कांग्रेस में आपसी फूट: लोकसभा के चुनाव में बिगड़ सकते हैं हालात
निकाय चुनाव के बाद तीन गुटों में घमासान,तीन गुटों में घमासान,गोपनीय रिपोर्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत और मेयर के दावेदारों पर प्रचार नहीं करने का आरोप लगाया
देहरादून। निकाय चुनाव मंे भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का लचर प्रदर्शन अब पार्टी के दिग्गजों को आपसी फूट में डालने का काम कर रहा हैं। जबकि अपने की दल के नेताओं पर तरह तरह से के आरोप लगाये जा रहे है। निकाय चुनाव में इस बार भले ही कांग्रेस ने दो मेयर की सीटें अपनी झोली में झालने में कामयाबी हासिल ही हो मगर हल्द्वानी की सीट को भी जीत के करीब लाकर यहां की क्षेत्रीय विधायक कांग्रेस नेत्री डा. इंदिरा को हार का सामना करना पड़ा है। इसी सीट पर पार्टी के प्रत्याशी की हार को लेकर प्रदेश नेतृत्व,पूर्व सीएम हरीश रावत,गोविंद सिंह कुंजवाल,पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के सुर भी अलग अलग हो गये है। हांलाकि डा. इंदिरा और प्रीतम गुट पूरी तरह से पुराने दिग्गजों पर हावी दिख रहा है। इंदिरा की माने तो उनके खुद हरदा को बुलाने के बावजूद सुमित के लिये प्रचार करने नहीं आना और फिर वरिष्ठ नेताओं के साथ ही मेयर की दावेदारी करने वाले कांग्रेस नेताओं का प्रचार से दूरी सबसे बड़ा कारण है। वहीं रूद्रपुर में जनसभा करने के बावजूद अचानक पीसीसी का हरदा को कोटद्वार भेजना भी आशंकित करता है। गौर हो कि वर्तमान में कांग्रेस के भी गुटबाजी उनी हावी तो नहीं है मगर हरदा के दिल्ली जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस में नये गुट भी उभरने लगे है। निकाय चुनाव के बाद हरीश और इंदिरा के बीच वाॅक युद्ध के पीछे भी तीरसे गुट का रोल माना जा रहा है। हांलाकि इंदिरा ने अपने बेटे की हार के लिये हरदा को जिम्मेदार बताया है वहीं वह खुद सुमित का नाम फाइनल होने के एक दिन बाद ही हरीश रावत से मुलाकात की थी औश्र चुनाव पर चर्चा भी की थी। लेकिन अब इंदिरा के गढ़ में मेयर पद पर बड़ी हार को लेकर एक बार फिर पार्टी में अनदरूनी विरोध के स्वर तेज हो गये है। अगर जल्द इस विरोध का हल नहीं निकला तो आगामी लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के हालात विकट भी हो सकत ेहै। हरीश रावत के करीबी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल का कहना है कि कुप्रबंधन और बड़ी चुनावी सभाएं न होने से कांग्रेस को वह जीत नहीं मिली, जो मिलनी चाहिए थी। अब प्रदेश संगठन को हार पर गहरा चिंतन करना चाहिए। इस संबंध में हरीश रावत का कहना है कि इंदिरा ने उन्हें फोन किया था। उन्होंने हल्द्वानी में प्रचार के लिए अपनी सहमति भी दे दी थी, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने उनका चुनाव कार्यक्रम बदलकर रुद्रपुर के बाद कोटद्वार का कर दिया। पीसीसी का आदेश मानते हुए मैं कोटद्वार चला गया। हरीश रावत का यह भी कहना है कि हल्द्वानी में प्रचार न कर पाने का उन्हें मलाल है, क्योंकि वहां कांग्रेस प्रत्याशी काफी कम मतों से हारा, लेकिन चुनाव में किस नेता का उपयोग कहां करना है, यह काम पीसीसी का है। थराली उपचुनाव में मैने घाट में बड़ी सभा की तो लोगों ने उस सभा को ही हार का कारण बता दिया था। निकाय के परिणाम आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत पर निशाना साध चुके हैं। प्रीतम यहां तक कह चुके हैं कि पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव होने के नाते चुनाव प्रचार करने की एक स्वाभाविक जिम्मेदारी उनकी भी बनती थी। प्रीतम पहले ही बोल चुके हैं कि रावत के असम दौरे पर व्यस्त होने के चलते बात नहीं हो पाई, लेकिन जब वे दिल्ली लौटे तो दो बार फोन पर बात हुई। हरीश रावत का चुनाव प्रचार में अधिक उपयोग न करने के आरोपों के बीच कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी प्रीतम सिंह पर उनकी अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वाट्सएप के माध्यम से हरीश रावत की ओर से पार्टी अध्यक्ष को कह दिया था कि वे 8 से 17 नवम्बर तक चुनाव प्रचार के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन प्रीतम सिंह की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो वे चुप रहे। खुद किशोर भी उम्मीदवारों के आग्रह पर ही प्रचार के लिए गये।
बेटे ही हार से फूटा इंदिरा का आक्रोश,हाईकमान से शिकायत
देहरादून/हल्द्वानी। प्रदेश की दूसरी सबसे हाॅट सीट हल्द्वानी नगर निगम से कांग्रेस की कद्दावर नेत्री व वर्तमान में विधायक ‘नेता प्रतिपक्ष’ डा. इंदिरा हृद्येश अपने पुत्र सुमित हृद्येश की हार से आका्रेशित हैं। बेटे की हार से बौखलायी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने पूर्व सीएम हरीश रावत के समर्थकों पर भितरघात का आरोप लगाते हुए एक बार फिर से कांग्रेस के भीतर हलचल मचा दी है। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत गुट के कई नेताओं ने डा. इंदिरा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए जहां प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेदार ठहाराया है। पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने हरीश रावत को तवज्जो नहीं देने का आरोप भीमढ़ा है। इधर इंदिरा ने हल्द्वानी नगर निगम में मेयर का चुनाव लड़ रहे अपने बेटे सुमित हृदयेश की हार के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को भेजी है। सूत्रों का कहना है कि इस गोपनीय रिपोर्ट में नेता प्रतिपक्ष ने उन लोगों को भी निशाने पर लिया है, जो मेयर के टिकट के दावेदार थे। ऐसे लोगों पर चुनाव से किनारा करने के आरोप भी इस रिपोर्ट में लगाये गये हैं। रिपोर्ट के जरिये इंदिरा ने पूर्व सीएम हरीश रावत व उनके समर्थकों पर भी निशाना साधा है। हरीश रावत पर प्रचार के लिए हल्द्वानी नहीं आने का आरोप लगाया गया है जबकि इंदिरा ने स्वयं रावत से हल्द्वानी आने का अनुरोध किया था। बताया जा रहा है कि इंदिरा , हरीश रावत के न आने को भी बेटे की हार का बड़ा कारण मान रही है। रिपोर्ट के संबंध में इंदिरा का कहना है कि जिला संगठन की ओर से हार की समीक्षा रिपोर्ट भेज दी गई है। रिपोर्ट में हार को लेकर विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। उनका कहना है कि कार्यवाही करने का काम संगठन का है। हल्द्वानी में चुनाव प्रचार के लिए हरीश रावत के फोन करके भी न आने पर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ने कहा कि वे वरिष्ठ नेता हैं और रुद्रपुर तक चुनाव प्रचार के लिए आये, लेकिन हल्द्वानी नहीं आए। जबकि उन्हें फोन करके हल्द्वानी आने का आग्रह किया गया था। हल्द्वानी में सुमित की हार के लिए इंदिरा ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को भी एक बड़ा कारण बताया और कहा कि सत्ता के इशारे पर मतदाता सूची में एक सुनियोजित साजिश के तहत गड़बड़ी की गई वषों से मतदान कर रहे लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए। उन्होंने पार्टी के पार्षद प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह न देने को भी बड़ी भूल बताया और इस बात को स्वीकार किया कि चुनाव चिन्ह न मिलने से पार्टी के पार्षद पद के प्रत्याशियों ने केवल अपने लिए ही वोट मांगे।
@Narendra Baghari (Narda)-http://www.uttaranchaldarpan.in/