कृषि विधेयक के खिलाफ हरीश रावत का मौन व्रत,त्यागपत्र मोदी जी के बड़े ड्रामे का हिस्सा तो नहीं है?
भाजपा सरकार को नहीं छोटे-मझोले किसानों को चिंता : हरीश रावत
देहरादून(उद ब्यूरो)। संसद में पारित केंद्र सरकार के कृषि विधेयक के खिलाफ सियासी घमासान शुरू हो गया है वहीं पंजाब में किसानों के आंदोलन को लेकर अपना समर्थन देते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने किसानों से संबंधित केंद्र सरकार के तीन विधेयकों को किसानों के खिलाफ साजिश करार दिया है। शुक्रवार को राजधानी देहरादून में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने किसानों से जुड़े तीन कानूनों को लोकसभा में पास करने विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ गांधी पार्क के मुख्य द्वार पर अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत दो घंटे का सांकेतिक मौन व्रत शुरू किया। यहां पत्रकारों से बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि किसानों के खिलाफ फैसला लेने के कारण मोदी सरकार की सहयोगी पार्टी अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार बड़े किसान के साथ खड़ी है उसे छोटे, मझोले करोड़ों किसानों की चिंता नहीं है। कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संसद में 6 अध्यादेशों को विधेयक के रुप में बिना बहस के पारित करवाने के षडड्ढंत्र का विरोध किया जायेगा। बोनस संबंधी अध्यादेश के अलावा अन्य अध्यादेशों को लेकर सार्वजनिक बहस व मजदूर संगठनों से परामर्श होना चाहिये। इस दौरान उत्तराखंड कांग्रेस किसान कमेटी के अध्यक्ष सुनील राठी ने कहा कि उत्तराखंड में किसान कांग्रेस राज्य स्तरीय आंदोलन करेगी। किसान की हक की लड़ाई पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में लड़ी जाएगी। इस मौके पर पूर्व कैबिनेट मंत्री मातबर सिंह कंडारी, प्रभुलाल बहुगुणा, सुरेंद्र अग्रवाल आदि मौजूद रहे। हरीश रावत के अनुसार किसान की परेशानी बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार 3 अध्यदेशों को संसद की मंजूरी देकर कानून बनाना चाहती है। संसद में ये विधयेक पेश किये जा चुके हैं, लोकसभा में एकाध विधेयक पारित भी हो चुका है। किसान व देश आशंकित है, ये तीनों विधयेक किसान की जमीन, किसान के अधिकार जो एमएसपी के रूप में उसको मिला था और मंडी कानून के रूप में जो संरक्षण मिला था, उसके खिलाफ षडड्ढंत्र है। ये कानून सस्ते गल्ले की वितरण प्रणाली के खिलाफ भी षडड्ढंत्र है, ये जमाखोरी को बढ़ायेगा, हमारी जमीनें हमारे नाम पर हों, मगर कांटेक्ट फार्मिग के नाम पर उसके असली संचालक अडानी और कोई बड़े-बड़े नाम होंगे, क्योंकि अमेरिका की तरीके से कृषि को चुनिंदा हाथों में देना है, वाह भई वाह। किसान के एक मात्र अधिकार को, जमीन के अधिकार को भी हम अपर्हित कर लेंगे, यह सहन नहीं किया जा सकता। चंपारण में किसानों ने जो अंग्रेजों के हाथ झेला उसको आगे किसान झेलने के लिये तैयार नहीं हैं, खैर इन तीनों विधेयकों के विरोध में सर्वप्रथम पंजाब से आवाज उठी, पंजाब के मुख्यमंत्री जी ने, वहां की प्रदेश कांग्रेस ने आवाज उठायी और आज ये आवाज एक सिंहनाद के रूप में देश की सड़कों और संसद में गूंज रही है। कुछ लोग जो सरकार में सम्मिलित हैं, वो भी डर के मारे सवालिया बन करके जनता को ठग रहे हैं, ऐसे ठगने वालों में शिरोमणि अकाली दल के सांसद भी हैं।
त्यागपत्र मोदी जी के बड़े ड्रामे का हिस्सा तो नहीं है?
देहरादून। कृषि विधेयकों व किसानों की मांगों को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया है। सोशल मीडिया पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है कि देश और दुनिया को ज्ञात है, श्री मोदी सरकार कब ये 3 किसान विरोधी अध्यादेश लायी, अकाली दल की सहमति से अध्यादेश आया। श्रीमती हरसिमरत कौर, मंत्रिमंडल की बैठक में थी। अब किसानों का प्रबल देखकर मंत्रिमंडल से त्यागपत्र, इतनी लंबी समर्थन युत्तफ चुप्पी का कारण कहीं यह त्यागपत्र भी मोदी जी के बड़े ड्रामे का हिस्सा तो नहीं है?