यूपी पुलिस और मीडियाकर्मी आमने सामने:गांव से आये बच्चे ने कहाः ताऊ की छाती पर लात मारी,फोन छीन लिये है!
ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा: योगी
नई दिल्ली/लखनऊ(उद ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप और दरिंदगी की वारदात से पूरे देश में आक्रोश व्याप्त हो गया हैं। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्रतार कर लिया है, लेकिन अब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में गैगरेप की बात को सिरे से खारिज कर दिया गया है। इतना ही नहीं हारथरस में पीड़ित के घर जाने से मीडिया और विपक्षी दलों के नेताओं के जिये जिला प्रशासन ने बैन कर दिया है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को लेकर योगी सरकार निशाने पर है। हाल ही में हाथरस, बलरामपुर और भदोही में जिस तरह की घटना घटी उसके बाद से लोगों में काफी गुस्सा है। अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग की जा रही है। इस बीच, सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है। इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। आपकी यूपी सरकार प्रत्येक माता-बहन की सुरक्षा व विकास हेतु संकल्पब( है। यह हमारा संकल्प है-वचन है। इस बीच , ये भी जानकारी आ रही है कि हाथरस के डीएम और एसपी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज हैं और जल्द ही दोनों अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। देश में दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग हो रही है, लेकिन इस बीच स्थानीय प्रशासन की ओर से कई तरह की सख्ती बरती जा रही है। गांव में मीडिया की एंट्री पर रोक लगा दी गई, किसी नेता को जाने नहीं दिया जा रहा है, खुद डीएम जाकर परिवार से धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं। ऐसे में एक ओर जहां पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो गये है तो वहीं योगी सरकार द्वारा मीडिया को पीड़ित के घर जाने से रोकने को लेकर विपक्षी दल भी हमलावर हो गये है। जिला प्रशासन द्वारा कई मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी करने का अरोप लगाया जा रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले गैंगरेप का शिकार हुई बिटिया का परिवार भी दहशत में है। पुलिस ने बिटिया के घर की घेराबंदी कर रखी है। किसी को निकलने नहीं दिया जा रहा है। आज उसका एक भाई खेतों के रास्ते पुलिसकर्मियों की नजर से बचते हुए जैसे तैसे गांव के बाहर मीडियाकर्मियों के पास आया और उसने पुलिस की बर्बरता की कहानी बताई। पीड़िता के भाई ने बताया कि हमारे परिवार को डराया धमकाया जा रहा है। उसने बताया कि उसकी भाभी मीडिया से मिलना चाहती है और कल डीएम ने उसके ताऊ की छाती पर लात मारी थी। वह बात कर रहा था कि इसी बीच पुलिसवालों की नजर उस पर पड़ गई और वह वहां से खेत के रास्ते भागते हुए घर निकल गया। पीड़िता के भाई ने कहा कि कुछ नहीं हो रहा है। फोन ले लिया गया है। किसी को निकलने नहीं दे रहे हैं। घरवालों ने मुझसे कहा कि आप लोगों को बुला लाऊं, बात करना चाहते हैं। मैं यहां छिपकर आया हूं। आने नहीं दे रहे हैं। हमारे ताऊ भी आ रहे थे। कल डीएम ने उनकी छाती पर लात मारा, फिर वह बेहोश हो गए थे। फिर कमरे में बंद कर दिया गया था। इस वत्तफ हाथरस में माहौल काफी गहमगहमी वाला हो गया है। पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहे टीएमसी नेताओं के दल को पुलिस ने रोका तो झड़प हो गई।इस धक्का मुक्की में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन जमीन पर गिर गए। टीएमसी नेता पीड़ित परिवार से मिलने पर अड़े हैं, लेकिन पुलिस किसी को गांव में जाने नहीं दे रही। यहां तक की मीडिया को भी प्रशासन ने गांव के बाहर रोक दिया है। पुलिस और पीएसी के जवान मीडिया को भी अंदर जाने नहीं दे रहे हैं। गुरुवार को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी को हाथरस जाने से रोका गया। अब शुक्रवार को टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को रोका गया और उनके साथ बदसलूकी की गई। इतना ही नहीं अब पीड़िता के गांव में मीडिया की एंट्री पर भी रोक लगा दी गई है। शुक्रवार को ही लखनऊ में इस मसले पर प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के नेताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस दौरान कई कार्यकर्ताओं को चोट आई, सपा प्रवत्तफा अनुराग भदौरिया को भी चोटें आई। जब ये सभी कड़ियां मिलती हैं तो प्रशासन के रवैये और उनके मकसद पर सवाल खड़े होते हैं। क्योंकि प्रशासन सच बाहर आने से बचना चाहता है, इसी वजह से किसी की एंट्री पर रोक लगा दी है। आखिर वो कौन-सी तस्वीरें सामने आई हैं, जिनसे प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़े होते हैं। हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार का एक वीडिया सामने आया, जिसमें वो पीड़िता के परिवार से बात कर रहे हैं। यहां डीएम परिवार से कह रहे हैं मीडिया आज है, कल चला जाएगा। आपको हमारे साथ रहना है, ऐसे में मदद स्वीकार कर लीजिए। साफ तौर पर डीएम परिवार को धमकाकर मामले को दबाने की कोशिश में जुटे हैं। हाथरस के ही एडीएम जेपी सिंह और वकील सीमा कुशवाहा का एक वीडियो सामने आया। जहां सीमा कुशवाहा पीड़िता के परिवार से मिलने जाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन एसडीएम उन्हें आगे नहीं जाने दे रहे हैं। बता दें कि सीमा कुशवाहा ने ही दिल्ली की निर्भया का केस लड़ा था और उन्होंने हाथरस की निर्भया के परिवार को मदद की बात कही है। हाथरस जिले की सीमाएं सील कर दी गई हैं, साथ ही धारा 144 लगाई गई है। इसके अलावा प्रशासन ने मीडिया को गांव के अंदर जाने से रोक दिया है। मीडिया के अलावा विपक्ष के नेताओं को भी जिले में नहीं जाने दिया जा रहा है। साफ है कि प्रशासन ने इस मामले में जिस तरह से रिएक्ट किया है, उसपर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। एक तरफ तो प्रदेश सरकार एसआईटी बनाकर सात दिन में मामले की जांच का भरोसा देती है, दूसरी ओर यूपी पुलिस बयान देकर कहती है कि पीड़िता का रेप ही नहीं हुआ था। इसके अलावा फाॅरेंसिंक रिपोर्ट में भी यही दावा किया जाता है कि पीड़िता का यौन शोषण नहीं हुआ था, सिर्फ हार्ट अटैक से मौत हुई थी। ऐसे में पुलिस और प्रशासन के रवैये को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं और आरोप लग रहे हैं कि सच्चाई से दूर रखा जा रहा है और मामले में कुछ छुपाया भी जा रहा है।