उत्तराखंड में लोकायुक्त गठन का वायदा भूल गई भाजपा सरकारः प्रीतम सिंह
देहरादून। प्रदेश में 2022 की चुनाव में एक बार फिर लोकायुत्तफ गठन के मुद्दे पर सत्तासीन भाजपा सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। इतना ही नहीं आगामी चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे को भुनाते हुए भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त टकराव की स्थिति बन सकती है। माना जा रहा है कि राज्य में मौजूदा डबल इंजन की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही अपनी जीरो टाॅलरेंस की नीति के सहारे विरोधियों के साथ ही विपक्षी दलों की हर रणनीति को नामुकिन साबित करने में जुटे हुए हैं।जबकि विपक्ष भी भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदेश में लोकायुक्त गठन की मांग एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनाने के संकेत दे दिये हैं।इसके अतिरित्तफ पार्टी ने सरकार के अंतरविरोधों, मंत्रियों और नौकरशाही के बीच टकराव को प्रमुख मुद्दे के तौर पर उभारने पर जोर लगाया है। प्रचंड बहुमत के बावजूद मंत्रियों और नौकरशाही के बीच तकरार गाहे-बगाहे सामने आती रही है। इस कारण पार्टी को सरकार की कार्यप्रणाली को निशाने पर लेने का मौका मिला है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश में लोकायुत्तफ का गठन नहीं होने से सरकार और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर का पता चल चुका है। पिछले घोषणापत्र में जिसे प्रमुख मुद्दा बनाया गया, उससे अब मुंह चुराया जा रहा है। मुख्यमंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर हाईकोर्ट का आदेश तस्वीर साफ करने को काफी है। पिछले चुनाव में भाजपा ने इसे चुनावी अस्त्र के तौर पर सामने रखा था। इस बार ये कांग्रेस का सियासी हथियार बनने जा रहा है। खासतौर पर भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस की सरकार और भाजपा की रणनीति के जवाब में प्रमुख प्रतिपक्षी दल इसे काट के तौर पर आगे कर वार- पलटवार की रोचक जंग बनाने की तैयारी में है। हालांकि भ्रष्टाचार पर मुद्दा विशेष कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह कहते हैं कि लोकायुत्तफ का गठन नहीं करने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की सरकार की नीयत साफ हो जाती है। कांग्रेस अपने तरकश में जिन अस्त्रों को जमा कर रही है, उनमें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को तीखा जवाब देने की मंशा साफ है। दरअसल 2017 में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछली सरकार के भ्रष्टाचार को निशाना बनाकर कांग्रेस के मर्म पर प्रहार किया। यह सिलसिला साढ़े तीन साल से बदस्तूर जारी है। इसे देखते हुए ही पार्टी अपनी रणनीति को फूंक-फूंक कर अंजाम दे रही है। कांग्रेस के निशाने पर मुख्यमंत्री इसी वजह से ज्यादा हैं। मुख्यमंत्री के खिलाफ एक प्रकरण में हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं ने उन्हें निशाने पर लेने में देर नहीं लगाई थी। यह दीगर बात है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद विपक्षी पार्टी को अपने तेवर ढीले करने पड़ गए। अब सिर्फ राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि जिलों और ब्लाॅक स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की फेहरिस्त तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।