जब दोषी थे तो खाते में क्यों डाली लाखों की रकम
उत्तरांचल दर्पण ब्यूरो
रूद्रपुर। किच्छा के नजीमाबाद गांव में लाखों के गबन का मामला सामने आया है। नजीमाबाद के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी रहे सुमित ने किच्छा कोतवाली में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि ग्राम प्रधान सुरजीत ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक के खाते से 6 लाख 96 हजार रूपये की रकम निकाल ली। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के इन आरोपों ने फिर एक बार विकासखंड व स्वजल विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही को उजागर कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि लगभग 7 माह पूर्व जिलाधिकारी द्वारा गठित की गई संयुक्त जांच समिति ने यह बता दिया था कि नजीमाबाद में शौंचालयों के लिये जारी की गई धनराशि में बंदरबांट की गई है। यहीं नहीं समिति ने ग्राम प्रधान के साथ साथ ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, रोजगार सेवक व कनिष्ठ अभियंता को दोषी बताया था। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब जांच समिति पहले ही ग्राम प्रधान को दोषी मान रही थी तो ग्राम निधि के खाते में इतनी बड़ी रकम क्यों डाली गई। यह मामला उजागर होने पर कई और अधिकारी व कर्मचारी जांच के दायरे में आ गये है। बता दें कि लगभग 7 माह पूर्व जिलाधिकारी ने नजीमाबाद गांव में लाखों की बंदरबांट की शिकायत के चलते एक संयुक्त जांच समिति का गठन किया था। जिलाधिकारी द्वारा गठित की गई इस संयुक्त जांच समिति ने ग्राम प्रधान सहित अन्य को दोषी माना था। डीएम की ओर से जारी नोटिस में पूछा गया था कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 138 त्रिस्तरीय पंचायत के पदाधिकारियों को उनके पद से पृथक किये जाने के प्राविधानों के अधीन ग्राम प्रधान को उसके पद से क्यों न हटा दिया जाये। जिसके बाद 28 दिसंबर 2018 को जारी नोटिस मिलने के बाद 15 दिन के भीतर साक्ष्यों पर आधारित जवाब न मिलने पर ग्राम प्रधान को उसके पद से हटाने की चेतावनी के निर्देश तक जारी कर दिये गये थे। अब बड़ा सवाल यह है कि जब नजीमाबाद ग्राम पंचायत में इतना बड़ा गड़बड़ घोटाला सामने आ गया था तो शौंचालयों के भुगतान को लेकर इतनी बड़ी धनराशि ग्राम पंचायत के खाते में क्यों डाली गई। यहां बता दें कि डीएम द्वारा गठित की गई समिति के आरोपी प्रधान उक्त ग्राम पंचायत में शामिल खातेदार था। इस पूरे मामले की अगर जमीनी हकीकत सामने आयी तो कई औरों की गरदन भी फंस सकती है। इधर जानकारी में आया है कि मौजूदा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी विनोद गिरी हैं जबकि आरोप लगाने वाले ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सुमित हैं। बतादें कि वर्तमान में सुमित नजीमाबाद गांव के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी नहीं हैं। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सुमित के अनुसार आरोपी ग्राम प्रधान ने 8 अलग-अलग चेकों पर फर्जी हस्ताक्षर कर 6लाख 96 हजार की धनराशि निकाल ली है। सुमित ने बताया कि उन्होंने बैंक से चेकों की प्रति हासिल कर ली है जिसमें हस्ताक्षर भिन्न हैं। उन्होनें कहा कि वह स्वयं इसके पक्ष में है कि हस्ताक्षरों की जांच फार्मोसिक लैब से करायी जाये तो हकीकत सामने आ जायेगी। हैरानी की बात यह है कि 8 अलग-अलग चेकों पर फर्जी हस्ताक्षर होने की बात कही जा रही है। ऐसे में बैंक कर्मियों की भूमिका को भी संदिग्ध माना जा रहा है। फिलहाल मामला किच्छा पुलिस के पास जा पहुंचा है। किन्तु दिसम्बर 2018 में सरकारी धन को ठिकाने लगाने के आरोपी ग्राम प्रधान के ग्राम निधि खाते में एक बार फिर लाखों की रकम पहुंचना अपने आप में संदिग्ध माना जा रहा है।