कांग्रेस में “पृथ्वी” की बगावत बड़े “भुकंप” का संकेत तो नहीं?

किशोर गुट के चैहान की अचानक नाराजगी से कांग्रेस बेचैन,बागियों की एक लिस्ट होगी तैयार

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देहरादून। निकाय चुनावी की सियासी तपिश में कांग्रेस पार्टी खुद अपनों की बगावत से बेहाल दिख रही है। अब तक कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़ धुर विरोधी भाजपा के पाले में ऐंट्री तक कर दी है। हालांकि चुनावी घमाासान के बीच भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल एक दूसरे के नाराज कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टियों में शामिल करने की कोशिशों में लगे हैं। सियासत का केंद्र माने जाने वाले राजधानी देहरादून में कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पूर्व महानगर अध्यक्ष एवं मेयर पद के दावेदार बन चुके कद्दावर नेता पृथ्वीपाल सिंह चैहान ने पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। चैहान के अचानक इस कदम से कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा भी हैरान रह गई। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में जुटी कांग्रेस कभी सफलता हासिल करेगी भी या नहीं। कई वरिष्ठ नेताओं के साथ ही करीब 36 नेताओं को पार्टी से बाहर कर कांग्रेस भले ही अपनी छवि को चमकाने का प्रयास कर रही हो मगर कुछ बड़े पदाधिकारियों के करीबियों की बगावत कहीं न कही पार्टी में बड़े भूकंप का संकेत भी दिखा रहा है। कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष पृथ्वीपाल सिंह चैहान के अचानक पार्टी छोड़ने से एक बार फिर कांग्रेस में गुटबाजी के साफ संकेत देखे जा सकते हैं। हालांकि अब जब चैहान पार्टी छोेड़ भाजपा में भी शामिल हो गये मगर इसकी भनक तक पार्टी के बड़े नेताओं को भी नहीं लगी। आनन फानन में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समक्ष पृथ्वीपाल को भाजपा के दिग्गजों ने सदस्या तक दिला दी है। हालांकि चैहान को बहुत जनाधार वाला नेता तो नहीं माना जाता, लेकिन वे पिछले तीन साल कांग्रेस के देहरादून महानगर अध्यक्ष रहे। उनके साथ जाने वालों में कई ऐसे भी हैं, जो वर्ग विशेष में सक्रिय राजनीति करते रहे हैं। ऐसे में निकाय चुनाव की इस तपिश में भाजपा ने कांग्रेस को एक बड़ा झटका तो दे ही दिया है। लेकिन चैहान चूंकि महानगर के अध्यक्ष रह चुके हैं, इसलिए कांग्रेस को उनका जाना अखर रहा है। चैहान कांग्रेस में रहते हुए पिछले विधानसभा चुनावों में रायपुर से टिकट भी मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट न देकर प्रभुलाल बहुगुणा को टिकट दिया गया। इसके साथ ही वे वर्तमान में देहरादून के मेयर के लिए भी दावेदारी कर रहे थे। टिकट तय करने के दौरान जब वर्तमान प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल व सूर्यकांत धस्माना ने चुनाव लड़ने से अनिच्छा जतायी तो चैहान प्रमुख दावेदार के रूप में उभरे थे। कांग्रेस ने अंत में दिनेश अग्रवाल को मनाने में कामयाबी पायी। इसके बाद चैहान खुद ही बैकफुट पर आ गये। चैहान को पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का करीबी माना जाता है। वर्तमान अध्यक्ष प्रीतम सिंह द्वारा जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ ही विभिन्न समितियों के गठन में चैहान को काफी हद तक नाउम्मीद होना पड़ा। हालांकि अभी पीसीसी के पदाधिकारियों का चयन अंतिम चरण में है और संभवतया निकाय चुनाव के बाद इसकी घोषणा भी हो जाएगी। ऐन चुनावी बेला में चैहान का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका कहा जा सकता है। चैहान के जाने की टीस शुक्रवार को कांग्रेस भवन में भी दिखी। हालांकि कांग्रेस नेता इसे किसी तरह झटका मानने को तैयार नहीं हैं, लेकिन ऐन चुनावी समर के दौरान ऐसे होने से सकते में हैं। मगर माना जा रहा है कि चैहान को पीसीसी में जगह मिलने की उम्मीद नहीं लग रही थी। महानगर में चैहान के साथ काम करने वाली टीम का भी कुछ ऐसा ही हाल है। कुछ लोग खुद को दायें-बायें दूसरे नेताओं के साथ जोड़ कर सक्रियता दिखा रहे हैं, लेकिन टीम के कई अन्य सदस्यों को कोई जगह नहीं मिल पायी है। ऐसे में चैहान का भाजपा में जाना कांग्रेस के भीतर चल रही नाराजगी का संकेत भी दे रहा है।
कोई बड़ा झटका नहीं थे चैहान: सूर्यकांत
देहरादून। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा है कि किसी साथी का जाना दुखद होता है, लेकिन चैहान पिछले काफी समय से सक्रिय भी नहीं थे। उन्होंने कहा कि अपनों को ठुकराकर गैरों का दामन थामा है तो यह तो वही जानें। चैहान के भाजपा में जाने के बाद पत्रकारों को प्रतिक्रिया देते हुए धस्माना ने कहा कि पार्टी ने चैहान को पूरा सम्मान दिया। तीन साल महानगर अध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी दी। अब उनकी नाराजगी क्यों रही, ये वही बेहतर बता सकते हैं। बहरहाल उन्होंने चैहान के जाने को कांग्रेस के लिए किसी भी तरह के झटके से इनकार किया। उन्होंने बागियों को बाहर करने के सवाल पर कहा कि अनुशासन बहुत जरूरी है। जिला इकाइयों को निर्देश दिया गया है कि जो लोग पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। धस्माना ने बताया कि बागियों की एक सूची और जल्द जारी की जाएगी, जिन्हें पार्टी से बाहर किया जाएगा। इसके साथ ही पार्टी भितरघातियों पर भी नजर रखे हुए है। उनके खिलाफ भी सख्त एक्शन लिया जाएगा।

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