उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश से सियासी भूचाल,कांग्रेस ने भी खोला मोर्चा

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कांग्रेस प्रदेश प्रभारी यादव बोले: चुप नहीं बैठेगे,इस्तीफा दें सीएम त्रिवेंद्र
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड की सियासत में नैनीताल हाईकोर्ट के एक फैसले से सियासी भूचाल आ गया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाये गये है कि नोटबंदी के बाद झारखंड के एक व्यक्ति ने पैसा भेजा जो एक महिला के खाते में डाले गये थे और सीएम को देने की बात कही गई। इस प्रकरण में याचिकाकर्ता उमेश शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए जहां भ्रष्टचार के आरोपों की जांच के लिये हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिये है वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी निष्पक्ष जांच के साथ ही तथाकथित ब्लैकमेलिंग प्रकरण की सच्चाई को जनता समक्ष लाने के लिये खुद सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल करने की बात कही है। इधर मुख्यमंत्री पर लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिये एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने के आदेश के बाद विपक्षी दर्ज कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस राजधानी देहरादून में के प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पर न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस का प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल से इस बारे में मुलाकात करेगा। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री को अब पद पर नहीं रहना चाहिये। हरीश रावत ने कहा कि सीबीआई को जल्द केस दर्ज करना चाहिए। साथ ही कहा कि राज्य की पुलिस पर भरोसा नहीं किया, इसके चलते मामला सीबीआई को दिया गया। सीएम हरीश रावत ने कहा कि मामले की जांच की पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए सीएम को अपने पद से त्यागपत्र देना चाहिए। कांग्रेस राज्यपाल से मुलाकात कर सीएम के इस्तीफे की मांग करेगी। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि हमेशा से कांग्रेस की आवाज को दबाया गया है। अब इस मामले में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और इंदिरा हृदयेश राज्यपाल से मुलाकांत करेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते, तब तक कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिऽने के मामले में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया है। साथ ही पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के  खिलाफब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया । मुकदमे के अनुसार उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में खबर चलाई की प्रो हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ सविता रावत के खाते में नोटबन्दी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैंसे जमा किए और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा । इस वीडियो में डॉ सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है । रिपोर्ट कर्ता के अनुसार ये सभी तथ्य असत्य हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाये हैं । उसने उनके बैंक खाते की सूचना गैर कानूनी तरीके से प्राप्त की है । इस बीच सरकार ने आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर भी लगा दी थी । उमेश शर्मा ने अपनी गिरफ्रतारी पर रोक के लिये हॉइकोर्ट में याचिका दायर की थी । उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवत्तफ़ा कपिल सिब्बल व अन्य ने पैरवी की थी। उनकी दलील थी कि नोटबन्दी के दौरान हुए लेनदेन के मामले में उमेश शर्मा के खिलाफ झारखंड में मुकदमा दर्ज हुआ था । जिसमें वे पहले से ही जमानत पर हैं । इसलिये एक ही मुकदमे के लिये दो बार गिरफ्रतारी नहीं हो सकती । पत्रकार उमेश कुमार व अन्य के खिलाफ देहरादून के अमृतेश चौहान द्वारा मामला दर्ज किया था। सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने प्राथमिकी को निरस्त कर दिया।

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