गोल्डन ऐरोज में शामिल हुआ लड़ाकू राफेल
राजनाथ सिंह बोले- हमारी वायुसेना अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार
अंबाला। अंबाला एयरबेस पर सर्व धर्म पूजा के बाद राफेल लड़ाकू विमानों को इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया। राफेल विमान के बेड़े को 17 स्कवाॅड्रन गोल्डन ऐरोज में शामिल किया गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और Úांस की रक्षामंत्री फ्लोंरेस पार्ले की मौजूदगी में राफेल वायुसेना में शामिल हुआ। इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं ऐतिहासिक 17 स्कवाॅड्रन को विशेष बधाई देना चाहूंगा। भारतीय पराक्रम के इतिहास में आपका नाम चमकीले अक्षरों में दर्ज है। राफेल गोल्डन ऐरोज को नई चमक देगा। आप सभी राफेल, यानि श्तूफानश् की तरह गतिशील रहकर देश की ‘अखंडता’ और ‘संप्रभुता’ की रक्षा करते रहें। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ हमें खुद को तैयार रखना होगा, राष्ट्रीय सुरक्षा प्रधानमंत्री मोदी के लिए बड़ी प्राथमिकता है। राजनाथ सिंह ने कहा आप हमारे उत्तरी सीमा पर सुरक्षा चुनौतियों से भली-भांति अवगत हैं। ऐसे में अपनी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हमें और अधिक मुस्तैदी से तैयार रहना होगा। हमारी चैकसी ही हमारी सुरक्षा का सबसे पहला उपाय है। रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने फाॅर्वर्ड बेसेज पर जिस तेजी से अपने एसेट्स तैनात किए, वह एक भरोसा पैदा करता है, कि हमारी वायुसेना अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत की जिम्मेदारी उसकी क्षेत्रीय सीमा तक सीमित नहीं है हम हिंद-प्रशांत, हिंद महासागर क्षेत्र में शांति के लिए प्रतिब( हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं आज यहां भारतीय वायु सेना के साथियों को बधाई देना चाहूंगा की, सीमा पर हाल में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान, एलएसी के पास भारतीय वायु सेना ने जिस तेजी और सूझ-बूझ से कार्रवाई की, वह आपके प्रतिब(ता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि हाल में अपनी विदेश यात्रा में मैंने, भारत के दृष्टिकोण को समूचे विश्व के सामने रखा। मैनें भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को किसी भी हालात में समझौता नहीं करने के हल से भी सबको अवगत कराया और इसके लिये हम हर संभव तैयारी करने के लिये दृढ़ संकल्पित हैं। डिफेंस की मजबूती के पीछे हमारा उद्देश्य, हमेशा से विश्वशांति की कामना रहा है। इस राह में हमारा देश, कोई भी ऐसा कदम श्नश् उठाने के लिए प्रतिब( है, जिससे कहीं भी शांति भंग हो। यही अपेक्षा हम अपने पड़ोसी, और दुनिया के बाकी देशों से भी करते हैं।