‘केजरीवाल’ के ऐलान से उत्तराखंड में सियासी तूफान!

भाजपा और कांग्रेस के लिये सीएम कैंडिडेट खड़ा करने की चुनौती

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(एन.एस.बघरी) ‘नरदा’
अबकी बार दिल्ली जैसा ‘दिलचस्प’ होगा 2022 का चुनावी दंगल
देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा की डबल इंजन सरकार का कार्यकाल पूरा होने वाला है। अब महज चैदह महिने का वक्त आगामी 2022 के विधानसभाचुनाव के लिये बचा है। भाजपा की डबल इंजन सरकार बनाम कांग्रेस समेत यूकेडी, बसपा,सपा व वामदल भी ताल ठोकने की तैयारी में जुटे हुए है। परंतु अब अचानक गुरूवार को नई दिल्ली में मीडिया से वार्ता के दौरान आम आदमी पार्टी के मुखिया व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करते ही सूबे की सियासत में तूफान सा खड़ा कर दिया है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के अनुसार दोनों पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी से लोगों की उम्मीद खत्म हो चुकी है, आप से लोगों की उम्मीद है और चुनाव उम्मीद पर लड़ा जाता है। उत्तराखंड में फरवरी 2022 में जो विधानसभा चुनाव होंगे उसमें सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पार्टी उत्तराखंड की जनता की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करेगी। हमने उत्तराखंड में सर्वे कराया, उसमें 62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हमें उत्तराखंड में चुनाव लड़ना चाहिए, तब हमने तय किया आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में चुनाव लड़ेगी। उत्तराखंड में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख मुद्दे हैं। सीएम केजरीवाल के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक विशलेषकों के बीच नयी बहस शुरू हो गई है। उत्तराखंड के सियासी इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब आम आदमी पार्टी के रूप में कोई नयी राजनीतिक पार्टी जनता के बीच आपनी पैठ जमाने की कोशिश करेगी। अगर सीएम केजरीवाल का दांव उत्तराखंड में चला तो मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है। लिहाजा सत्तारूढ़ दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी है।
भाजपा और कांग्रेस के लिये सीएम कैंडिडेट खड़ा करने की चुनौती :
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में आप पहले भी चुनावी ढोल पीट चुकी है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में आप ने सभी पांचों सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे मगर मोदी लहर में भाजपा सभी सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आप के चुनावी मुद्दों में उत्तराखंड के स्थानीय मांगों के साथ पलायन, रोजगार,बिजली, पानी समेत शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देने का ऐलान कर जनता को रिझाने का प्रयास कर सकती है। इतना ही नहीं दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के वाकओवर देने जैसी स्थिति में आ गई जिससे आम आदमी पार्टी को बड़ी राहत मिली। अब उत्तराखंड में भी इसी स्थिति को दोहराने की रणनीति के तहत कांग्रेस के स्थान पर राज्य में दूसरी सबसे बड़ी सियासी ताकत के रूप में स्वयं को पेश करने की हो सकती है। बहरहाल अभी आप के मुखिया केजरीवाल के चुनावी मैनेजमैंट पर कुछ भी अनुमान लगाना मुमकिन नहीं है। प्रदेश में भाजपा की त्रिवेंद्र रावत सरकार अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर चर्चाओं में नहीं रहते है। हांलाकि उन्होंने राज्य में जीरो टाॅलरेंस की नीति पर चलते हुए भ्रष्टचार पर लगाम कसी है। कई बड़े घोटालों की जांच में भ्रष्टाचारियों को जेल भी डालने में सफल रहे है। इतना ही नहीं उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने समेत मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाकर अपने हित साधने में जुटी हुई है। वहीं दूसरी तरफ अब तक का सबसे जबरदस्त मुकाबला देखनेको मिल सकता है। माना जा रहा है कि जिस प्रकार देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के तमाम दिग्गज नेताओं के प्रचार में जुटने के बावजूद आम आदमी पार्टी दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुई है तब से देश के तमाम राजनीतिक संगठनों में बेचैनी भी साफ देखी जा सकती है। इतना ही नहीं अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता बढ़ने के पीछे उनकी ईमानदार छवि के साथ ही सामान्य गतिविधियों पर अधिक फोकस रखना और गरीब एवं कमजोर वर्ग का हितैषी बनकर मुफ्त बिजली,पानी स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना सबसे बड़ी पहल रही है। ऐसा भी माना गया है कि केजरीवाल की मुफ्त स्कीम से राजस्व का नुकसान होता है जिसका बोझ भी जनता पर ही डाला जाता है लेकिन इस तक को भी उन्होंने सरकारी अफसरों और नेताओं की फिजूल खर्च से जोड़कर उसे रोकने की दिशा में अधिक जोर दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर बंपर जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा के खाते में केवल 08 सीटें आईं। आम आदमी पार्टी से पहले दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। कांग्रेस के 63 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गईं थी।
सीएम केजरीवाल की ‘फ्रि पाॅलिटिक्स’ पर जनता को काफी उम्मीदें
उत्तराखंड की सियासत में अब आम आदमी पार्टी की एंट्री से वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव दिलचस्प साबित हो सकते हैं। दिल्ली से बाहर पंजाब और गोवा के बाद अब आप ने उत्तराखंड का रुख किया है। पार्टी ने सूबे की सभी 70 सीटों पर अगला विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया है। उत्तराखंड में मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस के महज 11 विधायक है। हांलाकि प्रदेश में कांग्रेस ने सबसे अधिक समय तक सत्तासीन रही है। पहली सरकार भाजपा ने बनायी जबकि दूसरी बार स्व. पंडित नारायण दत्त तिवारी पूरे पांच साल सरकार चलाने में सक्षम रहे। जबकि भाजपा ने भी दो बार सत्ता में राज किया। मेजर जनरल बीसी खंडूरी का कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर रोकथाम के लिये कफी चर्चित रहा। हांलाकि कांग्रेस ने पुनः 2012 का विधानसभाचुनाव जीता और पीडीएफ के साथ मिलीजुली सरकार बनाकर भाजपा का विजय रथ रोक दिया। परंतु वर्ष 2014 में देश के प्रधानमंत्री कैंडिडेट के रूप में नरेंद्र मोदी का जादू चल गया। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की पांचों सीटों पर भाजपा के सांसद विजय रहे। इसके बावजूद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनायी है। इतना ही नहीं वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने पांच लोकसभा सीटों पर दोबारा जीत हासिल कर नया इतिहास रचा है। अब भाजपा के इस सियासी रिकार्ड को तोड़ने में जुटी कांग्रेस के समक्ष नई चुनौती उभरकर सामने आ रही है। जिसमें सीएम अरविंद केजरीवाल के प्रति जनता में सहानुभूति को तोड़ना सबसे अहम साबित होगा। ऐसे में राजनीतिक विष्लेशकों की माने तो सत्तासीन भाजपा के समक्ष भी सत्ता में वापसी के लिये कांग्रेस के साथ आप से भी मुकाबला करना होगा। अगर भाजपा एक बार फिर पीएम मोदी को ढाल बनाकर मैदान में उतरने की रणनीति बनाती है तब भी मुकाबले में रोमांचक स्थिति बनी रहेगी। दिल्ली के चुनाव में बेजेपी की यह रणनीति फ्लाप साबित हो गई है। उत्तराखंड में स्थानीय नेताओं पर जनता की उम्मीदे अधिक बंधी हुई है। लिहाजा आम आदमी पार्टी भी चुनाव में अपने सीएम कैंडिडैट के साथ मैदान में ताल ठाकने की रणनीति तैयार कर रही है। लिहाजा अब भाजपा के समक्ष सीएम पद के लिये नया चेहरा सामने लाने के लिये भी जोड़तोड़ कर सकती है। वहीं आपसी गुटबाजी में उलझी कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव में पिछली करारी हार का बदला लेने के लिये पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी में है। संगठन में पूर्व सीएम हरीश रावत को कांग्रेस पार्टी अपना सीएम कैंडिडेट घोषित करने की रणनीति बना सकती है। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की सियासी ऐंट्री से सियासत गरम जरूर है परंतु विधानसभा के चुनाव में आप के उम्मीदवारों के समक्ष पार्टी के सियासी जनाधार की कमी का सामना करना होगा। हांलाकि जनसमस्याओं और स्थानीय मुद्दों समेत देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुदद् पर सत्तासीन भाजपा को घेरने के लिये विपक्षी दलों के तेवर आक्रामक दिख रहे है। लिहाजा आगामी विधानसभा के चुनाव में सियासी दंगल दिल्ली के जैसा दिलचस्प होने की संभावना बन गई है।
उत्तराखंड में बीस लाख लोग आप से जूड़े: दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पार्टी के प्रदेश प्रभारी राकेश सिन्हा ने देहरादून में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि आप उत्तराखंड विस चुनाव में पूरी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड में भी पार्टी बिजली, पानी और शिक्षा को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ेगी। इस दौरान आम आदमी पार्टी ने आम लोगों को जोड़ने के लिए नंबर भी लाॅन्च किया। उत्तराखंड प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा कि पार्टी उत्तराखंड में भी अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगी। आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में दूसरी बार प्रचंड बहुमत मिलने पर पूरे देश में एक अलग तरह की राजनीति की शुरुआत हुई है। यह नई राजनीति राष्ट्र निर्माण और अच्छे काम के आधार पर जनमत प्राप्त करने की राजनीति है। कहा कि उत्तराखंड के लोगों को अगले विधानसभा चुनाव में दिल्ली के राष्ट्र निर्माण के माॅडल को लागू करने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने की आवश्यकता है। वहीं आम आदमी पार्टी ने टोलÚी नंबर जारी किया है। जिसपर राज्य के लोग मिस्ड काॅल करके आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। पार्टी के मुताबिक दिए हुए नंबर पर करीब 20 लाख लोग जुड़ चुके हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में 10 लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का हक: आप पार्टी की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान करने के बाद उत्तराखंड बीजेपी प्रभारी श्याम जाजू ने कहा है कि केजरीवाल की पार्टी पहले भी कई अन्य राज्यों में प्रयोग कर चुकी है। गोआ में भी वो सत्ता के लिए गए, पंजाब भी गए लेकिन चुनाव हार गए। उत्तराखंड में फरवरी 2022 में विधानसभा चुनाव होंगे, जहां 70 सीटें हैं। श्याम जाजू ने कहा कि 2014 में वाराणसी में भी केजरीवाल को सर्वे ने जिता दिया था लेकिन सर्वे से राजनीति नहीं चलती है। उत्तराखंड में कभी भी तीसरी पार्टी नहीं उभरी। लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का हक है, केजरीवाल भी लड़ के देख लें। उत्तराखंड में बीजेपी के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी।

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