—और कितनी जान लेगी मटकोटा-गदरपुर सड़क?

75 करोड़ में बनी सड़क 75 सप्ताह भी नहीं चली, दस माह में जा चुकी हैं एक दर्जन से ज्यादा जानें

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दिनेशपुर। हर रोज की तरह सोमवार की रात भी सुभाष दिनेशपुर बाजार से मोटरसाइकिल से घर जा रहा था। दुकान से निकलने से पहले पत्नी का फोन आया था। दस मिनट में घर पहुंचने की बात कहकर सुभाष दुकान भिड़ाकर घर के लिए निकला था। पत्नी और बच्चे सुभाष की राह देख रहे थे। एक साथ खाना खाने के लिए बैठे थे। बच्चे टीवी देख रहे थे, सुभाष की पत्नी दरबाजे पर उसका इंतजार कर रही थी। अचानक खबर आयी कि रामबाग पुलिया के पास क्षतिग्रस्त सड़क पर सुभाष को किसी वाहन ने रौंद दिया है। एक पल में सारी खुशियां तबाह हो गयीं। सुभाष की पत्नी जब-जब बेहोशी से बाहर आती है, उसकी बेसुध आंखें सुभाष को खोजने लगती हैं। रोते-रोते वो एक ही बात कह रही है, ‘‘दस मिनट में आने की बात कही थी। कोई ऐसे कैसे जा सकता था।’’ सुभाष के भाई ने जब शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय से पूछा, ‘‘ मेरे भाई की मौत का जिम्मेदार कौन है?’’ तो वो अपना आपा खो बैठे। खिन्न शिक्षा मंत्री शमशान घाट से नाराज होकर चले गये। शिक्षा मंत्री के मीडिया को दिये बयान की भी आलोचना हो रही है। पूरी तरह से क्षतिग्रस्त और जर्जर मटकोटा- दिनेशपुर -गदरपुर मार्ग हत्यारी सड़क बन चुकी है। बार-बार आन्दोलन के बाद भी शासन-प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है। आलम यह है कि पिछले दस माह में करीब एक दर्जन से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। बताते चलें कि 2014 में मटकोटा -गदरपुर मार्ग के निर्माण के लिए जबर्दस्त आन्दोलन चला था। दो साल लगातार आन्दोलन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दिनेशपुर आये और उन्होंने जल्द सड़क बनाने की घोषणा की। 2016 में 75 करोड़ की लागत से सड़क का निर्माण शुरू हुआ। लगभग एक वर्ष में 15 किमी सड़क बनकर तैयार हुई। लेकिन निर्माण में जबर्दस्त धांधली और भ्रष्टाचार के चलते गुणवत्ता नहीं थी। लिहाजा 2018 में ही सड़क जगह-जगह से टूटने लगी। 2019 में तो पूरी सड़क गîóों में तब्दील हो गयी। दुर्भाग्य 75 करोड़ की लागत से बनी सड़क 75 सप्ताह भी ठीक से नहीं चली। फिर शुरू हुआ सड़क हादसों का दौर। पिछले दस माह में एक दर्जन से ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। सैकड़ों घायल हुए। जान-माल की हानि जारी है, लेकिन शासन-प्रशासन की आंखें बंद हैं। सड़क के पुनर्निर्माण और भ्रष्टाचार की जांच को लेकर भी आन्दोलन हुआ, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। चन्दननगर निवासी सुभाष समझदार(37) दिनेशपुर में एक खाद की दुकान में काम करता था। सोमवार को रात करीब सात बजे सुभाष अपने घर जा रहा था। रामबाग पुलिया के पास सड़क में भयंकर गîóा है। पीछे से तेज गति से आ रहे बड़े वाहन ने सुभाष की मोटर साइकिल को टक्कर मार दी। सुभाष टायर के नीचे आ गया। उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। सुभाष गरीब परिवार से है। घर पर तीन बेटियां और पत्नी है। बड़ी बेटी अभी आठ साल की है। सुभाष परिवार में अकेला कमाने वाला था। सुभाष की मौत के बाद मटकोटा- गदर पुर मार्ग एक बार फिर सुिखर्यों में है। बता दें कि लगभग छः माह पहले भी सड़क के पुनर्निर्माण और भ्रष्टाचार की जांच को लेकर आन्दोलन हुआ था। तब शिक्षा मंत्री ने मीडिया को कहा था कि तत्काल मरम्मत के लिए 65 लाख पास हो गये हैं और जांच भी करायी जाएगी। लेकिन छः माह बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है। इस बीच सुभाष की मौत से पहले पलाश मण्डल, बंटी सिंह, विक्की राय, शैलेन्द्र आदि काल के गाल में समा चुके हैं। मंगवार को जब सड़क के बावत पत्रकारों ने शिक्षा मंत्री से सवाल किये तो उन्होंने कहा, ‘‘भगवान भी सारी समस्या हल नहीं कर सकता। बजट नहीं है, जिस कारण काम नहीं हो पा रहा है। 25 साल में रहे जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया होता, तो ये हालात नहीं होते।’’ उनके बयान की नगर में आलोचना हो रही है। सवाल उठता है कि राज्य को बने अभी 19 साल हुए हैं और पिछले दो बार से अरविन्द पाण्डेय इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो जिम्मेदारी किसकी है? मंगलवार शाम शमशान घाट सांत्वना देने पहुंचे शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय को मृतक सुभाष के भाई के सवाल का सामना करना पड़ा, जिससे श्री पाण्डेय खिन्न होकर जल्द ही चले गये। उनके जबाव से मौजूद लोगों में आक्रोश है। सुभाष के भाई का कहना है कि बदहाल सड़क ने उसके भाई की जिन्दगी छीनी है। जिसके लिए विधायक, मंत्री, शासन-प्रशासन ही जिम्मेदार हैं। इधर स्थानीय लोगों में भी सड़क को लेकर भयंकर नाराजगी है। सड़क निर्माण संघर्ष समिति फिर से आन्दोलन के लिए कमर कस रही है।

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