उत्पाती बंदरों के खौफ से अब निजात…गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों में एक-एक बंदरबाड़ा तैयार करने के लिए 19 करोड़ के बजट दिया

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देहरादून। समूचे उत्तराखंड में मुसीबत का सबब बने उत्पाती बंदरों के खौफ से अब जल्द ही निजात मिल सकेगी। इनके लिए गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों में एक-एक बंदरबाड़ा तैयार करने के लिए 19 करोड़ के बजट का प्रविधान कर दिया गया है। सौ-सौ हेक्टेयर क्षेा के ये बंदरबाड़े जंगल में ही बनेंगे। हरिद्वार के चिड़ियापुर में इसके लिए भूमि चिर्ििंत कर ली गई है, जबकि कुमाऊं मंडल में उपयुक्त भूमि तलाशी जा रही है। बंदरबाड़ों में बंदरों को जहा प्राकृतवास मिलेगा, वहीं दिल्ली एनसीआर की असोला सेंचुरी की भाति इनके लिए भोजन की व्यवस्था की जाएगी। वर्तमान में राज्य का शायद ही कोई क्षेा ऐसा होगा, जहा उत्पाती बंदरों ने नाक में दम न किया हो। ये फसलों को तो भारी नुकसान पहुंचा ही रहे हैं, घर-आगन में धमककर हमले भी कर रहे हैं। इस सबको देखते हुए पूर्व हिमाचल की तर्ज पर बंदरों की संख्या पर नियंाण के उद्देश्य से बंध्याकरण की पहल हुई, लेकिन इसके अपेक्षित नतीजे नहीं मिल पा रहे हैं। ढाई करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी अभी तक करीब पाच हजार बंदरों का बंध्याकरण ही हो पाया है। यही नहीं, गाव-शहरों से इन्हें पकड़कर जंगल में छोड़ना भी खासा महंगा पड़ रहा है। लगातार गहराती इस समस्या को देखते हुए बंदरों को पकड़कर बंदरबाड़ों में रखने की योजना बनाई गई। राज्य वन्यजीव बोर्ड की पिछली दो बैठकों में बंदरबाड़ों के प्रस्ताव पर मुहर लगी, लेकिन इस दिशा में कार्रवाई अब तेज की गई है। वन एवं पर्यावरण मंाी डाॅ.हरक सिंह रावत के अनुसार गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में बनने वाले बंदरबाड़ों में बंदरों को अहसास ही नहीं होगा कि वे बाड़े में हैं। प्रत्येक बाड़ा सौ हेक्टेयर के वन क्षेा में बनेगा। इसके लिए जंगल की चहारदीवारी कर उसे जाल से ढका जाएगा। फिर बंदरों को पकड़कर इसमें डाला जाएगा। वह बताते हैं कि दिल्ली एनसीआर की असोला सेंचुरी की भाति इन बंदरबाड़ों में बंदरों के लिए भोजन का इंतजाम किया जाएगा। इसमें नागरिकों का सहयोग भी लिया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति बंदरों के लिए चना, फल आदि देना चाहे तो वह विभाग को उपलब्ध कराएगा और फिर यह सामग्री बाड़े में निर्धारित स्थल पर रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि गढ़वाल मंडल के अंतर्गत चिड़ियापुर के जंगल में जल्द ही बंदरबाड़े का निर्माण कार्य शुरु होगा। कुमाऊं मंडल में भी जल्द स्थल चयन के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।

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