बने बनाये पुल तो लगा दिये, लेकिन न पीछे की तरफ सड़क कहीं है और न आगे की तरफ?
चार किलोमीटर पैदल चलकरधापा गांव पहुंचे हरदा
बीआरो की कार्यप्रणाली पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने खड़े किये सवाल
देहरादून/धारचूला(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में आपदाग्रस्त विधानसभा क्षेत्रों के दौरे पर गये पूर्व सीएम व कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अब बीआरो की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिये है। इतना ही नहीं चाईना की घुसपैठ के बावजूद उत्तराखंड में चीन बार्डर से सटे जिले में सड़क मार्गो के निर्माण को लेकर भी सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार से इस दिशा में ठास कार्ययोजना तय करने माग की है। पूर्व सीएम ने मंगलवार को मुनस्यारी के धापा गांव में आपदा प्रभावितों से मुलाकात की जबकि क्षेत्रीय विधायक हरीश धामी समेत प्रदेश के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा व पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण भी मौजूद रहे। सोशल मीडिया में फेसबुक पोस्ट पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि धापा गाँव, जिसको अभी आप देऽेंगे भूस्ऽलन से ऽतरे में है, वहां को जा रहा हूं और इस समय मैं एक ऐसे पुल के ऊपर ऽड़ा हूं, जेसीबी मशीन निकालते वत्तफ़ जो है जेसीबी मशीन और पोकलैंड गाढ़-गधेरे में नीचे गिर गई। यह ठीक है कि, बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन ने पुल तो बना दिया, क्योंकि पुल निर्माण का कार्य टेक्निकल वर्क है, बने बनाये पुल होते हैं, वो तो उन्होंने चार-पांच दिन में बनाकर के सबकी प्रशंसा हासिल कर ली, लेकिन न पीछे की तरफ सड़क कहीं है और न आगे की तरफ सड़क कहीं है और इस घटना को आज लगभग 20 दिन से ऊपर हो गये हैं, तो यह जताता है कि बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन इन इलाकों के अंदर इल-इक्विप्ड है और ये तब हालत है जब चीन, इसके बॉर्डर्स में दस्तक दे रहा है और यह सड़क जिस पुल पर मैं ऽड़ा हूं, ये पुल शुरुआत है चीन के बॉर्डर के लिये सड़क की और हालात को कोई भी व्यत्तिफ़ देऽ सकता है कि क्या हालात हैं, तो बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन को और ज्यादा साधन जुटाने चाहिये और एक लंबी दृष्टि से यहां की सड़कों को पुनर्गठित करना चाहिये पुनर्निर्माण करना चाहिये। एक अन्य पोस्ट में पूर्व सीएम ने लिखा है कि ये सामने जो मकान है देवी मंदिर के नीचे, नई तकनीक से बनाया इन्होंने, इस तरीके की दैवीय आपदाओं से बचने के लिये बनाया, लेकिन बच नहीं पाया। सामने एक कॉलेज की बिल्डिंग है, जो बिल्कुल पूरी तरीके से ध्वस्त हो गई है, उधर लोगों के मकान हैं पूरी तरीके से ध्वस्त हो गये हैं, अब कोई मुझको समझाये कि, इस धापा गांव का किस तरीके से इसको भविष्य की बर्बादी से बचाया जा सकता है! टांगा गांव में 11 लोग, मैथिली में एक व्यत्तिफ़, गैला में 3 लोग, धामी गांव झूला में 2 लोग की मृत्यु हुई। इस तरीके से कई गांव ऐसे हैं जारा जुबली से लेकर के जिन गांवों में यह दृश्य, यह भयावह दृश्य किसी को भी डराने के लिये काफी है। मैं यही जन्मा और इस तरीके की परिस्थितियों में लगातार आता रहा, लेकिन जितना भयंकर स्वरूप दैवीय आपदा का इस बार दिऽाई दे रहा है, अब कोई भी व्यत्तिफ़ अंदाज लगा सकता है कि हरीश धामी जब कह रहा था कि मेरा इस्तीफा ले लो मैं इस्तीफा दे दूंगा, लेकिन मेरे क्षेत्र के अंदर जो दैवीय आपदा आयी है, उसको हल्के से न लो और मैं भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि राजनीति से उठकर के आगे आना पड़ेगा, ये सीमांत क्षेत्र हैं, क्या संदेश जायेगा यदि हम ये दृश्य कई सालों तक यूं ही बना रहेगा और लोग हर बरसात में अपने जीवन की ऽैर मनाते रहेंगे, तो हम राज सरकार, केंद्र सरकार, हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इन गांवों को बचाने व गांव वालों को बचाने की एक व्यापक नीति पर काम करें।
चार किलोमीटर पैदल चलकर धापा गांव पहुंचे हरदा
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा प्रभावित गांवों का भ्रमण कर पीड़ितों की समस्याएं सुनी। विगत माह से आपदा झेल रहे ग्रामीण पूर्व सीएम के सम्मुऽ अपनी समस्याओं को लेकर रो पडे। रावत ने सीमा प्रहरियों के गांवों में आपदा को बहुत बड़ी विपदा बताते हुए कहा कि सीमांत के गांवों की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलजुल कर एक नीति बनानी होगी । सोमवार की सायं तल्ला जोहार के बांसबगड़ के आपदा प्रभावितों से मिलने के बाद पूर्व सीएम देर रात मुनस्यारी पहुंचे। थल-मुनस्यारी मार्ग बंद होने से घंटों तक नाचनी में फंसे रहे। इस दौरान उन्होंने भुजगड़ नदी और उसके सहायक नालों के कटाव से हुए विनाश को देऽा और आपदा पीड़ितों को सुनते उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। मंगलवार की सुबह मुनस्यारी के लोनिवि डाकबंगला परिसर में एक फलदार पौधे का रोपण किया। बाद में रावत दिन में चार किमी क्षतिग्रस्त मार्ग से धापा गांव प”ंचे। इस मौके पर गांव में जमा मलबे पर ऽड़े होकर उन्होंने ग्रामीणों को संबोधित किया। कहा कि धापा जैसा सुंदर गांव आपदा से बर्बाद हो गया है। ग्रामीण जीवन और मौत के बीच दिन व्यतीत कर रहे हैं। इस दौरान उनके साथ राज्य सभा सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक हरीश धामी, कांग्रेस नेता प्रदीप पाल, हीरा सिंह चिराल, मनोहर टोलिया सहित अन्य नेता थे। धापा के बाद उन्होंने अन्य आपदा प्रभावित गांवों का भी भ्रमण किया।