देहरादून लाई गई झारखंड की किशोरी ने खेले राज,100 लड़कियों को लेकर आया था एजेंट!
देहरादून, ( उत्तरांचल दर्पण संवाददाता)। राजधानी देहरादून के राजपुर थाना क्षेत्र में मानव तस्करी ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला प्रकाश में आया है। पुलिस ने यहां एक घर में आठ माह से काम कर रही झारखंड से लाई गई किशोरी को मुक्त कराया है। मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब किशोरी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर आरोपित अस्पताल ले गया। वहां मानव तस्करी का संदेह होने पर चिकित्सकों ने पुलिस को बुला लिया। इस मामले में एक दंपती समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। राजपुर थानाध्यक्ष राकेश शाह ने बताया कि मसूरी रोड स्थित आर्केडिया हिलॉक्स में रहने वाला मनीष अरोड़ा शुक्रवार सुबह एक किशोरी को मैक्स अस्पताल लेकर पहुंचा। किशोरी को पेट दर्द की शिकायत थी। चिकित्सकों ने किशोरी से उसकी परेशानी पूछने के लिए बात करनी चाही, मगर किशोरी की भाषा उन्हें समझ नहीं आ रही थी। इस पर मनीष ने बताया कि किशोरी झारखंड की रहने वाली है। यह पता चलने पर चिकित्सकों ने पुलिस को फोन कर दिया। राजपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और किशोरी से पूछताछ की तो उसने मनीष के साथ जाने से इनकार कर दिया। इस बीच मनीष अस्पताल से खिसक गया। इसके बाद पुलिस ने किशोरी को चाईल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया। चाईल्ड लाइन ने किशोरी को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। समिति को किशोरी ने बताया कि नई दिल्ली निवासी सुमंत और उसकी पत्नी प्रतिभा उसे नौकरी दिलाने के बहाने झारखंड से दिल्ली लेकर आए थे। इसके बाद उसे देहरादून भेजा गया। यहां आठ महीने तक वह राजपुर में मनीष अरोड़ा की भाभी नेहा के घर रही। कुछ दिन पहले मनीष अरोड़ा उसे अपने घर ले आया, तब से वह उसके यहां घर का काम कर रही थी। पुलिस ने मनीष अरोड़ा, नेहा और एजेंट सुमंत व प्रतिभा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। वहीं, किशोरी को बालिका निकेतन में क्वारंटाईन सेंटर में रखा गया है। इस संबंध में झारखंड में उसके माता-पिता को सूचित कर दिया गया है। दंपती बाल कल्याण समिति के अधिकारी सुधीर भट्ट के मुताबिक किशोरी ने पूछताछ में बताया है कि सुमंत और प्रतिभा झारखंड से 100 के करीब लड़कियों को लेकर आए थे। सभी को अलग-अलग जगह घरों में काम पर लगाया गया है। लड़कियों को जिस घर में काम पर लगाया जाता है, वहां से आरोपित एकमुश्त 40 हजार रुपये और हर माह कमीशन भी लेते हैं।