मुंबई से बड़ी खबर….रिपब्लिक के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी गिरफ्तार

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नई दिल्ली/देहरादून(उद ब्यूरो)। रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने घर में घुसकर गिरफ्तार किया और अपने साथ अलीबाग ले गई है। वहीं रिपब्लिक टीवी ने कुछ वीडियो भी शेयर किए हैं जिसमें पुलिस और अर्नब के बीच झड़प होती दिख रही है। वहीं इस मामले में अब केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने एडिटर की गिरफ्तारी के बाद ट्वीट किया और इस कार्यवाही को पत्रकारिता पर हमला करार दिया,”मुंबई में प्रेस-पत्रकारिता पर जो हमला हुआ है वह निंदनीय है। यह इमरजेंसी की तरह ही महाराष्ट्र सरकार की कार्यवाही है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं।” जानकारी के लिए बता दें कि मुंबई पुलिस ने अर्नब को 2018 से जुड़े एक केस के चलते गिरफ्तार किया है। पुलिस महानिरीक्षक संजय मोहिते ने पुष्टि करते हुए बताया कि अर्नब गोस्वामी को रायगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया और अलीबाग ले जाया गया है। जहां आज उन्हें स्थानीय अदालत के सामने पेश किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ अर्नब गोस्वामी ने मुंबई पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस ने सास.ससुर बेटे और पत्नी के साथ मारपीट की है। रिपब्लिक टीवी ने अपने वीडियो फुटेज में दावा किया है कि मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के साथ भी मारपीट की है। आपको बता दें कि मामला 2018 का हैए 53 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक मई 2018 में अलीबाग तालुका के कावीर गांव में अपने फार्महाउस पर मृत पाए गए थे। अन्वय फर्स्ट का शव फ्लोर पर मिला जबकि उनकी मां का शव ग्राउंड फ्लोर पर मिला था। इसके बाद 48 वर्षीय अन्वय की पत्नी अक्षता नाइक ने मामला दर्ज कराया था। उस घटना के बाद जो सुसाइड नोट मिलाए उसमें मृतक ने आरोप लगाया था कि उसे और उसकी मां को अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ाए क्योंकि उन्हें अर्नब गोस्वामी और दो अन्य फिरोज शेख और नितेश सरदा के द्वारा 5ण्40 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया। मई 2020 में अन्वय नाइक की बेटी अदन्या ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख से से दोबारा जांच करने की गुहार लगाई। अदन्या ने आरोप लगाया कि अलीबाग पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की थी। इसके बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने नए सिरे से जांच की घोषणा की। इससे पहले स्थानीय पुलिस ने यह कहते हुए मामला बंद कर दिया था कि मामले में दर्ज लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे।

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