नई शिक्षा नीति में बदलाव की मांग
काशीपुर। सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति 2020 में उत्तराखण्ड के पक्ष में हुए विशेष बदलाव को लेकर आज शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंाी व् शिक्षामंाी को ज्ञापन भेजकर अविलंब कार्यवाही किये जाने की मांग की। भेजे ज्ञापन में शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि नई शिक्षा नीति को भारतीय संविधान के समानता, पंथनिरपेक्षता, समाजवाद, सामाजिक न्याय ,वैज्ञानिक चेतना के मानदंडों के अनुरूप बनाया जाय साथ ही सरकारी शिक्षा के निजीकरण,कारपोरेटी करण,एनजीकरण पर पूर्ण अंकुश लगे। भेजे ज्ञापन में संघ ने पुरानी पेंशन को बहाल कर रिटायरमेंट की उम्र 60 बर्ष ही रखे जाने की वकालत भी की । इसके अलावा शिक्षा पर सकल बजट का 10 प्रतिशत वास्तव में खर्च करने, काम्प्लेक्स स्कूल की अवधारणा पर रोक लगाने, प्राथमिक शिक्षा के ढांचे को यथावत रखते हुए सभी स्तरों के साथ साथ प्री प्राइमरी स्तर पर भी पूर्णकालिक शिक्षकों की भर्ती की भी मांग उठायी गयी। ज्ञापन में शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने यह भी आशंका जताई है कि सरकारी, प्राइवेट स्कूलों के पेयर;जोड़ाद्ध बनाने से सरकारी स्कूलों के संसाधनों पर प्राइवेट संस्थाओं का वर्चस्व हो जाएगा।शिक्षण मातृभाषा में कराए जाने के साथ बतौर बिषय जूनियर स्तर तक उत्तराखण्ड की बोलियों यथा कुमाउनी ,गढवाली आदि को बतौर बिषय पढ़ाये जाने की वकालत की गयी है।इसके अलावा ज्ञापन में कम से कम इंटर कक्षाओं तक सरकार द्वारा वित्तपोषित, पूरी तरह मुफ्त समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने, सरकारी स्कूलों के 5 किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्राइवेट विद्यालय को न खोलने, राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी सरकारी स्कूलों में केंद्रीय विद्यालयों जैसी सुविधा मुहैया करवाये जाने, राज्य सरकार से वेतन;या अन्य सुविधाद्धपाने वाले सभी के लिए अपने बच्चे सिर्फ सरकारी स्कूल में ही पढ़वाना अनिवार्य किया जाने,जो बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ें उनको उच्च शिक्षण संस्थानों व नाॅकरी में प्राथमिकता दिए जाने,जैसी मांगों को प्रमुखता से उठाया गया। ज्ञापन को देने वालों में उत्तरांचल कर्मचारी शिक्षक संगठन के मण्डलीय अध्यक्ष नवेंदु मठपाल,प्रदीप शर्मा प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष देवेंद्र चैधरी,रणधीर सिंह,आर के शर्मा,छापाल सिंह,कुशलवीर सिंह रहे।