दर दर की ठोकरें खा रहा है बंगाली बुजुर्ग: हाईकोर्ट ने डीएम को दिये छह माह में मामले को निस्तारित करने के आदेश

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42 साल बाद भी नहीं मिला न्याय: दबंगों द्वारा हड़पी आठ एकड़ जमीन वापस पाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे पीड़ित बुजुर्ग को अब हाईकोर्ट से न्याय की उम्मीद 
रूद्रपुर(दर्पण ब्यूरो)। 85 वर्षीय एक बुजुर्ग दबंगों द्वारा हड़पी गयी अपनी 8 एकड़ जमीन को वापस दिलाए जाने के लिए 42 साल से दर दर की ठोकरें खा रहा है। दरअसल इस बुजुर्ग को मृत दर्शाकर कुछ दबंगों ने उसकी आठ एकड़ जमीन हड़प ली थी। पीड़ित बुजुर्ग तहसीलदार से लेकर डीएम और कमिश्नर और शासन के आला अधिकारियों से भी न्याय की गुहार लगा चुका है। पीडित की गुहार के बाद मामले में एसआईटी भी गठित की गयी लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा। कोर्ट कचहरी के चक्कर काटकर थक चुके इस बुजुर्ग को अब हाईकोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है। हाईकोर्ट ने मामले को छह माह के भीतर निस्तारित करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिये हैं। मामला दिनेशपुर थाना क्षेत्र के ग्राम नेताजी नगर का है। नेताजी नगर में वर्ष 1970 के दशक में बंगाली समाज के कई विस्थापित परिवारों को सरकार की ओर से 8-8 एकड़ भूमि जीवन यापन के लिए प्रदान की थी। इन्हीं परिवारों में से एक परिवार निवारण चन्द्र भौमिक का भी हैं। निवारण चन्द्र भौमिक को भी अन्य विस्थापित बंगाली परिवारों की तरह आठ एकड़ जमीन जीवन यापन के लिए मिली थी। जिस पर उन्होनंे खेती बाड़ी शुरू करते हुए परिवार का भरण पोषण शुरू कर दिया। इसी बीच निवारण ने अपनी भूमि में से चार एकड़ भूमि को क्षेत्र के ही कुछ लोगों को बटाई पर दे दिया। भूमि को बटाई पर देना निवारण चन्द्र भौमिक को भारी पड़ गया। जिसका खामियाजा वह आज तक भुगत रहा है। निवारण की मानें तो उसने जिन लोगों को चार एकड़ भूमि बटाई पर दी थी। उनकी नियत उसकी जमीन पर खराब हो गयी और उन्होंने जालसाजी करते हुए उसकी पूरी आठ एकड़ जमीन ही हड़प ली। निवारण के मुताबिक 1978 में तहसील से उसे एक पत्र मिला जिसमें उसे उसकी आठ एकड़ जमीन का दाखिल खारिज करने के सम्बंध में तहसील में बुलाया गया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी। वह तहसील पहुंचा तो वहां उसे कागज दिखाये गये कि उसकी जमीन बेची जा चुकी है। निवारण के मुताबिक उसकी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किसी और के नाम किया गया था जिस जगह उसके हस्ताक्षर होने चाहिए थे वहां पर फर्जी ढंग से किसी और का अंगूठा लगाकर जमीन को दूसरे के नाम कर दिया गया था। निवारण के मुताबिक जब उसे ठगी का पता चला तो उसने भूमि के दाखिल खारिज होने पर आपत्ति दर्ज करायी। जिसके बाद कुछ समय तक दाखिल खारिज की कार्रवाई रूक गयी। इसी बीच दबंगों के डर से पीड़ित निवारण परिवार सहित लखनऊ रहने चला गया। इसी बीच दबंगों ने उसे मृत दर्शाकर भूमि को अपने नाम करा लिया।वर्ष 2018 में जब निवारण चंद्र को भूमि किसी और के नाम होने जानकारी मिली तो उसने लखनऊ से यहां आकर तत्कालीन डीएम नीरज खैरवाल को ज्ञापन देकर पूरे मामले की जानकारी दी। जिसमें उसने बताया कि दबंगों ने उ से मृत दिखाकर फर्जी गवाहों और दस्तावेजों की मदद से उसकी जमीन की रजिस्ट्री और दाखिल खारिज अपने नाम कर दी । बुजुर्ग ने बताया कि जिन लोगों ने जमीन फर्जी तरीके से अपने नाम कराई उन्होंने उसके अंगूठे की जगह किसी और का अंगूठा लगाया है। फर्जी अंगूठे की जांच कराने के लिए वह डीएम से लेकर कमिश्नर तक के चक्कर काट चुका है। 2018 में तत्कालीन डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीएम राजस्व को पांच दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था जांच पूरी होने के बाद भी निवारण चन्द्र को न्याय मिला। फर्जी दस्तावजेतों की जांच के बाद भी अभी तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुयी है। उच्चा अधिकारियों और कोर्ट की शरण लेने के बाद वर्तमान में उक्त भूमि पर यथा स्थिति के आदेश हैं। लेकिन निवारण चंद्र को न्याय अभी तक नहीं मिल पाया है। पीड़ित निवारण चंद्र ने मामले को लेकर शासन के उच्चाधिकारियों के साथ ही राज्यपाल से भी गुहार लगायी। शासन स्तर से भी मामले को निस्तारित करने के आदेश हो चुके हैं लेकिन पीड़ित को न्याय अभी तक नहीं मिला है। न्याय की आस में निवारण चंद्र ने नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली थी। जिस पर पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए डीएम उधम सिंह नगर को मामले को छह माह के भीतर निस्तारित करने के आदेश दिये हैं। न्याय की आस में पुनः लखनऊ से यहां पहुंचे बुजुर्ग ने जिलाधिकारी को हाईकोर्ट के आदेश की प्रतिलिपि सौंपकर कार्रवाई की मांग की है।
करोड़ों की है विवादित जमीन
रूद्रपुर। 85 वर्षीय निवारण चंद्र भौमिक जिस जमीन की लड़ाई 42 वर्ष से लड़ रहा है उसकी कीमत वर्तमान में करोड़ों में हैं। जमीन हड़पे जाने के चलते वर्तमान में निवारण चंद्र भौमिक लखनऊ में कच्चे घर में रहने को मजबूर हैं। उसके दो बेटे मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। निवारण चंद्र के मुताबिक जो जमीन सरकार द्वारा उसे और तमाम अन्य विस्थापितों को दी गयी थी उस जमीन को बेचने का अधिकार नहीं हैं इसके बावजूद उसकी जमीन पर फर्जी दस्तावेजजों के आधार पर कब्जा हो गया। निवारण चंद्र्र के मुताबिक पूरे मामले में कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। उसने बताया कि जो जमीन विस्थापितों को दी गयी थी उसमें से चार एकड़ जमीन को ही विशेष परिस्थिति में बेचने का अधिकार है उसके लिए भी जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होती है, लेकिन उसकी जमीन को बेचने के लिए कोई अनुमति नहीं दी गयी है फिर भी उसे जमीन पर कब्जा नहीं मिल रहा।
कई लोगों को न्याय दिलाने वाला खुद न्याय से वंचित
रूद्रपुर। हड़पी गयी जमीन को वापस पाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा निवारण चंद्र भौमिक नेताजी नगर में रहते हुए कई लोगों को न्याय दिला चुका है। लेकिन खुद न्याय से वंचित है। विस्थापन के बाद निवारण चंद्र नेताजी नगर क्षेत्र से तीन बार सभापति रह चुका है। इस दौरान उसने छोटी बड़ी कई समस्याएं इनमें जमीनों पर कब्जे से सम्बंधित कई समस्याएं भी थी, उनका निराकरण कराने में निवारण चंद्र अपनी अहम भूमिका निभा चुका है लेकिन खुद 42 साल के संघर्ष के बाद भी उसे न्याय नहीं मिल पाया है। पीड़ित बुजुर्ग को अब हाईकोर्ट से न्याय की आस है। उसे पूरी उम्मीद है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने छह माह में मामले को निस्तारित करने के जो आदेश दिये हैं इस आदेश से उसे न्याय अवश्य मिलेगा।

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