सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूछा, ब्लैकमेलर अब हरदा के दोस्त बन गये?
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वह उनसे पूछना चाहते हैं कि जब उनका स्टिग हुआ था, तब यह व्यत्तिफ़ ब्लैकमेलर और स्टिंगबाज था। आज हरीश रावत की उससे क्या दोस्ती हो गई। उसका भी तो कुछ रहस्य ऽोलो। रहस्य को दबाए मत रिऽए, अन्यथा जनता पूरा रहस्य ऽोल देगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि कोविड काल के दौरान कोशिश रही कि अधिक लोगों को मिल सकें। अब समस्या कुछ कम हुई है, प्रवास में तेजी लाए हैं। इसीलिए सरकार और संगठन के लोगों से कहा है कि जनता से संवाद बनाएं। इसकी ऽुद मैंने पहल की है। विभागीय कार्यों की समीक्षा रूटीन है। साल में एक बार अवश्य इस तरह की समीक्षा की जाती है कि विभागों को जो लक्ष्य दिए गए हैं, उन्हें कितना हासिल किया जा रहा है। बता दें कि हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अब फ्रंटफुट पर उतर आए हैं। हाईकोर्ट के फैसले को लेकर उनकी जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाने वालों को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि पद संभालने के दिन भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का वादा किया था। पिछले साढ़े तीन साल यही किया और पांच साल का कार्यकाल पूर्ण होने पर भी इस पर कायम रहेंगे। वह कांग्रेस महासचिव हरीश रावत को भी कठघरे में ऽड़ा करने से नहीं चूके। सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री के िऽलाफ पोस्ट के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगनादेश दे दिए जाने के बाद पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन साढ़े तीन सालों में तमाम तरह के षड़यंत्र हुए। माफिया और भ्रष्टाचारी तत्व इकट्टòा होकर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जिस नीति पर हम चलते रहे हैं, उस पर पूरी तरह अडिग हैं। उन्होंने कहा कि कोई हमें हमारे रास्ते से अलग नहीं कर सकता। साथ ही बोले कि भ्रष्टाचारियों और माफिया को इस राज्य में पनपने नहीं दिया जाएगा। इससे पहले के मुख्यमंत्रियों के साथ भी उन्होंने ऐसा ही किया। भ्रष्टाचारी चाहते हैं कि सरकार को ब्लैकमेल किया जाए, लेकिन उन्हें अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए। हाईकोर्ट का फैसला आने पर कांग्रेस ने इसे लपकते हुए सियासी मुददा बना दिया था। यहां तक कि सरकार की बऽार्स्तगी की मांग को लेकर राजभवन कूच तक कर दिया। गौरतलब है कि आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस, दोनों पूरी शिद्दत से चुनावी तैयारियों में जुटी हुई हैं। ऐसे वत्तफ़ पर हाईकोर्ट के मुख्यमंत्री के िऽलाफ सीबीआइ जांच के आदेश ने सरकार को बड़ा झटका दिया। इसके बाद एक्शन में आई सरकार ने अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दीं। इस पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से सरकार को राहत मिल गई। नए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के पहले उत्तराऽंड दौरे के दौरान मिले मुद्दे को कांग्रेस ने तुरंत इस्तेमाल किया। इस मुद्दे पर सरकार की बऽार्स्तगी की मांग को लेकर कांग्रेस ने राजभवन से मुलाकात का समय मांगा। समय न मिलने पर गुरुवार को कांग्रेस ने राजभवन कूच कर सरकार को कठघरे में ऽड़ा करने की कोशिश की। हालांकि इसी दौरान यह ऽबर आ गई कि त्रिवेंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। इधर भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करने में देरी नहीं की। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और मुख्य प्रवत्तफ़ा मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुख्यमंत्री को बदनाम और सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने वालों को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, भाजपा पिछले साढ़े छह सालों में उत्तराऽंड में लगातार मजबूत होकर उभरी है। इस दौरान लगातार दो लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें भाजपा की झोली में गईं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज की। इसके ठीक उलट, कांग्रेस का जनाधार सिमटता जा रहा है। उत्तराऽंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में से दो में जीत हासिल कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस मौजूदा विधानसभा में केवल 11 सदस्यों के आंकड़े के साथ विपक्ष की भूमिका निभा रही है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री और भाजपा सरकार को घेरने के लिए यह बड़ा मुद्दा हो सकता है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के लिए व्यत्तिफ़गत रूप से भी बड़ी राहत इसलिए है क्योंकि सत्ता संभालने के दिन से ही उन्होंने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का एलान किया था। पिछले साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई मामलों में सख्त एक्शन लेकर ऐसा संदेश थी दिया है।