कुम्भकर्णी नींद से जागे जिला प्रशासन ने शुरू की मत्स्य पालकों को नोटिस देने की तैयारी
मनोज श्रीवास्तव
तो क्या दफन कर दिए जायेंगे करोड़ों के प्रतिबंधित थाई मांगूर ?
काशीपुर। केंद्र सरकार द्वारा सख्ती से पाबंदी लगाए जाने के बावजूद क्षेत्र के दर्जनों तालाबों में पल रहे करोड़ों के प्रतिबंधित थाई मांगुर की खबर 14 सितंबर के दर्पण में पृष्ठ संख्या आठ पर प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने के बाद यहां जिला प्रशासन पूरी तरह हरकत में है। मत्स्य विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर संजय कुमार गुरुरानी ने फोन पर बताया कि मामला प्रकाश में आने के बाद टास्क फोर्स को जांच के आदेश देने के साथ ही मछली पालकों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है। सहायक निदेशक ने बताया कि नोटिस देने के सप्ताह के भीतर यदि मछली पालकों ने स्वतः प्रतिबंधित मांगुर को नष्ट नहीं किया तो प्रशासनिक कार्यवाही अमल में लाते हुए टीम द्वारा जमीन खोदकर थाई मांगुर की खेप को उस में दफन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए स्थानीय एक अधिकारी को जांच में लगाया गया है । उन्होंने यह भी बताया कि कार्यवाही की सूचना परगना मजिस्ट्रेट को भी बाकायदा की जाएगी। कहा कि जरूरत पड़ी तो वह स्वयं भी मौके पर मातहत अधिकारियों को लेकर पहुंच सकते हैं। ज्ञातव्य है कि मानवीय जीवन व पर्यावरण के लिए भारी खतरे का संकेत बनी थाईलैंड में विकसित की जाने वाली थाई मांगुर मछली के पालन संवर्धन एवं विपणन पर सरकार द्वारा लगभग दो दशक पूर्व प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन मछली कारोबारी सरकार के सभी नियम कायदों को ताक पर रखकर कुछ भ्रष्ट अधिकारियों से सांठगांठ करते हुए कम समय में मोटी रकम कमाने को लेकर प्रतिबंधित मछलियों का पालन कर रहे हैं। दर्पण टीम द्वारा सर्वे करने पर पता चला कि काशीपुर के ग्राम बांसखेड़ा में श्री राम नामक एक कारोबारी ने गांव के छोर पर स्थित तालाब में बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित मछली पाल रखी है। इसी तरह लक्ष्मीपुर पट्टðी मार्ग पर मछली का कारोबार करने वाले जाकिर नामक एक अन्य कारोबारी ने रामनगर रोड पर बनवारी पेपर मिल के पीछे भारी भरकम तालाब में 50 कुंतल से भी अधिक प्रतिबंधित मछली तैयार कर रखी है। यहां दर्जनों एकड़ भूमि पर फैले लगभग डेढ़ दर्जन तालाबों में अन्य मछलियों का भी पालन किया जा रहा है। इसी तरह बाजपुर, जसपुर के अलावा महुआ खेड़ा गंज क्षेत्र में भी चोरी छिपे प्रतिबंधित मछली का पालन एवं विक्रय किया जा रहा है। मजे की बात यह भी है कि काशीपुर के मछली बाजार में प्रतिबंधित मछली खुलेआम बेची जा रही है लेकिन आज तक कभी किसी अधिकारी ने इस ओर कोई कार्यवाही नहीं की।
सड़ा गला मांस खिलाकर तैयार की जाती है थाई मांगुर
काशीपुर। प्रतिबंधित थाई मांगुर को तैयार होने में लगभग 3 माह का वक्त लगता है । मत्स्य पालक इसे जल्द तैयार करने के लिए स्लाटर हाउस से सड़ा गला मांस लाकर तालाबों में डालते हैं। जानकारों ने बताया कि गोवंशीय पशुओं के मांस के अलावा मुर्गे बकरे सूअर आदि के भी रद्दी व बचे हुए मांस थाई मांगुर के लिए तालाबों में डाले जाते हैं। चूंकि देसी मांगुर शाकाहार से तैयार होता है इसलिए इसे तैयार होने में लगभग 1 वर्ष का समय लगता है लेकिन थाई मांगुर पूरी तरह मांसाहारी है। जिस पानी में यह पलता है वह पानी भी पूरी तरह दूषित हो जाता है। इसके अलावा जलीय कीड़े मकोड़ों को यह खा जाता है। इसके सेवन से गंभीर बीमारियों के खतरे से भी इनकार नहीं किया जा सकता। मत्स्य पालन तालाबों में तैयार प्रतिबंधित थाई मांगुर को ठिकाने लगाने की जुगत में है। कोरोना महामारी की वजह से उन्हें इसका मौका नहीं मिल पा रहा है।