गुलमर्ग में लापता हवलदार राजेंद्र नेगी को सेना ने शहीद घोषित किया
मांग में सिंदूर लगाकर फौजी की पत्नी ने सात महिने किया इंतजार
देहरादून। उत्तराखंड से 8 जनवरी 2020 को ऑन डयूटी लापता हुए 11वीं गढ़वाल राइफ़ल के हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी को आखिरकार भारतीय सेना ने बैटल कैजुअल्टी मानते हुए शहीद घोषित कर दिया है। बकायदा सेना ने एक पत्र शहीद की पत्नी को दिया है जिसमे पति को ऑन डड्ढूटी कैजुअल्टी मानते हुए शहीद घोषित होने की बात लिखी गई है। सेना ने राजेंद्र नेगी को शहीद का दर्जा दे दिया है। फ़ौजी की पत्नी पर जो फ़रवरी से मांग में सिंदूर लगाए, माथे पर लाल बिंदुली, गले में मंगलसूत्र और हाथों में चूड़ियां पहने पति का कई महीनों से इंतजार कर रही थी क्योंकि उसे उम्मीद थी कि उसका पति जरुर आएगा। बच्चों से प्यार करेंगे और परिवार के पास आएंगे वो फि़र घूमने जाएंगे, गांव जाएंगे। क्या बीत रही होगी उन बच्चों पर जो घर की दहलीज पर टकटकी लगाए और टीवी पर आंख गड़ाए बैठे थे कि कब पिता की खबर आएगी कि राजेंद्र नेगी सकुशल मिल गए हैं। जवान के लापता होने के बाद से ही नेता से लेकर मंत्री-विधायकों ने फ़रवरी से लेकर अब तक कई बार राजेंद्र नेगी का नाम लेकर वाह-वाही बटोरी लेकिन दुर्भाग्य किसी ने सरकार पर असल में जोर नहीं दिया राजेंद्र नेगी को ढूंढने के लिए। लोगों ने रैलिंया निकाली लेकिन वो भी चंद घंटों के लिए।जवान के लापता होने के बाद उनके आवास पर देहरादून के तीन विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई स्थानीय जनप्रतिनिधि पहुंचे। सभी ने केंद्र सरकार तक बात पहुंचाकर जवान की खोज में तेजी लाने और परिवार की हर संभव मदद का भरोसा दिया, मगर उन्होंने क्या प्रयास किए, इसकी जानकारी परिवार को नहीं है। उत्तराखंड के जवान राजेंद्र नेगी की पत्नी और बच्चे अब भी इस आस में हैं की हवलदार राजेन्द्र नेगी का जब तक पार्थिव शरीर नहीं मिलेगा वे नही मानेंगे की राजेन्द्र नेगी शहीद हो गए हैं। हवलदार राजेंद्र की पत्नी राजेश्वरी नेगी का कहना है कि उन्होंने सेना की यूनिट में फ़ोन और लेटर के माध्यम से अपने पति को रेस्क्यू करने की मांग बहुत बार उठाई, लेकिन सेना की तरफ़ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलता है। बता दें कि 8 जनवरी को पाक सीमा पर गुलमर्ग में जवान डड्ढूटी पर तैनात थे। सेना ने कहा कि डड्ढूटी के दौरान पैर फि़सलने से वो पाक की ओर जा गिरे और लापता हो गए- सेना ने दावा किया कि उन्होंने जवान को ढूंढा लेकिन वो नहीं मिले। जब सेना को ढूंढने पर भी हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी नही मिले तो अंत में सेना ने 21 मई 2020 को बैटल कैजुअल्टी मान लिया था। परिजनों ने आरोप लगाया कि उनके घर तो बहुत नेता, मंत्री-विधायक आए लेकिन किसी ने उनकी ममद नहीं की। हवलदार राजेन्द्र के चाचा रघुवीर नेगी का कहना है कि नेता तो राजनीति करने खूब आए, लेकिन उसके बाद किसी ने कभी राजेन्द्र के बारे में सुध नहीं ली। बताया कि जब भी यूनिट में फ़ोन करते तो जवाब सही नहीं मिलता। आरोप लगाया कि इधर से राज्य सरकार ने भी अपने लापता हुए नागरिक के लिए कोई सफ़ल कोशिश नहीं की। सरकार और प्रशासन से मदद नहीं मिलने से परिवार वालों में आक्रोश है। लेकिन जवान राजेन्द्र की शहादत को उनकी पत्नी मानने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि उनके पति डड्ढूटी पर ही हैं। जब तक उन्हें उनकी बॉडी नहीं मिलेगी वो नहीं मानेंगी की पति राजेन्द सिंह नेगी शहीद हो गए हैं।