त्रिवेंद्र सरकार में हुई भर्तियों और रेखा आर्य के लेटर पर पूर्व सीएम ने साधा निशाना
आप दूसरे का टीका मिटाकर अपने सर को नहीं चमका सकते है:हरीश रावत
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड में सत्तासीन भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर पलटवार किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत सोशल मीडिया पर एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद में पारित कृषि कानूनों का विरोध करते हुए किसानों की समस्याओं का निस्तारण करने की गुहार लगाते हुए राष्ट्रपति से अपील की है तो वहीं अपने फेसबुक पोस्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत ने राज्य की त्रिवेंद्र सरकार द्वारा जारी किये गये सरकारी नौकरी के आकड़े और अपनी सरकार के कार्यकाल में हुई भर्तियों का जिक्र करते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री को हक है कि वो अपनी उपलब्धियों को प्रचारित करे, मगर उस प्रचार में कुछ तथ्य होने चाहिये। खैर इस बहस को मैं यहीं पर छोड़कर उनकी पार्टियों के ढोलचियों द्वारा उठाये गये 2 सवालों पर कुछ तथ्य राज्य की जनता के सम्मुख रखना चाहता हूं। हमारे कार्यकाल में जितनी महिलाओं की भर्ती पुलिस विभाग में, पी.आर.डी. में और होमगाड्र्स में भी, काश त्रिवेंद्र सिंह जी के साढे 3 साल के कार्यकाल में इतनी भर्तियां सारे राज्य में हुई होती, विकास के दावे ठोके जा रहे हैं, यदि विकास देखना है तो जो दल-बदल कर कांग्रेस से भाजपा में गये उनके निर्वाचन क्षेत्रों में जाकर देख लीजिये, वहां जितने भी विकास कार्यों के बोर्ड लगे हैं उसके 1/10वां हिस्सा भी बोर्ड श्री त्रिवेंद्र सिंह जी के कार्यकाल के नहीं हैं, 90» बोर्ड हरीश रावत के कार्यकाल के हैं, अभी तो त्रिवेंद्र सिंह जी आप डोईवाला में भी 50-50 विकास कार्यों को नहीं ला पाये हैं। जिस आॅल वेदर रोड, पहली बात तो यह है कि आॅल वेदर रोड नहीं है, ये चारधाम यात्रा सुधार परियोजना है, ये परियोजना की डी.पी.आर. बनने से लेकर के स्वीकृति से लेकर शिलान्यास मेरे कार्यकाल में हुआ था और मेरी अध्यक्षता में हुआ था, जिन मेडिकल काॅलेजों का बखान कर रहे हैं वो सब मेडिकल काॅलेज भी मेरे ही कार्यकाल में स्वीकृत हुये थे, बल्कि इनमें से कुछ मेडिकल काॅलेजों का मैंने नामकरण भी कर दिया था। विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, आप दूसरे के सर का टीका मिटाकर अपने सर को नहीं चमका सकते हैं, अपने सर को चमकाना है तो खुद कुछ पहल करिये और जब पहल होगी तो हमारी तरफ से तालियां बजेंगी।वहीं एक अन्य पोस्ट में पूर्व सीएम ने राज्यमंत्री रेखा आर्य के द्वारा अपने ही विभागीय अधीनस्थ अधिकारी के खिलाफ शिकायती पत्र का हवाला देते हुए भाजपा पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने लिखा है कि मैं समझता हूं मुझ जैसे राजनैतिक स्थिरता के वकीलों को भी अब चुप्पी साध लेनी चाहिये। हद हो गई है सरकार की एक मंत्री अपने विभागाध्यक्ष, जो अपर सचिव ;एडिशनल सेक्रेटरीद्ध भी हैं राज्य सरकार के उनको तलब करने के लिये ;उनको हाजिर करवाने के लियेद्ध पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख रही हैं और पत्र सार्वजनिक हो रहा है। सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है और भ्रष्टाचार के लिये सरकार का साहस खुली चुनौती दे रहा है, विभागाध्यक्ष कम विभागीय कमीशन पर आउटसोर्सिंग एजेंसी को नियुत्तफ करते हैं और मंत्री भारी फीस अदा कर आउटसोर्सिंग एजेंसी को उपकृत करना चाहती हैं, उनकी नजर में विभागाध्यक्ष का निर्णय गड़बड़ घोटाला है। अब राज्य वासियों आप तय करिये कि इसकी सजा किसको दी जानी चाहिये! अपर सचिव को? मंत्री को या पूरी भाजपा सरकार को?