हरक सिंह से अच्छे रिश्ते हैं,अभी उनकी उम्र भी ऐसी नहीं कि वो चुनाव न लड़ सकें: नेता प्रतिपक्ष

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हल्द्वानी।भाजपा सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत 2022 के विधानसभा चुनाव में चुनाव नहीं लडने के बयान के बाद अब नेता प्रतिपक्ष डा- इंदिरा हृदयेश के बयान ने उत्तराऽंड की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गरम कर दिया। वहीं कांग्रेस को एक बार फिर कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह के बहाने सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया। नेता प्रतिपक्ष ने अपने आवास में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुझे नहीं पता कि हरक सिंह ने ऐसा बयान क्यों दिया। मगर वह एक अच्छे और उत्साही व्यत्तिफ़ हैं। अभी उनकी उम्र भी ऐसी नहीं कि वो चुनाव न लड़ सकें। नेता प्रतिपक्ष ने यहां तक कहा कि अगर वह किसी कष्ट में है तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। जिसके बाद हम उनसे यह भी कहेंगे कि वे चुनाव लड़ें। 2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले हरक सिंह रावत ने कोटद्वार विधानसभा से चुनाव लड़ कांग्रेस के दिग्गज व तत्कालीन कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को हराया था। चार बागी जिन्हें त्रिवेंद्र सरकार मेें मंत्री पद मिला उसमें हरक भी शामिल हैं। शुक्रवार को अचानक उन्होंने कहा कि वह 2022 में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे मगर, राजनीति से सन्यास भी नहीं लेने जा रहे। जिसके बाद हल्द्वानी से नेता प्रतिपक्ष ने भी मीडिया के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हरक सिंह के उन लोगों से अच्छे रिश्ते हैं। चुनाव लडने के लिए हम ही उनसे कहेंगे। अगर वह कष्ट में होंगे तो बात कर उसे दूर करने की कोशिश भी की जाएगी। वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत को हाल में सरकार ने उत्तराऽंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाया था। जिसके बाद बोर्ड में बतौर सदस्य शामिल रहे पांच लोगों को भी हटा दिया गया। इससे पूर्व वन विभाग के अफसरों द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों को लेकर भी वनमंत्री की बयानबाजी चर्चाओं रही थी। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर मंत्रियों का अनादर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उत्तराऽंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से मंत्री को हटाने का तरीका अलोकतांत्रिक है। कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा का इजहार किया। जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इस प्रकरण में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि बीते दिनों राज्यमंत्री रेऽा आर्य का मामला उठा था। सरकार में बार-बार समन्वय की कमी देऽी जा रही है। मुख्यमंत्री मंत्रियों को नजरअंदाज कर रहे हैं, उससे उनकी नाराजगी जाहिर हो रही है। बोर्ड अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी वापस लेना का तरीका स्पष्ट कर रहा है कि हरक सिंह रावत आहत हैं। भविष्य में वह चुनाव लड़ते हैं या नहीं, यह निर्णय उन्हें ही लेना है। सरकार ने यह भी बता दिया कि वह अपने मंत्रियों की ही नहीं सुन रही। ऐसे में आम आदमी की सुनवाई किस तरह होगी, यह सवाल तैर रहा है।

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