आज आयोध्या लौटे थे प्रभु श्री राम,देशभर में छाया अद्भुद,विहंगम और अविश्मरणीय दीपोत्सव का नजारा
धन की देवी महालक्ष्मी और प्रथम पूज्य गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना
देहरादून । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर जगमगाते दीयों का दीदार और खुशियों की बहार के साथ आज दीपावली मनाई जाएगी। धन और एश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी और प्रथम पूज्य गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा होगी। दोपहर दो बजकर 17 मिनट से शुरू होने वाली अमावस तिथि रविवार सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। ऐसे में यह त्योहार आज ही मनाया जाएगा। अंधकार पर प्रकाश का विजय पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। हिंदू धर्म का मुख्य पर्वाेँ में से एक दीपावली खुशियों का त्योहार है। धार्मिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवान राम 14 वर्ष वनवास के बाद आयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया था। मान्यता यह भी है कि आज की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भत्तफों के घर जाती हैं। आचार्य डाॅ. सुशांत राज के अनुसार, दीपावली पर लक्ष्मी पूजा और गणेश आराधना के लिए 24 घंटे में कई प्रकार के मुहूर्त होते हैं, जिनमें प्रातःकाल मुहूर्त, चैघड़िया और देर रात को आने वाला निशिता मुहूर्त शामिल है। डाॅ. आचार्य सुशांत राज के मुताबिक इस दीपावली पर तीन ग्रहों का दुर्लभ संयोग इसे खास बना रहा है। गुरु ग्रह अपनी स्वराशि धनु और शनि मकर में रहेगा, जबकि शुक्र कन्या में रहेगा। इससे पहले दीपावली पर तीन ग्रहों का दुर्लभ संयोग 1521 में बना था, जो अब 499 वर्ष बाद बन रहा है। लक्ष्मी पूजन का मुहूर्तः प्रदोषकाल में शाम पांच बजकर 28 मिनट से सात बजकर 24 मिनट के मध्य पूजा का मुहूर्त रहेगा। इसके अलावा निशिता काल में देर रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक है। इन 34 मिनट में लक्ष्मी पूजन संपन्न करनी होती है। इन दो मुहूर्त के अलावा चैघड़िया मुहूर्त दोपहर को दो बजकर 17 मिनट से शाम चार बजकर सात मिनट, शाम को पांच बजकर 28 मिनट से शाम सात बजकर सात मिनट और रात को आठ बजकर 47 मिनट से देर रात एक बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा 15 नवंबर को सुबह पांच बजकर चार मिनट से सुबह छह बजकर 44 मिनट तक चैघडिया मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। प्रतिष्ठानों में गद्दी, कुर्सी, गल्ले, तुला, मशीन, कंप्यूटर कलम दवात आदि की पूजा दोपहर 12 बजकर नौ मिनट से शाम चार बजकर पांच मिनट तक कर सकते हैं। इस काल में किसी भी तरह के व्यापारिक प्रतिष्ठान जहां धनागमन का साधन के स्थान की पूजा का श्रेष्ठ समय है। सुबह घर की साफ-सफाई के बाद पूरे घर में वातावरण की शु(ि और पवित्रता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। घर के द्वार पर रंगोली और दीयों की एक शृंखला बनाएं। पूजा स्थल पर एक चैकी रखकर लाल कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी और गणेश प्रतिमा स्थापित करें। दीवार पर लक्ष्मी का चित्र बना सकते हैं। लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा पर तिलक लगाने ककेबाद दीये जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित कर लक्ष्मी की स्तुति करें। इसके साथ ही सरस्वती, काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें। तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरण की पूजा करें। जरूरतमंदों को मिठाई और दक्षिणा देना शुभ माना जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रविवार को गोवर्धन पूजा या अन्नकूट होगा। प्रतिपदा सुबह 10 बजकर 36 मिनट से सोमवार सुबह सात बजकर छह मिनट तक रहेगा। गोवर्धन पूजा का मुहूर्त दोपहर तीन बजकर 19 मिनट से शाम पांच बजकर 27 मिनट तक रहेगा। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गो पूजा की जाती है।