उत्तराखंड पुलिस की तबदला नीति में बदलाव, पहाड़ी जिले में चार साल की सेवा अनिर्वाय

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गृह जनपदों में भी मिलेगी छूट,पति-पत्नी को अब एक ही जिले में मिलेगी तैनाती
देहरादून। प्रदेश के नये डीजीपी अशेक कुमार ने पुलिस की कार्यप्रणाली में अपेक्षित सुधर लाने की घोषणाओं पर तत्परता से क्रियान्वयन शुरू कर दिया है। डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश के बाद उत्तराखंड पुलिस तबदला नीति में की गई विशेष जनकल्याणकारी कार्ययोजना के तहत मैदानी जनपदों में लंबे समय से जमे निरीक्षक, उप निरीक्षक, मुख्य आरक्षी और आरक्षी का तबादला जल्द पहाड़ी जिलों में हो सकता है। शनिवार को पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की अध्यक्षता में हुई पुलिस स्थापना कमेटी की बैठक में तबादला नीति पर मुहर लगाई गई। इस दौरान निर्णय लिया गया कि निरीक्षक एवं उप निरीक्षक स्तर के अधिकारियों की एक बार में चार मैदानी जनपदों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल में तैनाती आठ वर्ष से अधिक नहीं होगी। पर्वतीय जनपद टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ में नियुक्ति की अवधि चार वर्ष रहेगी। मुख्य आरक्षी और आरक्षी की मैदानी जनपदों में 12 व 16 वर्ष व पर्वतीय जनपदों में नियुक्ति की अवधि छह वर्ष व आठ वर्ष रहेगी। वार्षिक तबादले मार्च महीने में किए जाएंगे व तबादले 31 मार्च तक अनिवार्य रूप से पूरे किए जाएंगे। नवनियुक्त, पदोन्नति व निर्धारित समय अवधि पूर्ण करने वाले कार्मिकों से नियुक्ति व तबादले के लिए तीन विकल्प मांगे जाएंगे। इनमें एक विकल्प पर्वतीय जिले का होना अनिवार्य होगा। इन तीन विकल्पों के अंतर्गत ही नियुक्ति व तबादला किया जाएगा। गैर जनपदीय शाखाओं ;पुलिस मुख्यालय को छोड़करद्ध में पुलिस बल के कार्मिकों की नियुक्ति अवधि अधिकतम तीन वर्ष रहेगी। अगर संबंधित कार्मिक की नियुक्ति अवधि बढ़ाई जानी आवश्यक हो तो संबंधित कार्यालय अध्यक्ष की ओर से संबंधित कार्मिक की कार्यकुशलता के आधार पर उसकी नियुक्ति अवधि दो वर्ष बढ़ाए जाने के लिए पुलिस मुख्यालय को प्रस्ताव भेजना पड़ेगा। पुलिस मुख्यालय स्तर से परीक्षण करने के बाद ऐसे कार्मिकों की नियुक्ति अवधि अधिकतम दो वर्ष के लिए बढ़ाई जा सकेगी। नियुक्ति अवधि बढ़ाए जाने के औचित्य का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि एक थाने व उसके अंतर्गत आने वाली चैकियों में निरीक्षक, उप निरीक्षक, मुख्य आरक्षी व आरक्षी की अधिकतम नियुक्ति अवधि तीन वर्ष रहेगी। सीपीयू, एटीसीएस व एंटी ड्रग टास्क फोर्स में संबद्धता अवधि तीन साल की रहेगी। इन इकाइयों में संबद्ध किसी कार्मिक की संबद्धता अवधि पूर्ण होने के बाद यदि संबंधित कार्मिक की संबद्धता अवधि बढ़ाई जानी आवश्यक हो तो संबंधित कार्यालय के अधिकारी की ओर से संबंधित कार्मिक की कार्यकुशलता के आधार पर उसकी संबद्धता अवधि दो वर्ष बढ़ाए जाने के लिए पूर्ण औचित्य सहित प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया जाएगा। यदि किसी अधिकारी व कर्मचारी की चार मैदानी जनपदों में नियुक्ति अवधि पूर्ण हो चुकी हो तो उन्हें उनकी इच्छानुसार तीन जनपदों व शाखाओं में से एक में तैनात किया जाएगा। इसमें संबंधित कर्मी का गृह जनपद ;गृह तहसील व गृह थाना छोड़करद्ध भी शामिल रहेगा। यदि किसी अधिकारी व कर्मचारी की चार मैदानी जनपदों में नियुक्ति अवधि पूर्ण हो चुकी हो तो संबंधित अधिकारी व कर्मचारी को दोबारा चार मैदानी जनपदों में नियुक्ति पाने से पूर्व नौ पर्वतीय जनपदों में निर्धारित नियुक्ति अवधि पूर्ण करनी होगी। पुलिस विभाग में नियुक्त सभी संवर्गों के मुख्य आरक्षी व आरक्षी जिनका गृह जनपद पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, चमोली व रुद्रप्रयाग है, को रिक्तियों के सापेक्ष उनकी इच्छानुसार उनके गृह जनपदों में तबादला दिया जा सकेगा। गृह जनपद में नियुक्त कार्मिक को उनकी गृह तहसील व थाने में नियुक्ति नहीं दी जाएगी। तबादला नीति में सरकारी सेवा में तैनात पति-पत्नी को राहत दी गई है। यदि पति पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हों तो उन्हें एक ही जनपद, नगर व स्थान पर तैनात किया जाएगा। 45 वर्ष से अधिक आयु पूर्ण करने वाले मुख्य आरक्षी व आरक्षी जिनका गृह जनपद उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी गढ़वाल व अल्मोड़ा है, को रिक्तियों के सापेक्ष उनकी इच्छानुसार उनके गृह जनपद में गृह तहसील व गृह थाना छोड़कर नियुक्ति किया जाएगा। यदि कोई पुलिसकर्मी आदेशों के विरुद्ध एवं तबादले के संबंध में किसी भी प्रकार का बाहरी दबाव डलवाने का प्रयास करे तो इसे सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन मानते हुए उसके विरुद्ध उत्तराखंड सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 2003 के तहत निलंबन के संबंध में भी विचार किया जाएगा।

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