फिल्म केदारनाथ के खिलाफ याचिका खारिज, कल होगी रिलीज

हाईकोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार, हिंदू संगठनों व तीर्थ पुरोहितों के दावों को झटका, सरकार ने बनायी जांच कमेटी

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने अभिनेता सुशांत राजपूत व सारा अली ऽान की बहुचर्चित फिल्म केदारनाथ पर रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही याचिका ऽारिज कर दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फिल्म के िऽलाफ डीएम रुद्रप्रयाग को प्रत्यावेदन देने को कहा है। इधर हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब कल सात दिसम्बर को फिल्म केदारनाथ देश में रिलीज होगी। उत्तराखंड निवासी स्वामी दर्शन भारती की ओर से याचिका पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की एकलपीठ पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि यह फिल्म लव जिहाद को बढ़ावा देती है। फिल्म की पटकथा में केदारनाथ त्रसदी के साथ हिंदू आस्था व मान्यता पर चोट की गई है। बता दें कि फिल्म को लेकर हिंदू संगठनों व तीर्थ पुरोहितों की आपत्ति को देऽते हुए राज्य सरकार ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है। जिसमें गृह सचिव नितेश कुमार झा, सचिव पर्यटन व सूचना दिलीप जावलकर, डीजीपी अनिल रतूड़ी सदस्य हैं । समिति केदारनाथ फिल्म को लेकर की जा रही आपत्तियों का परीक्षण कर रिपोर्ट देगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा फिल्म के प्रदर्शन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जाएगा। कोर्ट के फैसले से हिंदू संगठनों व तीर्थ पुरोहितों की कोशिशों को झटका लगा है। गौर हो कि वर्ष 2013 में केदारनाथ त्रसदी को लेकर बॉलीवुड अभिनेता सुशांत राजपूत व सारा अली ऽान की फिल्म केदानाथ कल 7 दिसम्बर को रिलीज होने वाली है। इस फिल्म के ट्रेलर में दूसरे समुदाय के प्रतीकों का दृश्य समेत किसिंग सीन भी दर्शाये गये है जिसका विरोध हिंदू संगठनों के साथ ही पहाड़ के लोग भी कर रहे है। चारधाम से जुड़ी एवं धार्मिक मान्याताओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए इस फिल्म को रिलीज करने का भारी विरोध प्रदेश में हो रहा है। हांलाकि राज्य सरकार अभी तक प्रदेश में फिल्म को रिलीज होने से पहले सभी पक्षों की राय लेकर अंतिम निर्णय लेने की बात कह रही है। इधर फिल्म में तथा कथित लव जेहाद के संदेश का भी विरोध हिंदू संगठन के लोग कर रहे है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीठ ने निर्देश दिये हैं कि लव जेहाद के मामले को राज्य सरकार अपने स्तर से जांच कराये। यह याचिका स्वामी दर्शन भारती व हरिकिशन किमोठी ने दाखिल की थी। याचिका में दावा किया है कि इस फिल्म से पहाड़ समेत हिदुओं की आस्था और विास के साथ भद्दा मजाक किया गया है। फिल्म में केदारनाथ में सैकड़ों वर्षो से मुस्लिम समाज के लोगों के रहने का जिक्र किया गया है। कई दृश्य में तो मन्दिर में नमाज भी पढ़ रहे हैं, जबकि वहां एक भी मुस्लिम या इस्लामिक परिवार नहीं रहता है। फि़ल्म निर्माता ने केदारनाथ की आपदा को लव जिहाद से जोड़कर आस्था और विश्वास पर कुठाराघात किया है। फि़ल्म में लड़का मुस्लिम और लड़की हिन्दू है और इनकी शादी को लेकर लड़की का परिवार कहता है कि अगर प्रलय भी आ जाएगी तो शादी इससे नहीं होगी। इस पर लड़की मन्दिर में जाकर प्रलय आने की बात कहती है। इसको निर्माता ने 2013 की आपदा से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि हीरो कहता है कि हमारे पूर्वज सदियों से केदारनाथ में रहते आ रहे हैं, जबकि वसुतुतः ऐसा नहीं हैं । धार्मिक एवं आस्था से जुड़े स्थानों को फिल्म व्यापार का केंद्र नहीं बनाया जा सकता है।

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