दोहरे मापदंड से जेल कैम्प रोड को उजाड़ने का आरोप

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सितारगंज। (उद सम्वाददाता) शहर की सड़कों से अतिक्रमण हटाने के लिए जेल कैम्प रोड के व्यापारियों ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए अलग से व्यापार मंडल कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि सूचना अधिकार में जेल केम रोड 36 फीट चैड़ा अंकित है इसे सड़क के दोनों तरफ 30, 30 फिट खाली कराया जा रहा है। जबकि 60 फिट व 41 फिट चैड़ाई वाली सड़क पर भी यही मानक बनाकर दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। बसपा नेता ईकशाद अहमद पटौदी, शंकर जोशी, राकेश गोगना, मनोज झाम, अयूब खान ने आरोप लगाया संविधान के अनुसार अतिक्रमण अतिक्रमण की कार्रवाई नहीं की जा रही है। जेल के रोड के व्यापारियों को पूरी तरह उजाड़ने का षडड्ढंत्र रचा गया है। जबकि लोक निर्माण विभाग के रिकार्डो के अनुसार जेल कैंप रोड, खटीमा रोड व किच्छा रोड की चैड़ाई 24 व 19 फिट का अंतर है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी भेदभाव की रणनीति अपनाते हुए अवैध कब्जों के िखलाफ तीनों सड़कों पर सामान्य कार्यवाही कर रहे हैं। इस वजह से जेल कैम्प रोड के व्यापारी पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुसार लोक निर्माण विभाग के रिकार्डों में मुख्य चैराहे से नकुलिया चैराहे तक सड़क 36 फीट चैड़ी है। मुख्य चैराहे से खटीमा रोड से लेकर बटेश्वर की पुलिया तक सड़क 60 फीट चैड़ी है। इसके अलावा मुख्य चैराहे से पानीपत राष्ट्रीय राजमार्ग अमरिया चैराहे तक सड़क की चैड़ाई 41 फीट रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग राजस्व अफसरों के साथ मिलकर जेल कैम्प रोड की 36 फीट चैड़ी सड़क को सड़क के मध्य से 30 फीट तक खाली कराने में तुला है। 60 फीट व 41 फीट चैड़ी किच्छा व खटीमा रोड के व्यापारियों को राहत देते हुए प्रशासन ने अवैध कब्जा हटाने के लिए जेल केम रोड के अनुरूप 30 फीट का मानक तय किया है। जो संविधान के िखलाफ है उन्होंने मांग की लोक निर्माण विभाग व संविधान के रिकार्डों के अनुसार शहर से अतिक्रमण हटाया जाए। कागजों में दर्ज अवैध कब्जे नहीं हटाने पर जेल कैम्प रोड के व्यापारी अतिक्रमण हटाओ अभियान का पूरी तरह विरोध करेंगे। जेल कैम्प रोड के व्यापारियों ने शहर में संचालित अन्य व्यापार मंडल से भी मोहभंग होने का आरोप लगाते हुए अलग से नई कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शुक्रवार को व्यापारियों का हुजूम नई कार्यकारिणी बनाने के लिए जुट गया है। जिसके
बाद प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं।

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