समझौता जल्द से जल्द होना चाहिए,किसान प्रतिनिधियों और सरकार की बनेगी कमेटी: सुप्रीम कोर्ट

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किसान संगठनों का  लिखित जवाबः संशोधन स्वीकार नहीं, सभी किसानों से एक साथ बात करे सरकार
नई दिल्ली। नये कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के 21वें दिन बुधवार को एक बार फिर दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को ब्लॉक कर दिया गया। किसान संगठनों ने सरकार को लिखित  में जवाब देते हुए संशोधनों को ठुकरा दिया है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हो रही है। लेकिन अब तक सरकार और किसानों के बीच बातचीत के बावजूद आंदोलन समाप्त करने को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है जिससे सियासी बयानबाजी भी तेज हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अबतक समझौता क्यों नहीं हुआ। अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है, अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की अदालत ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें।अब इस मसले पर पहले कल (गुरुवार) सुनवाई होगी फिर आगे का निर्णय होगा। सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों के साथ-साथ केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार को नोटिस भेजा है।  सुप्रीम कोर्ट में वकील जीएस मणि ने कहा कि मैं किसान परिवार से आता हूं, इसलिए अपील की है। जिसपर अदालत ने उनसे जमीन के बारे में पूछा, वकील ने बताया कि उनकी जमीन तमिलनाडु में है। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि तमिलनाडु की स्थिति को पंजाब-हरियाणा से नहीं तोला जा सकता है। चीफ जस्टिस ने अदालत में कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस दलील नहीं है। ऐसे में रास्ते किसने बंद किए हैं। जिसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं। जिसपर सीजेआई ने कहा कि जमीन पर मौजूद आप ही मेन पार्टी हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं। जिसपर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग केस के वत्तफ़ कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए। बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर चीफ जस्टिस ने वकील को टोका, उन्होंने कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग केस का हवाला दिया गया। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये एक महत्वपूर्ण विषय है। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से अपील की है कि हरीश साल्वे ऐसे ही एक मामले में दलील देना चाहते हैं। हालांकि, जज की ओर से हरीश साल्वे को बहस में शामिल करने से इनकार कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इनमें दिल्ली की सीमाओं पर भीड़ इकट्ट करने, कोरोना वायरस के संकट को लेकर याचिका लगाई गई है। इसके अलावा किसान आंदोलन में मानवाधिकारों, पुलिस एक्शन और किसानों की मांग मानने की अपील की गई है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई शुरू की गई। वहीं किसानों ने एक बार फिर दिल्ली और नोएडा सीमा को बंद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई से पहले किसानों ने अपने आंदोलन को धार दी है। कुछ दिन पहले नोएडा सीमा को ऽोला गया था, लेकिन अब दूसरे संगठन ने यहां मोर्चा संभाला है। बुधवार को संयुत्तफ़ किसान मोर्चा की ओर से सरकार को लििऽत में जवाब दिया गया है। किसान मोर्चा ने सरकार से अपील की है कि वो उनके आंदोलन को बदनाम ना करें और अगर बात करनी है तो सभी किसानों से एक साथ बात करें। किसानों और सरकार के बीच में गतिरोध जारी है। किसान संगठन पीछे नहीं हट रहे हैं और सरकार के सामने अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। किसान आंदोलन को धार दे रहे हैं, अन्य राज्यों से भी दिल्ली किसान कूच कर रहे हैं। बुधवार को किसानों ने दिल्ली-नोएडा का चिल्ला बॉर्डर बंद करने की बात कही है। दूसरी ओर पीएम मोदी ने एक बार फिर कृषि कानूनों को किसानों के लिए हितकारी बताया है। पीएम मोदी ने कहा है कि विपक्ष किसानों को डरा रहा है और भड़काने की कोशिश कर रहा है।

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