महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार हमारी नीतियों के केन्द्र में होने चाहिये – राज्यपाल
उत्तराखण्ड राज्य स्थापना के 20 वर्ष पूरे,राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दी बधाई
देहरादून-राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने प्रदेशवासियों को उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँँ दी है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने इस अवसर पर राज्य निर्माण आंदोलन के सभी ज्ञात-अज्ञात अमर शहीदों तथा आंदोलनकारियों को नमन किया है। उन्होंने राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता के लिये अपना जीवन बलिदान करने वाले वीर सैनिकों एवं पुलिस कर्मियों को भी प्रणाम किया है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि इस वर्ष उत्तराखण्ड राज्य ने अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे कर लिये हैं। 20 वर्ष पूर्ण होने का दिन हमें यह अवसर प्रदान करता है कि इम ईमानदारी के साथ यह मूल्यांकन कर सकें कि हम राज्य की प्रगति और समृद्धि के लक्ष्य में कितना आगे बढ़े हैं। निश्चित रूप से इन बीस वर्षों में उत्तराखण्ड राज्य ने बहुत प्रगति की है। हमारे राज्य ने भारत के अन्य कई राज्यों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड की खुशहाली के लिये जरूरी है, कि यहां की महिलाएँ, यहाँ के नौजवान, यहाँ के किसान, व्यापारी सभी वर्गों एवं समुदायों के लोग प्रगति करें। उत्तराखण्ड निर्माण में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज भी राज्य के पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ ही अर्थ व्यवस्था और सामाजिक समृद्धि का मूल आधार हैं। हमें महिलाओं के समग्र कल्याण एवं सशक्तीकरण हेतु हर संभव कदम उठाने होंगे। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार हमारी नीतियों के केन्द्र में होने चाहिये। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा महिला स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिये कई कार्यक्रम प्रारंभ किये गये हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों को पाँच लाख रुपये तक ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे वह कई प्रकार के उत्पाद तैयार कर रहे है। इन उत्पादों को विश्व स्तरीय मार्केट उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें भी चाहिये कि हम अपनी दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं में स्थानीय महिला समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों को अधिक से अधिक सम्मिलित करें। मा. प्रधानमंत्री जी ने भी स्थानीय उत्पादों और व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिये ‘वोकल फॉर लोकल’ का नारा दिया है। स्थानीय उत्पादां की खरीदारी से हमारे महिला समूह आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, गाँवों की अर्थ व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे और हमारे सीमांत क्षेत्रों से पलायन रूकेगा। उत्तराखण्ड की पारंपरिक फसलों और अनाज को प्रोत्साहन देना भी आवश्यक है। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये 3900 जैविक क्लस्टरों में काम शुरू कर दिया गया है। किसानों को तीन लाख रुपये तक का लोन बिना ब्याज के दिया जा रहा है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिये हमें अपने गांवों को हर तरह से विकसित बनाना होगा। राज्य के प्रत्येक जनपद में कम से कम एक अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्राम को ‘मॉडल विलेज’’ बनाने का संकल्प मेरे द्वारा लिया गया है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि कोरोना काल में केन्द्र और राज्य दोनो ही सरकारों ने चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया। उत्तराखण्ड में कोरोना संक्रमण को रोकने तथा लोगो को राहत पहुंचाने के लिये हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में टेस्टिंग और सैम्पलिंग सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। अस्पतालों में आई.सी.यू. बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सपोर्ट, दवाइयों आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि कोरोना महामारी के समय में देशभर में आत्म निर्भर भारत का नारा भी दिया गया। कोरोना संकटकाल में अपने घर लौटे प्रवासी भाई बहनों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिये उत्तराखण्ड में भी स्वरोजगार योजना प्रारंभ की गई है। राज्य में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अन्तर्गत पिछले 6 माह में लगभग 800 प्रोजेक्ट स्वीकृत किये गये है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा को रोजगार से जोड़ते हुए राज्य में सौर स्वरोजगार योजना प्रांरभ की गई है, जिससे लगभग 10 हजार युवाओं और उद्यमियों को लाभ पहुंचेगा।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि ‘‘वर्तमान समय में शिक्षा का क्षेत्र भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। अभी भी स्कूल-कॉलेज पहले की भाँति नहीं खुल पाये हैं। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों के बाद भी हमारे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों ने जिस प्रकार ऑन लाइन पठन-पाठन का कार्य प्रारंभ किया, उससे मुझे अत्यंत हर्ष हुआ है। बच्चों की ऑन लाइन पढ़ाई के लिये मैने भी बहुत से जरूरतमंद विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन वितरित किये हैं, लेकिन यह कार्य किसी एक माध्यम से पूरा नही किया जा सकता। इसलिये मैं, सभी सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों, समाजसेवी संस्थाओं, उद्योगपतियों से अपील करती हूँ कि अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंद बच्चों को ऑन लाइन पढ़ाई हेतु स्मार्ट फोन उपलब्ध करायें। इस अवधि में मैने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से नियमित संवाद किया है। उच्च शिक्षा में पठन-पाठन, शोध कार्य, प्रवेश परीक्षाओं एवं वार्षिक परीक्षाओं के आयोजन संबंधी दिशा-निर्देश भी दिये है। समाज के सभी कर्णधारों को मिलकर स्थिति सामान्य करने में अपना योगदान देना होगा।’’राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि आत्म निर्भर भारत में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका है। होम स्टे योजना के माध्यम से राज्य में होम स्टे को बढ़ावा दिया जा रहा है। होम स्टे के साथ-साथ योग-ध्यान, पंचकर्म केन्द्र एवं आयुर्वेदिक औषधियों तथा ग्रामीण उत्पादों की छोटी-छोटी दुकाने संचालित पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। चारधाम और इनके आस-पास के मंदिरों के प्रबंधन के लिये देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है, जिसके भविष्य में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिये केन्द्र सरकार भी प्रतिबद्ध है। केन्द्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोड़ की परियोजनाएँ प्रदेश के लिये स्वीकृत हुई हैं। बहुत सी योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पिछले साल 15 अगस्त को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में एक चालू नल कनेक्शन उपलब्ध कराना है। जल संकट दूर करने के लिए हमें वर्षा जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके साथ ही परंपरागत जल स्रोतों और जलाशयों का जीर्णाद्वार भी किया जाना आवश्यक है। भूमिगत जल के दोहन को नियंत्रित करना भी अत्यंत आवश्यक है। हमें अपने पर्यावरण, विषेश रूप से वनों का संरक्षण करना होगा, तभी हम जल संरक्षण के अपने उद्देश्य में सफल हो पाएंगे। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि प्रदेश की अगले वर्ष के प्रारम्भ में ही हरिद्वार कुम्भ का आयोजन है। गंगा की निर्मलता और शुद्धता कुंभ के आयोजन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिशा में नमामि गंगे योजना के उत्तराखण्ड में अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे है। कुंभ के आयोजन के लिए सरकार द्वारा सभी तैयारियां की जा रही है।