रूद्रपुर जिला अस्पताल का एक और कारनामा
‘बी’ पॉजिटिव रक्त वाले मरीज के लिए मंगा लिया ‘एबी’ पॉजिटिव ग्रुप का रक्त
उत्तरांचल दर्पण संवाददाता
‘बी’ पॉजिटिव रक्त वाले मरीज के लिए मंगा लिया ‘एबी’ पॉजिटिव ग्रुप का रक्त
रूद्रपुर। शहर के जवाहर लाल नेहरू जिला चिकित्सालय में लापरवाही का एक और उदाहरण सामने आया है। पता चला है कि अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती एक महिला को ‘बी’ पॉजिटिव ग्रुप के रक्त की आवश्यकता थी, लेकिन जिला अस्पताल ने मरीज के परिजनों से ‘एबी’ पॉजिटिव ग्रुप के रक्त की डिमांड कर दी। आनन फानन में परिजन एबी ग्रुप के रक्त के लिए इधर उधर चक्कर लगाने लगे। बमुश्किल उन्होंने एबी ग्रुप वाले डोनर का इंतमाम किया तो प्र्राईवेट लैब में क्रास मैंचिंग के दौरान पता चला कि मरीज को एबी ग्रुप की नहीं बल्कि ‘बी’ पॉजिटिव ग्रुप के रक्त की आवश्यकता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिंह कालोनी निवासी बबिता नाम की एक महिला को बीते दिनों प्रसव के लिए जिला अस्पताल में भर्तीै कराया गया था। प्रसव के लिए महिला का ऑप्रेशन करना पड़ा। इस दौरान महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन नवजात बच्चे की जान नहीं बच पायी। आप्रेशन के बाद महिला की हालत भी बिगड़ने लगी तो जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने महिला के परिजनों से रक्त का इंतजाम करने को कहा। अस्पताल में महिला के रक्त की जांच के बाद जो पर्चा दिया गया उसमें बताया गया कि महिला का रक्त ग्रुप ‘एबी’ पॉजिटिव है। चूंकि एबी पॉजिटिव ग्र्रुप आसानी से उपलब्ध नहीं होता। इससे परिजन परेशान हो गये। उन्होंने आनन फानन में एक सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों को फोन किया और एबी पॉजिटिव ग्रुप के रक्तदाता का इंतजाम करने की गुहार लगायी। जिस पर उक्त संस्था के पदाधिकारियों ने एबी पॉजिटिव ग्रुप वाले रक्तदाता का इंतजाम किया और प्राईवेट ब्लड बैंक में महिला की जान बचाने के लिए रक्तदान करने पहुंच गये। प्राईवेट लैब के स्टाफ ने जब बबिता के रक्त को क्रास चेक किया तो वह दंग रह गये। दरअसल जिला अस्पताल ने जिस मरीज का ब्लड मंगाया था उसका ग्रुप ‘एबी’ पॉजिटिव नहीं बल्कि ‘बी’ पॉजिटिव था। यह देख परिजन भी हैरत में पड़ गये। परिजन दुबारा जिला अस्पताल दौड़े और वहां जब अस्पताल के जिम्मेदार लोगों से शिकायत की तो उन्होंने इसे लैब के कर्मचारी की गलती बताकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। बाद में बबिता के लिए बी पॉजिटिव ग्रुप के ब्लड का इंतजाम किया गया और उसका उपचार शुरू हुआ। जिला अस्पताल की इस लापरवाही के कारण मरीज के उपचार में तो देरी हुई ही साथ ही परिजनों को भी रक्त का इंतजाम करने के लिए इधर उधर धक्के खाने पड़े। अगर मरीज की ब्लड रिपोर्ट सही दी होती तो बी पॉजिटिव ग्रुप सरकारी ब्लड बैंक में ही आसानी से उपलब्ध हो जाता। गौर करने वाली बात ये है कि संयोग से प्राईवेट ब्लड बैंक में मरीज के ब्लड को क्रास मैच कर लिया गया, अगर क्रास मैच किये बिना ब्लड बैंक से एबी पॉजिटिव ग्रुप का रक्त परिजनों को दे दिया होता तो शायद जिला अस्पताल में महिला को गलत ग्रुप का रक्त चढ़ भी गया होता जिससे महिला की जान आफत में पड़ सकती थी। बहरहाल जिला अस्पताल का ये कारनामा लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया गया है कि इस मामले को लेकर जिला अस्पताल में हंगामा भी हुआा लेकिन फिलहाल इस घोर लापरवाही के मामले में अधिकारियों ने कोई एक्शन नहीं लिया है।