाश, श्रावस्ती प्रभुनाथ राणा, श्रावस्ती हरि लाल, श्रावस्ती अजय कुमार, श्रावस्ती अर्जुन लाल, लखीमपुर खीरीमनोज कुमार पाल, लखीमपुर खीरी संतोष कुमार, लखीमपुर खीरी सतेंद्र कुमार, लखीमपुर खीरी जितेंद्र कुमार, लखीमपुर खीरी पाकर्मा गिरी, लखीमपुर खीरी पंकज कुमार पांडेय, चंदौली राशिद खान, लखीमपुर खीरीराजू गुप्ता, लखीमपुर खीरी श्रीकिशन, लखीमपुर खीरी जलाल हुसैन, लखीमपुर खीरी भलभल, लखीमपुर खीरी अवधेश, लखीमपुर खीरी उरफान खान, लखीमपुर खीरी रामविलास, लखीमपुर खीरीजगदीश, लखीमपुर खीरीउमेश, लखीमपुर खीरी मुकेश, लखीमपुर खीरीजयकिशन, मिर्जापुर प्रमोद, लखीमपुर खीरी विनोद, लखीमपुर खीरी, रामू, मथुरा शेरसिंह, शाहजहांपुर रंजीत गिरी, लखीमपुर खीरी रामतीर्थ, लखीमपुर खीरी जावेद खान, लखीमपुर खीरी इस्लाम हुसैन, लखीमपुर खीरी गौरीशंकर, लखीमपुर खीरीशेर बहादुर, लखीमपुर खीरीइरशाद खान, लखीमपुर खीरी विमलेश, लखीमपुर खीरी धमेंद्र, लखीमपुर खीरी हीरालाल, लखीमपुर खीरी सूरज कुमार, लखीमपुर खीरी अरुण, लखीमपुर खीरी अर्जुन, लखीमपुर खीरी प्रवीन धीमान, सहारनपुर झारखंड के लापता लोगः अमृत कुमार, बोकारोमदन मेहतो, रामगढ़ मिथिलेश मेहतो, रामगढ़बिरशे मेहतो, रामगढ़कुलदीप कुमार मेहतो, रामगढ़ नेमश बख्ला, लोहरदग्गा ज्योतिष बख्ला, लोहरदग्गादीपक कुजुर, लोहरदग्गा विक्की भगत, लोहरदग्गा मंजनू बख्ला, लोहरदग्गा सुनील बख्ला, लोहरदग्गा उर्वानस बख्ला, लोहरदग्गा रबिंदर ओरोन, लोहरदग्गापंजाब के लापता लोग सुखविंदर, लुधियाना केवल सिंह, लुधियाना सुखविंदर, लुधियानाकुलबीर सिंह, लुधियानाबिहार के लापता लोगः मुन्ना कुमार सिंह, सारणसोनू कुमार यादव, सारण नरेश दास, समस्तीपुरनेपाल के लापता लोग सोहन चैधरी, टीकापुर शंकर चैधरी, टीकापुरविष्णु मल्ल, टीकापुरपश्चिम बंगाल के लापता लोग अश्वनि तंतुबई, पुरुलिया शुभांकर तंतुबई, पुरुलियाजम्मू-कश्मीर के लापता लोग जितेंद्र कुमार, डोडा ओडिशा के लापता लोग नागेंद्र दास, भदरक शामिल है।
ग्लेशियर के मलबे को भी उखाड़कर ले गया एवलांच!
देहरादून। ऋषिगंगा कैचमेंट क्षेत्र में जलप्रलय के पीछे की वजह एवलांच आना ही है। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसरो की देहरादून स्थित एजेंसी भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के सेटेलाइट चित्रों के आधार पर कही। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कहीं कोई ग्लेशियर नहीं फटा है। आईआईआरएस की ओर से उपलब्ध कराए गए सेटेलाइट चित्रों के अनुसार तीन फरवरी को ऋषिगंगा के ऊपर स्थित पहाड़ी पर किसी तरह की बर्फ नहीं थी। फिर चार व पांच फरवरी को 5600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तीव्र ढाल वाले स्थलों पर भारी हिमपात के चलते अच्छी-खासी बर्फ जमा हो गई। बर्फ जमा होने की जानकारी छह फरवरी को लिए गए सेटेलाइट चित्रों के जरिये मिली। रविवार सुबह जब यह ताजा बर्फ एवलांच ;स्नो एवलांचद्ध के रूप में नीचे खिसकी तो अपने साथ बड़ी मात्रा में पहाड़ी पर जमा ग्लेशियर मलबे को भी उखाड़कर ले गई। बर्फ ताजा थी, लिहाजा जल्द ही पानी में तब्दील हो गई। गंभीर यह कि स्नो एवलांच जोन के रूप में बर्फ जमा होने का क्षेत्रफल करीब 14 वर्ग किलोमीटर है। यानी इस पूरे क्षेत्र में खतरा बरकरार है। यही वजह भी रही कि एवलांच की घटना के बाद ऋषिगंगा, धौलीगंगा, विष्णुगंगा व अलकनंदा नदी में भीषण बाढ़ के हालात पैदा हो गए थे। एवलांच की घटनाओं के लिए ताजी बर्फ ही प्रमुख वजह होती है। यह बर्फ न सिर्फ जल्दी खिसकती है, बल्कि इससे बड़ी मात्रा में पानी का प्रवाह भी होता है। ऋषिगंगा कैचमेंट क्षेत्र में घटी एवलांच की घटना में दो से तीन मिलियन क्यूबिक मीटर ;तीन अरब लीटर तकद्ध पानी निकला। जब यह पानी नदी में मिला तो इसने विकराल रूप धारण कर लिया और बड़ी तबाही की वजह बन गया। यही कारण है कि ऋषिगंगा परियोजना पलभर में तबाह हो गई और निचले क्षेत्र में स्थित विष्णुगाड परियोजना के बैराज भी इससे ढह गए।
उत्तराखंड में बांधों से नुकसान पर स्थानीय लोगों ने किया था प्रोजेक्ट का विरोध
देहरादून। उत्तराखंड में ऋषिगंगा के प्रोजेक्ट को आपदा ने निगल लिया। अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर ऋषिगंगा पर बनने जा रहे तीन अन्य प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट रोक न लगाता तो आपदा की भयावहता और अधिक हो सकती थी। उत्तराखंड में बांधों से होने वाले नुकसान को लेकर मंथन और विवादों की शुरुआत 2013 की आपदा के बाद हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया और एक कमेटी बनाई। इस कमेटी को प्रदेश के इस पूरे क्षेत्र में निर्मित और निर्माणाधीन बांधों से हुए पर्यावरणनीय नुकसान का

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