कैंची धाम पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
भवाली(उद संवाददाता)। कैंची धाम में आज श्रद्धा का भारी सैलाब उमड़ा। देश ही नहीं, विदेशों से भी बाबा नीम करौली के भक्त शुक्रवार शाम से ही जुटना शुरू हो गए। शनिवार भोर से ही बाबा नीम करौली महाराज के जयकारों से कैंची धाम गुंजायमान हो उठा। शनिवार सुबह लंबी कतारें लग गईं। अनुमान के अनुसार दोपहर तक बजे तक करीब पचास हजार से अधिक भक्तों ने बाबा के दर्शन कर लिए थे। शुक्रवार को आदि कैलाश यात्रा को रवाना हुए 31 सदस्यीय दल ने भी कुछ देर मंदिर में बिताया और बाबा के दरबार में शीश नवाया। विशेष पूजा अर्चना के बाद दल अगले पड़ाव की ओर रवाना हो गया। मेले में पिछले वर्षो की तुलना में ज्यादा अनुयायायी पहुंचे हैं। सुरक्षा को देखते हुए मुख्य गेट के सामने नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। चप्पे-चप्पे पर फोर्स भी तैनात की गयी है। नीम करौली बाबा की गणना 21वीं सदी के महान संतों में की जाती है। वह पूरे विश्व को एक परिवार मानते थे। उनका संदेश था- ईश्वर एक है। सबसे प्रेम करो, सबकी सेवा करो, सबका ेखिलाओ। यही भगवान को पाने की कुंजी है। बाबा जन्म से ही संत थे। जहां भी जाते यज्ञ व भंडारा कराते। यज्ञ देवताओं के लिए व भंडारा सामान्य मनुष्यों के लिए। उन्होंने तमाम हनुमान मंदिर स्थापित कराए। निर्वाण से पूर्व दो आश्रम भी बनवाए। पहला आश्रम कैंची (नैनीताल) तो दूसरा वृंदावन (मथुरा) में। खास बात कि बाबा ने महासमाधि के लिए वृंदावन को ही चुना। नौ सितंबर 1973 को नीम करौली महाराज ने कैंची से आगरा के लिए प्रस्थान किया। यह उनकी कैंची की अंतिम यात्रा थी। वह इसका संकेत भी दे गए। 10 सितंबर को आगरा से वृंदावन रवाना हुए, जहां 11 सितंबर को महा समाधि ली। बाबा के सारथी रहे सरदार मान सिंह हर वर्ष नवाते हैं शीश बाबा नीम करौली महाराज के अनन्य अनुयायियों में से एक हैं सरदार मान सिंह नागपाल। उन्हें बाबा का सारथी भी कहा जाता था। मान सिंह 78 बसंत पार कर चुके हैं, मगर कैंची धाम के मेले में पहुंच बाबा का ध्यान लगाने जरूर पहुंचते हैं। कैंची धाम मेले में शांति व्यवस्था और यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस महकमा आज पूरी तरह एलर्ट रहा। इसके लिए पर्वतीय मार्गो पर वाहनों के आवागमन के रूट में तब्दीली भी की गयी। मेले के चलते आज हल्द्वानी से अल्मोड़ा- पिथौरागढ़ को जाने वाले वाहन सुबह पांच बजे से खुटानी मोड़-पदमपुरी- पोखराड घ्-कश्यालेख- शीतला- मौंना-ल्वेशाल होते हुए क्वारब से अल्मोड़ा को निकाला गया। वहीं नैनीताल से अल्मोड़ा- पिथौरागढ़ जाने वाले भारी वाहन भवाली से खुटानी बैंड होते हुए क्वारब से आगे रवाना हुए। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से आने वाले वाहन सुबह पांच बजे से क्वारब से ल्वेशाल मौंना-शीतला-पदमपुरी होते हुए खुटानी बैंड से भीमताल की ओर रवाना हुए। रानीखेत से आने वाले भारी वाहन खैरना से क्वारब होते हुए ल्वेशाल मौंना, पदमपुरी से खुटानी बैंड आकर भीमताल की गये। जबकि रानीखेत से हल्द्वानी आने-जाने वाले वाहनों को भवाली से खैरना तक दोनों ओर कॉनवाई में एकल मार्ग पर भेजा गया। नैनीताल से आने वाले दोपहिया वाहनों को मशरूम केंद्र निकट पेट्रोल पंप भवाली पर पार्क किया गया। इस स्थान से वन विश्रामगृह तक शटल सेवा संचालित की गयी। इसके अलावा भीमताल से आने वाले दोपहिया वाहन नगर पालिका ग्राउंड भवाली में पार्क किये गये। वन निगम टाल भवाली से शटल सेवा चलाई गयी। खैरना से आने वाले दोपहिया चालक पेट्रोल पंप खैरना के पास पार्क किये गये। भवाली से कैंची की ओर जाने वाले प्राइवेट वाहन हरतपा रोड पर पार्क किये गये। वहा से शटल सेवा से चालक मुख्य मार्ग तक पहुंचे।