सुप्रीम कोर्ट से किसानों को बड़ी राहत,नये कृषि कानून के अमल पर लगाई रोक

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किसान अब चार सदस्यीय कमेटी के समक्ष उठायेगे मुद्दे
नई दिल्ली। पिछले डेढ़ माह से आंदोलित किसानों को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कानूनों पर रोक लगाई, साथ ही एक कमेटी का गठन कर दिया है। जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सर्वोच्च अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी। कोर्ट ने एक कमेटी का भी गठन किया है. इसमें भूपिंदर मान सिंह मान, प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड, अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट और अनिल धनवत, शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र को शामिल किया गया है। हांलाकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई विशेष कमेटी के समक्ष पेश होने से किसान संगठनों ने इनकार कर दिया है और केंद्र सरकार से तीनों कानून वापिस लेने की मांग की है। केंद्र सरकार ने जिन तीन कृषि कानूनों को पास किया, उसका लंबे वक्त से विरोध हो रहा था। दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं, इसी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के पास जा पहुंचा।मंगलवार की सुनवाई में किसानों की ओर से पहले कमेटी का विरोध किया गया और कमेटी के सामने ना पेश होने को कहा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख बरता और कहा कि अगर मामले का हल निकालना है तो कमेटी के सामने पेश होना होगा। ऐसे में अब कोई भी मुद्दा होगा, तो कमेटी के सामने उठाया जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि कमेटी कोई मध्यस्थ्ता कराने का काम नहीं करेगी, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिस कमेटी का गठन किया गया है, उसमें कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ। प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं। ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी, जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आती है तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी।मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों को ये डर है कि उनकी जमीनें बेच दी जाएगी। किसान अभी भी तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कौन कह रहा है कि जमीनें बेच दी जाएगी। इसके जवाब में एमएल शर्मा ने कहा कि अगर एक बार किसान कॉरपोरेट हाउस से समझौता करता है तो उसे शर्तों के मुताबिक उत्पाद पैदा करना होगा, नहीं तो उसे हर्जाना देना होगा। एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कमेटी के सामने पेश नहीं होना चाहते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि ये किसने कहा कि जमीन बिक जाएगी, किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी। हम समस्या का समाधान चाहते हैं। सीजेआई ने कहा कि हमारे पास निहित अधिकारों के तहत हम कानून को सस्पेंड भी कर सकते हैं। ब्श्रप् ने कहा कमिटी हम अपने लिए बना रहे है। किसी को ऽुश करने के लिए नहीं बना रहे हैं। कमिटी हमें रिपोर्ट देगी। कमिटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। सीजेआई ने किसानों की ओर से पेश वकील को कहा कि आप कोर्ट को सपोर्ट करें। कोर्ट ने कहा कि ये कोई राजनीति नही है। हम समस्या का समाधान चाहते है। हम जमीनी हकीकत जानने के लिए कमिटी का गठन चाहते हैं।

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