सभा मंडप में बैठे 30 विधायक,तीन घंटे चला सदन,19 विधेयकों पर लगी मुहर: रघुनाथ
कैबिनेट मंत्री आर्य समेत 14 विधायक वर्चुअली जुड़े
देहरादून। विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चैहान ने सत्र स्थगित होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सत्र बेहद कामकाजी रहा। सदन 3.06 घंटे चला, जबकि 2.09 घंटे का व्यवधान रहा। उन्होंने बताया कि सत्र में पारित विधेयकों में से जिन पर चर्चा होनी थी, वह हुई। इस बार प्रश्नकाल स्थगित किया गया था। इसे देखते हुए विधायकों के 1048 प्रश्नों में से 78 के लिखित में जवाब उपलब्ध कराए गए। विस उपाध्यक्ष चैहान ने बताया कि सत्र से कुल 56 विधायक जुड़े रहे। 30 विधायक सभामंडप में बैठे, जबकि 12 विधायक पत्रकार, दर्शक व अधिकारी दीर्घाओं में। एक मंत्री समेत 14 विधायक वर्चुअली सत्र से जुड़े। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, विधायक बंशीधर भगत, हरबंस कपूर, भरत सिंह चैधरी, दलीप सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल, चंदन रामदास, महेश नेगी, गोविंद सिंह कुंजवाल, संजीव आर्य, हरभजन सिंह चीमा, चंद्रा पंत, मीना गंगोला व देशराज कर्णवाल बर्चुअली जुड़े। कोरोना के साये में हुए विधानसभा के एक दिनी मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने तेवर तो जरूर दिखाए, मगर इसका कोई खास असर सरकार पर पड़ता नजर नहीं आया। सदन में कांग्रेस के विधायकों की संख्या सिर्फ पांच थी, जबकि एक विधायक वर्चुअली जुड़े। हालांकि, विपक्ष ने कोरोना के नाम शोरगुल जरूर किया, मगर साफ झलक रहा था कि उसने सत्र के लिए पर्याप्त होमवर्क नहीं किया है। यही वजह रही कि सत्र में कार्यस्थगन के लिए तय किए कोरोना-आपदा, महंगाई, बेरोजगारी व कानून व्यवस्था जैसे विषयों को भी विपक्ष नहीं रख पाया। पहली दफा ऐसा भी हुआ जब सदन के भीतर न मंत्रियों पर सवालों की बौछार हुई और न ही जवाब को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक। कोरोना के साये में बुधवार को एक दिनी सत्र की यह सूरत देखने को मिली। इस दौरान सरकार सभी 19 विधेयक पारित कराने में कामयाब रही। सदन की कार्यवाही को महज तीन घंटे छह मिनट बाद ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। कोरोना महामारी की वजह से बुधवार का विधानसभा सत्र की तमाम कार्यवाही सीमित तरीके से अंजाम दी गईं। सुबह 11 बजे से सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सबसे पहले दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डाॅ प्रणब मुखर्जी को भावपूर्ण श्र(ांजलि दी गई। इसके बाद दिवंगत पूर्व विधायकों बृजमोहन कोटवाल व नारायण सिंह भैंसोड़ा को भी सदन ने श्र(ांजलि अर्पित की। प्रश्नकाल नहीं हुआ। विधायकों को अल्पसूचित सवालों के लिखित जवाब मिले। प्रश्नकाल नहीं होने से विधायकों के तारांकित प्रश्नों के जवाब स्थगित रहे। उन्हें लिखित उत्तर थमाए गए। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने सदन के पटल पर महालेखाकार लेखा परीक्षा उत्तराखंड की पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट रखी। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की 2018-19 के वित्त लेखे व विनियोग लेखे और 31 मार्च, 2019 के लिए राज्य के वित्त पर आॅडिट रिपोर्ट पेश की गई। दोपहर एक बजे के बाद सत्र की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने 19 विधेयक सदन के पटल पर रखे। श्रम विधेयकों पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष के विधायकों मुन्ना सिंह चैहान, सुरेंद्र सिंह जीना ने कारखानों के साथ श्रमिकों के हितों को भी सुरक्षित रखने की पैरोकारी की। दोपहर भोजनावकाश के बाद इन सभी विधेयकों पर सदन की मुहर लग गई। शाम सवा चार बजे विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, चार कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, अरविंद पांडेय व सुबोध उनियाल, राज्यमंत्री ;स्वतंत्र प्रभारद्ध रेखा आर्य समेत सत्तापक्ष और विपक्ष के 42 विधायक मौजूद रहे। सुरक्षित शारीरिक दूरी समेत कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करने के लिए विधानसभा के मौजूदा मंडप का विस्तार किया गया था। विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 71 है। यह भी पहली दफा हुआ कि कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य समेत 14 विधायकों ने वर्चुअल तरीके से सत्र की कार्यवाही में भाग लिया। कोरोना संक्रमित होने की वजह से विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, नेता प्रतिपक्ष डाॅ इंदिरा हृदयेश, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा, कैबिनेट मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत, राज्यमंत्री ;स्वतंत्र प्रभारद्ध डाॅ धन सिंह रावत, विधायक हरीश धामी, पुष्कर धामी समेत कुछ विधायक सत्र में शामिल नहीं हो पाए।
पंचायत क्षेत्र से बाहर कहीं भी ठेके ले सकेंगे प्रतिनिधि
देहरादून। सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधियों को बड़ी राहत दे दी है। अब वे सिर्फ अपने क्षेत्र में ही लोकसेवक होंगे, इससे बाहर नहीं। यही नहीं, वे अपनी पंचायत से इतर अन्य क्षेत्रों में विभिन्न विभागों में ठेके भी ले सकेंगे। इस संबंध में बुधवार को विधानसभा के मानसून सत्र में पंचायतीराज संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया। इसके अधिनियम बन जाने के बाद यह व्यवस्था अमल में आ जाएगी। असल में, त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधि उन्हें लोकसेवक की श्रेणी से बाहर करने के साथ ही सरकारी ठेके लेने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। इस संबंध में पारित संशोधन विधेयक में साफ किया गया है कि अब पंचायत प्रतिनिधि केवल अपने क्षेत्र में ही लोकसेवक होंगे। साथ ही अपने क्षेत्र में वे सरकारी ठेके नहीं ले पाएंगे, लेकिन पंचायत से बाहर अन्य विभागों के ठेके लेने की उन्हें छूट रहेगी। पंचायतीराज एक्ट में एक और संशोधन विधेयक भी सदन में पारित किया गया। इसके मुताबिक वर्तमान में जिन ग्राम पंचायतों में प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के पद रित्तफ हैं और आपातकाल होने के कारण चुनाव कराना संभव न हो पा रहा हो, वहां ग्राम प्रधान के रित्तफ पदों पर प्रशासक बैठाए जाएंगे। इसके साथ ही ग्राम पंचायत सदस्य के रित्तफ पदों पर गांव के किसी प्रतिष्ठित व्यत्तिफ को नामित किया जा सकेगा। बता दें कि राज्य में 105 ऐसी ग्राम पंचायतें हैं, जहां प्रधानों के पद रित्तफ हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायत सदस्यों के पद रित्तफ रहने के कारण कोरम पूरा न होने से करीब सौ ग्राम पंचायतों में पंचायतें गठित नहीं हो पाई हैं। ऐसे में वह विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है। अब यह दिक्कतें दूर हो जाएंगी।