बिहार में मोदी का मैजिकः वोटिंग मशीनों में मतगणना शुरू,रुझानों में तेजस्वी दे रहे है कांटे की टक्कर
बिहार चुनाव: शुरूआती रूझानों में सभी एक्जिट पोल्स ध्वस्त
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कहर के बीच बिहार की सियासी जमीन पर देश का यह पहला विधानसभा चुनाव है। वोटिंग के बाद तमाम एक्जिट पोल्स में आरजेडी को सबसे बड़ी पार्टी बनते हुए दिखाया गया था। जिसमें एग्जिट पोल में एनडीए को 104 से 128 सीटों, महागठबंध्न को 108 से 131 सीटें और एलजेपी को एक से तीन सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था वहीं अन्य के चार से आठ सीटें जा सकती हैं. एग्जिट पोल सामने आया है कि इस बार बिहार चुनाव में वोटर्स ने बदलाव की बयार लाने का मन बना लिया है लेकिन आज जब मतगणना शुरू हुई तो शुरूआती रूझानों में सभी एक्जिट पोल्स ध्वस्त होते दिखायी दे रहे है। यहां एनडीए को बढ़त मिल गई है हांलाकि यह रूझान आरजेडी के लिये भी अहम है। यहां सबसे बड़े राजनीतिक दल भाजपा के साथ ही सत्तासीन जदयू के दिग्गज नेता नितीश कुमार के समक्ष अपनी ऐतिहासिक हैट्रिक बनाने का मौका है। हांलाकि लालू प्रसाद यादव ने अबकी बार जेल से ही करिश्मायी सियासत का नजारा दिखा दिया है जिससे तमाम सियासी दल की बेचैनी बढ़नी तय है। लालू के बड़े बेटे तेजस्वी यादव इस चुनाव के केंद्र में बने हुए है। इध्र अब बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए राज्य की जनता अपने जनादेश को वोटिंग मशीनों में दर्ज कर चुकी है। बिहार में महागठबंधन बनाम एनडीए की कांटेदार जंग देखने को मिली। आज का जनादेश बिहार में पिछले 15 साल की नीतीश कुमार सरकार पर लोगों का फैसला तो होगा ही, बिहार की राजनीति के लिए भी एक खास संदेश लेकर आएगा क्योंकि बिहार में राजनीति के एक ढलती पीढ़ी को नई पीढ़ी ने सीधी चुनौती दी है और जनता को नए-पुराने के बीच अपना आगे का भविष्य चुनना है। नीतीश कुमार को 31 साल के युवा तेजस्वी यादव सीधी टक्कर दे रहे हैं। तमाम एक्जिट पोल के रुझान बदलाव के संकेत दे रहे हैं। राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों पर इस बार तीन चरणों में हुए मतदान की मंगलवार को हो रही गिनती इस बदलाव के संकेतों का अंतिम सच सामने लाने वाली है। गौरतलब है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी को सबसे ज्यादा 80 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं दूसरे नंबर पर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू थी, जिसे 71 सीटें हासिल हुई थी। इसके अलावा बीजेपी को 53, कांग्रेस को 27, एलजेपी को 2, आरएलएसपी को 2, हम को 1 और अन्य के हिस्से में 7 सीटें गई थी। 2015 में नीतीश कुमार की जेडीयू, लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बनाकर बीजेपी, आरएलएसपी और एलजेपी के गठबंधन पर जीत हासिल की थी। कुल 243 सीटों पर 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को वोट डाले गए। पहले चरण में कुल 71 सीटों पर 53।54 फीसदी, दूसरे चरण में 94 सीटों पर 54।05 फीसदी और तीसरे चरण में 78 सीटों पर 59।94 फीसदी मतदान हुआ। कोरोना के चलते ऐसा लग रहा था कि शायद मतदान में लोग कम हिस्सा लें और प्रचार का रंग फीका रहने से शायद चुनाव की तपिश महसूस न हो। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों से लेकर तेजस्वी की तूफानी सभाओं तक लोगों ने सक्रियता से मतदान में हिस्सा लिया और कोरोना एक बड़ी वैश्विक चुनौती होकर भी मतदान में बाधा नहीं बन सका। मतदान के लिए कोरोना को ध्यान में रखते हुए खास इंतजाम भी किए गए जिसके कारण लोगों ने बंपर वोटिंग भी की है।