मलबे को निहारती सूनी आंखें और जुबां पर दर्द व बेबसी
सुनील राणा
रुद्रपुर। आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ था। उस दौरान देश के विभिन्न भागों में शरणार्थियों की तरह जिंदगी गुजारने के बाद जब बड़े बुजुर्ग रूद्रपुर आये तो यह कस्बा एक जंगल की तरह था। कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद इस बियावान को बुजुर्गों ने सींचकर पल्लवित किया और धीरे धीरे यह रूद्रपुर शहर देश के मानचित्र पर अंकित हो गया। कृषि क्षेत्र के साथ साथ इस शहर की पहचान उद्योगनगरी के रूप में भी होने लगी और नगर में नित नए प्रतिष्ठान स्थापित होने लगे। बड़े बुजुर्गों की विरासत को उनकी पीढ़ियों ने संभाला और उन्होंने कभी यह कल्पना नहीं की होगी कि रूद्रपुर का मुख्य बाजार जो इस शहर का हृदयस्थल है आज वह मलबे और खण्डहर में तब्दील हो जायेगा। मानों हर तरफ अब शहर के लोगों की सूनी आंखें इसको निहारती हैं और जुबान पर सिर्फ दर्द और बेबसी बयां होती है। हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अतिक्रमण की इस अंधी दौड़ में बिना सोचे समझे वह शामिल हो गये जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि जब भी कोई भी शहर विकास की दौड़ में शामिल होता है तो उसका प्रारम्भ कहीं न कहीं विनाश से होता है। जिस प्रकार से रूद्रपुर में एनएच 74 के चौड़ीकरण, फ्रलाईओवर, रामपुर से काठगोदाम हाईवे सड़क का निर्माण का कार्य प्रगति पर है ऐसे में कहीं न कहीं रूद्रपुर का मुख्य बाजार भी प्रभावित होना लग रहा था। हालांकि सभी का कहना है कि वह हाईकोर्ट के आदेश कापूर्ण सम्मान करते हैं लेकिन यदि सरकार और प्रशासन आम जनमानस की परेशानियों और दुश्वारियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय में समय रहते उचित पैरवी करता तो संभवतः उन्हें समय भी मिल जाता और एक प्रक्रिया के तहत यह अतिक्रमण हटाया जाता तो संभवतः इस प्रकार की भयावह स्थिति से उन्हें राहत मिल सकती थी। शहर में चल रहे अतिक्रमण अभियान को लेकर आज विभिन्न व्यापारियों और युवाओं से बात की गयी। हालांकि वह कुछ भी अधिक कहने से हिचकिचाते रहे मानो उन्हें कुछ भय सा था लेकिन मन की पीड़ा को उजागर करने से उन्होंने गुरेज नहीं किया।उनके शब्दों में दर्द, बेबसी, निराशा और कहीं न कहीं आक्रोश भी था।
प्रशासन का तरीका अव्यावहारिक और मनमानाःतागरा
रूद्रपुर। श्री सनातन कन्या महाविद्यालय के संस्थापक और प्रबंधक विवेक तागरा ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश सर्वोपरि है और वह उसका पूरा सम्मान करते हैं लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के पश्चात जिस प्रकार से प्रशासन ने उसका अनुपालन किया है वह तरीका अव्यावहारिक और मनमाना है। यदि अतिक्रमण को हटाना था तो उसके लिए एक ऐसा रास्ता निकालना चाहिए था कि जिससे शहर के व्यापारियों व कारोबारियों का कम से कम नुक सान होता और अतिक्रमण भी एक प्रक्रिया के तहत हटाया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रशासन की कार्यशैली सही नहीं रही जिसका खामियाजा शहर के तमाम लोग भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सरकार के कहने पर तमाम लोगों ने अपनी अपनी भूमि का फ्रीहोल्ड कराया और अधिकांश लोगों ने फ्रीहोल्ड के नाम पर धनराशि जमा करा दी लेकिन अब न्यायालय ने सरकार की उस फ्रीहोल्ड नीति को निरस्त कर दिया जिससे हजारों लोगों की आशाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा हे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को फ्रीहोल्ड प्रक्रिया से पहले केंद्र सरकार से सामंजस्य बनाकर अनुमति लेनी चाहिए थी ताकि लोगों को राहत मिल सके लेकिन अब फ्रीहोल्ड करा चुके लोग भी अनिश्चय की स्थिति में हैं।
नेताओं की आपसी खींचतान से देखा यह दिनःगंभीर
रूद्रपुर। शहर के टैंट व्यवसायी राकेश गंभीर ने कहा कि नगर निगम व जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान की जद में अब पूरा शहर आ गया है और अब हर कोई इससे प्रभावित हो रहा है। कोई आंशिक रूप से तो कोई पूर्ण रूप से इस अतिक्रमण अभियान की चपेट में आ चुका है। शहर के अधिकांश व्यापारियों का कारोबार ठप हो चुका है। इस पूरे मामले में यदि कोई दोषी है तो वह नेताओं और व्यापारियों की आपसी खींचतान है। जिसके चलते आज शहर के व्यापारियों को यह दिन देखना पड़ रहा है। हर तरफ शहर मलबे का ढेर बनता जा रहा है। जिस प्रकार से दुकानों पर जेसीबी गरजी है और उसके भय से अब व्यापारी स्वयं अपना निर्माण ध्वस्त करने में लगे हैं उससे व्यापार पूरी तरह खत्म हो रहा है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। गंभीर ने कहा कि जब भी यह मामला सरकार और नेताओं के संज्ञान में आया था तभी इस मामले की पैरवी करनी चाहिए थी लेकिन अब जब बाजार में जेसीबी गरज रही है तब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रही है। उन्होंने कहा कि इस ध्वस्तीकरण कार्रवाई के चलते शहर का व्यापार अब पांच वर्ष पीछे चला गया है जिसे पटरी पर लाने में समय लगेगा।
तोड़फोड़ की जगह निगम करता टैक्स निर्धारणःमिगलानी
रूद्रपुर। शहर के मिठाई विक्रेता मनोहरलाल मिगलानी ने कहा कि जिला एवं नगर निगम द्वारा चलाये जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान से शहर का व्यापार अब डांवाडोल स्थिति में पहुंच चुका है और शहर का व्यापार अब खत्म होता जा रहा है। क्योंकि लगातार हो रही तोड़फोड़ से आसपास का ग्राहक अब बाजार में आने से घबरा रहा है। क्योंकि शहर के बाजार की हर गलियों में मलबे के ढेर लगे हुए हैं। ऐसे में किसी भी अनहोनी की आशंका से कोई बाजार आना नहीं चाहता और सभी मॉल की ओर रूख कर रहे हैं। श्री मिगलानी ने कहा कि इस अभियान से पहले प्रशासन को व्यापारियों की सुननी चाहिए थी और उन्हें अतिक्रमण हटाने के लिए समय देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि नगर निगम व जिला प्रशासन इस तोड़फोड़ की जगह कोई बीच का रास्ता निकालता और व्यापारियों पर एक टैक्स निर्धारित कर देता ताकि नगर निगम को राजस्व अर्जित होता और उसका सदुपयोग शहर के विकास में होता। उन्होंने कहा कि आज से 10वर्ष पूर्व नगर पालिका में व्यापारियों की बैठक की गयी थी तब तत्कालीन ईओ से शहर में पार्किंग बनाने काप्रस्ताव रखा गया था जिस पर पालिका प्रशासन ने पार्किंग बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी शहर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गयी और जिस प्रकार बाजार में सैकड़ों की संख्या में वाहन प्रवेश कर जाते हैं असली अतिक्रमण के जिम्मेदार वह हैं क्योंकि वाहनों की बाजार में रैलमपेल से पूरा व्यापार प्रभावित होता है और आम जनमानस को बाजार में प्रवेश करने का मौका नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि अब निगम प्रशासन पार्किंग की दिशा में ठोस कदम उठाये और बाजार को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए पार्किंग का निर्माण कराये।
बुजुर्गों की धरोहरें हुईं नष्टःहन्नू
रुद्रपुर,17 जुलाई। देश के विभाजन के बाद बुजुर्गों ने आने वाली पीढ़ियों के लिए जो धरोहरें स्थापित की थीं वह अब नष्ट हो गयी हैं। अब युवा पीढ़ी को पुनः जमीन से उठकर आसमान तक का सफर तय करना होगा। यह बात शहर के युवा व्यापारी दलजीत सिंह हन्नू ने कही। हालांकि उनके शब्दों में पीड़ा के साथ साथ कुछ व्यंग्य भी था जिसमें हन्नू ने कहा कि वह इस शहर की दुर्दशा के लिए उन सभी लोगों का आभार जताते हैं। उन्होंने कहा कि बचपन से एक कहावत सुनते आ रहे थे कि ‘दादा खरीदे और पोता बरते’ लेकिन अब यह कहावत उलट साबित हो रही है कि जब शहर में यह अतिक्रमण अभियान के दौरान हुई तोड़फोड़ में कहना पड़ रहा है कि ‘दादा खरीदे और पोता मलबा समेटे। हालांकि हन्नू के इस व्यंग्य में भी पीड़ा झलकती है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से शहर में तोड़फोड़ हुई है उसके लिए शब्दों में बयां करना मुश्किल है। बाजार अब कहीं से भी बाजार नजर ही नहीं आता। मानों ऐसा लग रहा है कि यह बाजार अब मात्र खण्डहर साबित हो रहा है।
सरकार और जनप्रतिनिधि करते पहले प्रयासःप्राण
रूद्रपुर। अब जब शहर की प्रत्येक गली में तोड़फोड़ हो रही है और 50 प्रतिशत से अधिक अतिक्रमण ध्वस्त किया जा रहा है ऐसे में सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही है जो अब निरर्थक है क्योकि यदि रूद्रपुर शहर के व्यापारियों के हित में सरकार और जनप्रतिनिधियों को साथ देना था तो वह इस अतिक्रमण हटाओ अभियान से पहले ही न्यायालय की शरण में जाते ताकि शहर के व्यापारियों को राहत मिलती। यह पीड़ा मनिहारी गली के व्यापारी प्राण ठक्कर ने अपने शब्दों में उकेरी। उन्होंने कहा कि प्रशासन की टीम अब बिना सूचना के बाजार में प्रवेश कर जाती है और बिना बताये किसी भी गली में अतिक्रमण ध्वस्त कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि गत दिवस मनिहारी गली में भी जेसीबी के जरिये तोड़फोड़ की गयी। अब बरसात का मौसम है और मात्र कुछ फिट रह गयीदुकानों का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि अब बाजार में ग्राहक आने से कतरा रहे हैं और शहर का व्यापार आधे से भी कम रह गया है। आने वाले समय में लगातार बरसात का मौसम है ऐसे में शहर की दुश्वारियां और बढ़ने की संभावना है जिससे निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने कोई पहल नहीं की है।
रूद्रपुर में बने सीरिया जैसे हालातःआकाश भुसरी
रुद्रपुर,17 जुलाई। युवा व्यापारी आकाश भुसरी ने कहा कि जिस प्रकार से प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया है उससे शहर में सीरिया जैसे हालात नजर आ रहे हैं जहां मानों हर तरफ तबाही का मंजर नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में उनका घर और दुकानें भी जद में आ रही हैं और यदि जिस प्रकार प्रशासन यह कार्रवाई कर रहा है उससे वह पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे और बुजुर्गों की कमाई गई सम्पत्ति समाप्त हो जायेगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने बिना किसी रणनीति के तहत अतिक्रमण हटाओ अभियान प्रारम्भ कर दिया जिससे शहर की स्थिति बदहाल हो गयी है। व्यापार बिल्कुल हाशिए पर आ चुका है। मानसून आ चुका है और जिस प्रकार से शहर के चारों ओर मलबा पड़ा हुआ है उससे बाजार की और बदतर दुर्दशा हो जायेगी। शहर का व्यापार कई वर्ष पीछे चला गया। यदि प्रशासन तीन माह का समय दे देता तो संभवतः व्यापारी स्वयं ही निर्माण ध्वस्त कर लेते। प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए सीवर टैंक तक तोड़ दिये जिससे महिलाओं और बच्चों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि ऐसे कई मकानों की सीढ़ियां भी ध्वस्त कर दी गयी हैं जहां से कोई प्रवेश नहीं कर सकता।