चौतरफा घिरे त्रिवेंद्र ! गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन घोषित करने और देहरादून को राजधानी बताने पर बिफरे हरीश रावत,खड़ा किया सवाल
किस संवैधानिक संस्था ने देहरादून को राजधानी अधिसूचित किया है?
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के देहरादून को राजधानी बताने वाले बयान पर सूबे की सियासत एक बार फिर तेज गई है। इतना ही नहीं उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने मुख्यमंत्री के बयान पर न सिर्फ सवाल खड़े कर दिये बल्कि तत्कालीन केंद्र सरकार के फैसले की याद दिलाते हुए देहरादून को प्रदेश की अस्थायी राजधानी होने का दावा कर दिया है।फेसबुक पर एक पोस्ट में बृहस्पतिवार को पूर्व मुख्यमंत्री और काग्रेस महासचिव हरीश रावत ने पूछा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बताएं कि किस संवैधानिक संस्था ने देहरादून को राजधानी अधिसूचित किया है। ऐसा फैसला मुख्यमंत्री अकेले नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि राज्य बनाते वत्तफ केंद्र सरकार ने देहरादून को अस्थायी राजधानी कहा था। उसके बाद सभी सरकारें देहरादून को अस्थायी राजधानी ही कहती आईं हैं। मुख्यमंत्री अधिकार संपन्न होते हुए भी मंत्रिमंडल से बाहर ऐसा कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं। फिर ऐसा निर्णय सर्वसम्मति से और राजनीतिक दलों के परामर्श से लिया जाना चाहिए। हो सके तो विधानसभा के प्रस्ताव के जरिये निर्णय लिया जाना चाहिए। कहा कि मुख्यमंत्री सभी औपचारिकताओं को दरकिनार कर अकेले देहरादून को राजधानी घोषित नहीं कर सकते हैं। उन्होंने जो किया, वह एक संवैधानिक असंगतता है। काग्रेस का निश्चय साफ है। ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद विधानसभा के अंदर नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश काग्रेस अध्यक्ष ने जो कहा था, हम और हमारी पार्टी उसके साथ खड़ी है। गौरतलब है कि प्रदेश काग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने काग्रेस की सरकार बनने पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की बात कही थी। खास बात ये है कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी पर खुद हरीश रावत ने पत्ते नहीं खोले, लेकिन पार्टी के रुख का हवाला जरूर दे दिया। काग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हरीश रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी कहा है। वहा जमीन ढूंढ़ने और विकास के लिए 25 हजार करोड़ खर्च करने की बात कही। उन्होंने कहा कि गैरसैंण पर उन्हें मुख्यमंत्री की बात समझ में आई, भले ही वह इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने 25 हजार करोड़ रुपये को शिगूफा करार दिया। साथ ही तंज कसते हुए कहा कि हम मोदी जी को ऊंचा फेंकने वाला समझ रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने तो उन्हें भी पीछे छोड़ दिया। उन्हें उत्तफ धनराशि खर्च करने का रोडमैप भी प्रस्तुत करना चाहिए। उधर, प्रदेश काग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन और देहरादून को राजधानी बनाने के मुख्यमंत्री के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भराड़ीसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में उत्तराखंड को दासता का एक झुनझुना थमा दिया गया है। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि भराड़ीसैंण के विकास को 25 हजार करोड़ रुपये कहा से लाएंगे।