सचिन पायलट को हाईकोर्ट से बड़ी राहत.सीएम गहलोत ने की राज्यपाल से विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग

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नई दिल्ली(दर्पण ब्यूरो)। राजस्थान में जारी सियासी हलचल के बीच एक बार फिर से अशोक गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पायलट गुट को राजस्थान हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने स्पीकर सीपी जोशी के नोटिस पर स्टे लगा दिया।  विधानसभा स्पीकर के द्वारा दिए गए नोटिस पर अभी स्टे लगा दिया गया है, यानी विधानसभा स्पीकर विधायकों को अयोग्य करार नहीं दे पाएंगे।हाईकोर्ट ने मामले में यथास्थिति के आदेश दिए। इसके बाद होटल फेयरमाउंट में विधायक दल की बैठक के बाद सीएम अशोक गहलोत ने ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सीएम ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हमने राज्यपाल से विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की। विधायक हमें फोन कर बंधक से मुक्त कराने की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि वो विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल की ओर से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। सीएम ने कहा कि अगर राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाते हैं तो जनता राजभवन का घेराव कर सकती है। ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।हाई कोर्ट ने मामले में यथास्थिति के आदेश दिए हैं। इस नोटिस और विधानसभा का सत्र बुलाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बागी विधायकों पर दबाव बनाना चाहते थे। मामले में अब नोटिस जारी रहेंगे, लेकिन विधानसभा स्पीकर कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया है। केंद्र सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया है। हाई कोर्ट ने प्लीडिंग कंप्लीट करने के बाद जल्दी सुनवाई का प्रार्थना पत्र लगाने के लिए निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की पीठ ने याचिकाकर्ताओं द्वारा गुरुवार को दायर याचिका को मंजूर कर लिया। पक्षकार बनाने की याचिका इस आधार पर दायर की गई थी कि संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है और इसलिए भारत सरकार अब एक अनिवार्य पक्ष है। पायलट और कांग्रेस के बागी विधायकों ने गत शुक्रवार को उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी थी और इस पर जिरह भी हुई है। इस याचिका पर सोमवार को भी सुनवाई हुई और बहस मंगलवार को समाप्त हुई। अदालत ने मंगलवार को कहा कि वह रिट याचिका पर शुक्रवार को उचित आदेश देगी। पिछले सप्ताह सोमवार और मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की दो बैठकों में हिस्सा लेने के लिए जारी व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की। इसके बाद इन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी नोटिस जारी किया गया। पायलट खेमे ने हालांकि दलील दी कि व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो। विधानसभा अध्यक्ष को दी गई शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई की मांग की थी। विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, यदि वह उसकी सदस्यता स्वेच्छा से त्याग देता है तो यह प्रावधान उत्तफ़ विधायक को अयोग्य करार देता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है।

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