बड़ी खबर…वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे मुख्यमंत्री,सभी जिलों के जिलाधिकारियों से मांगे सुझाव
देहरादून (दर्पण ब्यूरो)। उत्तराखंड में कोरोना महामारी की रोकथाम के लिये मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सभी जिलों के जिलाधिकारियों से फीडबैक लेने के बाद ही राज्य सरकार एक दिसंबर से लागू होने वाले दिशा-निर्देशों को तय करेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। जारी निर्देशों में राज्यों से बढ़ती ठंड और कुछ राज्यों कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर खास सतर्कता बरतने की अपील की गई है। राज्य में कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति सामान्य है, लेकिन बढ़ती ठंड के साथ कोरोना की रोकथाम की चुनौती बढ़ रही है। राज्य सरकार के सामने कुंभ मेले की भी चुनौती है। अभी सरकार को डिग्री कालेज और तकनीकी संस्थानों को खोलने का भी निर्णय लेना है। इन सभी पहलुओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री जिलाधिकारियों से सुझाव लेंगे। इस बैठक के बाद ही सरकार अपने आगे के दिशा-निर्देश तय करेगी। बता दें कि नए दिशा-निर्देश जारी होने से पहले ही लॉकडाउन की अफवाहों का मुख्यमंत्री खंडन कर चुके हैं। एसए मुरुगेशन, प्रभारी सचिव आपदा प्रबंधन के अनुसार पूर्व में जारी गाइडलाइन 30 नवंबर तक लागू है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की नई गाइडलाइन पर शनिवार को मुख्यमंत्री की बैठक में विचार होगा। जिलों से जिलाधिकारी अपने सुझाव देंगे। इनके आधार पर नए दिशा-निर्देश तय होंगे।उत्तराखंड में कोरोना महामारी की रोकथाम के लिये जनजागरूकता अभियान जारी है वहीं मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिये सरकार ने एक बार फिर कार्ययोजना तय करने की तैयारी शुरू कर दी है। देश में भले ही अभी कोरोना की वैक्सीन नहीं आयी है लेकिन कोरोना के प्रकोप से लागों की मानसिक दशा भी बदल गई है। संसाधनों के उपयोग पर मंथन के साथ ही गत दिवस पीएम नरेंद्र मोदी के साथ समीक्षा बैठक के बाद केंद्र सरकार ने दिशा निर्देश राज्यों को जारी कर दिये है। भले ही दिल्ली में कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उत्तर प्रदश समेत कई राज्यों ने वैवाहिक आयोजन एवं पार्टियों में लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिये डीजे और बैंड पर प्रतिबंध लगाया वहीं अब उत्तराखंड सरकार ने भी इधर दिल्ली समेत अन्य राज्यों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिग और टेस्टिंग को अनिवार्य कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि सर्दियों के मौसम से लोगों को खतरा बढ़ सकता है। लिहाजा स्वास्थ्य महकमे ने आशा एवं आंगनबाड़ी वर्करों की टीमों को भी सक्रियता से अभियान शुरू करने के निर्देश दिये गये है। जिला प्रशासन की गाईडलाईन के मुताबिक अधिकांश मोहल्लों में अभियान चलाया गया है। इस दौरान रैपिड टेस्ट समेत एंटीजन,टूनॉट से कोरोना की जांच की जा रही है। अभी तक प्रदेश के अधिकांश जनपदों में कोरोना का प्रकोप समान्य स्थिति में आ गया है परंतु जिस प्रकार कोरोना सक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है उससे स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। उत्तराखंड के चार मैदानी जनपदों में कोरोना संक्रमितों के आकड़े बढ़ रहे है। हांलाकि महानगरों में आर्थिक गतिविधियां शुरू होने से स्थिति अनकंट्रोल साबित हो रही है। लोगों की भीड़ ना लगे ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनायी गई है। इधर प्रदेश सरकार ने रात्रि कर्फयू लगाने की दिशा में मंथन किया है। बताया जा रहा है कि राज्य में कुछ दिनों के लिए रात्रि कफ्रर्यू अथवा वीकेंड पर एक या दो दिन की साप्ताहिक बंदी के विकल्पों पर विचार चल रहा है। व्यापारियों के अनुसार उनके सुझाव पर भी वीकएंड की रूपरेखा तय की जा सकती है लिहाजा रविवार और शनिवार को अधिकांश लोग शॉपिंग करने से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और व्यापार भी प्रभावित होगा।उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर राज्य में लॉकडाउन दोबारा लागू करने की चर्चा को निराधार करार दिया है। त्योहारी सीजन के दौरान राज्य में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी आई है। देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार, चमोली, पिथौरागढ़ समेत लगभग सभी जिलों में पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर अब सरकार सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। इस कड़ी में राज्यभर में कुछ दिन रात में कफ्रर्यू रऽने के अलावा सप्ताह के आिऽरी दो दिनों या फिर एक दिन साप्ताहिक बंदी का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के मद्देनजर गहनता से विचार किया जा रहा है। हाल में कुछ जिलों में साप्ताहिक बंदी के बेअसर रहने की बात सामने आई है। शनिवार को मुख्यमंत्री सभी जिलाधिकारियों के साथ जिलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति, इसकी रोकथाम के उपाय समेत उत्तफ़ विकल्पों पर विचार-विमर्श करेंगे। सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन के अनुसार मुख्यमंत्री की वीडियो कॉफ्रेंसिंग के बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि क्या कदम उठाए जाएं। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रलय ने राज्यों को एक एडवाइजरी जारी की। इसमें कहा गया है कि स्थानीय लॉकडाउन की व्यवस्था केंद्र की सलाह पर ही लागू की जाए। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण की दर साप्ताहिक आधार पर 10 फीसद से ज्यादा हो जाती है तो कार्यालयों में कार्मिकों की संख्या नियंत्रित की जा सकती है। राज्य अपने स्तर पर विभिन्न आयोजनों में दो सौ व्यत्तिफ़यों की उपस्थिति की सीमा को सौ या इससे कम कर सकते हैं।
कुंभ मेले का सुरक्षित आयोजन सबसे बड़ी चुनौती
आगामी 2021 में आयोजित होने वाले कुंभ मेले की तीथि करीब है और सफल और सुरक्षित आयोजन के लिये सरकार समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भी बन गई है। कुंभ मेले में कोरोना जांच की अनिवार्यता को लेकर भी राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया नहीं आयी है हांलाकि पूर्व सीएम हरीश रावत ने अखाड़ा परिषद व राज्य सरकार से कुंभ मेले में करोड़ों हिंदुओं की आस्था का सम्मान करने की अपील की है। जबकि लाखों की संख्या में विभिन्न अखाड़ों के साध् संत व नागा बाबा शाही स्नाान के लिये पहुंचते है ऐसे में राज्य सरकार की एडवाईजरी कुंभ मेले के आयोजन के औचित्य पर ही सवालिया निशान खडेे कर रही है। माना जारहा है कि बार्डर पर प्रत्ये श्रद्धालुओं की कोरोना जांच संभव ही नहीं हो पायेगी। लोगों को हरिद्वार आने के बाद अपने अपने राज्यों में कोरोना की जांच कराने का विकल्प भी बन सकता है बहरहाल आज मुख्यमंत्राी के साथ जिलाधिकारियों के साथ वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में कोरोना महामारी कीरोकथाम समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा होन की उम्मीद है।