गैरसैण में ग्रीष्मकालीन राजधानी का बोर्ड भी नहीं लगा पायी त्रिवेंद्र सरकार: हरीश रावत

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हरीश रावत ने वीर गढ़वाली दी श्रद्धांजलि,कहा-हम भी संकल्प लेते है गैरसैण को राजधानी बनायेंगे
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व सीएम हरीश रावत ने आज अगस्त क्रांति के शहीदों को याद किया। गैरसैंण पहुँचने पर पेशावर कांड के नायक, क्रांतिवीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हवलदार चंद्र सिंह गढ़वाली के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। यहां पत्रकारों से वार्ता करते हुए हरीश रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरणैण में विकास कार्यों को लेकर प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार की कार्यप्रणली पर कई सवाल खड़े किये। पूर्व सीएम ने कहा कि आज अग्रस्त क्रांति के दिन जिस प्रकार वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों से आजादी का प्रण लिया था उसी प्रकार हम भी संकल्प लेते है कि गैरसैण को उत्तराखंड की राजधानी बनायेंगे। कहा कि आज हम यह पूछने आये है कि सीएम त्रिवेंद कहा है। मुख्यमंत्री बतायें हमारी ग्रीष्मकालीन राजधानी में क्या काम हो रहा है। गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद सरकार का यहां राजधानी के नाम का एक बोर्ड या सरकार का कोई चिन्ह तक नहीं दिख रहा है। कोरोना महामारी के बीच तीन महिने तक कोई सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचा हैं। त्रिवेंद्र सरकार ने सिर्फ घोषणा कर भूल गई हैं । पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने पूर्व में भी सरकार को विधानसभा का सत्र बलाने के लिये मजबूर किया गया। लेकिन आज भी सरकार गैरसैण को राजधानी बनाने में उदासीन है। त्रिवेंद्र सरकार यहां ग्रीष्मकालीन राजधानी के नाम से श्राईनबोर्ड तक नहीं लगवा पायी है। गैरसैण में विकास कार्य भी ठप पड़े हुए है। पूर्ववर्ती सरकार के शुरू किये गये कार्यों को भी आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। उन्होने कहा कि पार्टी में कांग्रेस नेता एकजुट है। 2022 के चुनाव में भी एकजुट होकर जनता के बीच जायेगे। इस दौरान पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व विस उपाध्यक्ष अनुसुया प्रसाद मैखुरी समेत अन्य वरिष्ठ नेता भरी मौजूद थे। इससे पूर्व श्रद्धांजलि सभा में पहुंचेने पर कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारियों ने पूर्व सीएम का जोरदार स्वागत किया। अपने संबोधन में पूर्व सीएम ने कहा कि आज देश की आजादी के लिये सब कुछ निछावर करने के लिये तैयार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करने का दिन है। अंग्रेजों भारत छोड़ो का बॉम्बे में आवाहन किया गया और अल्मोड़ा जनपद के दूरस्थ देघाट में 19 अगस्त को लोग तिरंगा झंडा लेकर अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीक पटवारी चौकी पर झंडा फहराने पहुंचे, बहुत सारे ऐसे बलिदानी चिन्ह अकेले अल्मोड़ा जनपद में देघाट, धामदेवल, सालम, चनौदा, सोमेश्वर और ऽुमाड़, सल्ट, हम सबके प्रेरणा स्रोत हैं। हर गांव जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव था, वो गूंज उठा था, हर गाढ़-गधेरा, धारें, गूंज उठी थी, अंग्रेजों भारत छोड़ो। आज हमको भी एक संकल्प लेना चाहिये कि, हम अपने मन से, अपने सार्वजनिक व राजनैतिक जीवन से असहिष्णुता को कहें, असहिष्णुता भारत छोड़ो। सामाजिक विद्वेष और घृणा का त्याग करें, यही गांधी और गांधी के दीवानों के लिये हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है।

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