कांग्रेस के गले में…‘कौशिक ने डाली’ नजूल की फांस!
निकाय चुनाव में फिर उछला नजूल का मुद्दा,विधायक ठुकराल फिर दांव पर लगायी अपनी प्रतिष्ठा, कैबिनेट मंत्री के आरोपों पर कांग्रेस ने उठाये सवाल
हजारों परिवारों को उजाड़ने के खिलाफ है सरकार: कौशिक
रूद्रपुर। निकाय चुनाव में एकबार फिर नजूल नीति का मुद्दा गरमा गया है। वर्षों से उपक्षित यह मुद्दा हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है लेकिन अब तक इस संवेदनशील समस्या का हल नहीं निकाला गया। इसके बावजूद नजूल नीति के मुद्दे पर सियासी खेल जारी है। धनतेरस पर निकाय चुनाव में प्रचार के लिये पहुंचे जिले के प्रभारी कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने रूद्रपुर में भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में आयोजित जनसभा में खुले मंच से क्षेत्र का सबसे संवेदनशील मुद्दे जिसमें करीब 14 हजार से अधिक परिवारों को उजाड़ने का आदेश आया है को लेकर बड़ा आश्वासन दे दिया है। उन्होंने सरकार की मंशा को साफ करते हुए कहा कि भाजपा सरकार जनपद में नजूल भूमि पर काबिज हजारों परिवारों को उजाड़ने की बजाये बचाने के लिये तत्पर है। समझा जा रहा है कि सरकार द्वारा अब भले ही नजूल नीति के लिये कानून बनाने से जहां सभी प्रभावितों को फौरी राहत मिल जायेगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी सरकारी भूमि पर मालिकाना हक दिलाने के लिये कौशिक ने पूरे मामले को सुलझा लेने का वायदा कर दिया है। अगर सरकार इस वायदे को चुनाव के बाद पूरा कर भी लेती है तो आगामी लोकसभा के चुनाव में निश्चित ही उसे फायदा भी होगा। मगर सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि अब तक इस मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच शीत युद्ध थमा नहीं है। कौशिक ने कांग्रेस पर ऐसा पलटवार किया है जिसका जवाब शायद ही वह दे पाये। मगर जिस प्रकार निकाय चुनाव के मौके पर प्रभारी मंत्री के द्वारा खुद उन प्रभावित परिवारों को किसी भी हाल में उजाड़ने से बचाने का वादा किया है। इसके बावजूद अगर निकाय चुनाव के बाद सरकार मालिकाना कह दिलाने मे कामयाब हुई तो उससे कही न ही कांग्रेस को इस मुद्दे पर बैकफुट पर आना पड़ सकता है। उललेखनीय हैनजूल भूमि पर बसे हजारों परिवारों को कब्जामुक्त कराने का आदेश हाईकोर्ट से आ चुका है लेकिन अब तक हाईकोर्ट के आदेशों का आंकल भी किया गया है जबकि जिला प्रशासन तो नोटिस तक भेजेने की तैयारी में है। इस गहमागहमी में न तो सरकार हरकत में आयी और न विपक्ष ने कोर्ट में अपील कर पायी। अब जब निकाय चुनाव शुरू हो चुके हैं तभी सियासी दलों को यह मुद्ृदा भी याद आ ही गया। गौर हो कि पूर्व में हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मुद्दे पर सुनवाई की मांग की है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने नये आदेश में यथास्थिति बनाये रखने के साथ ही सरकार को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा है। इधर प्रभारी कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक द्वारा चुनावी जनसभा में मालिकाना हक दिलाने का भरोसा देने पर कांग्रेस भी बेचैन होगई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़ ने उनके दावों पर बड़ा पलटवार करते हुए कहा कि अब तक भाजपा सरकार नजूल नीति को लेकर आनाकानी करती रही है। जबकि ठीक चुनाव के वक्त वह लोगों के बीच आकर फिर गुमराह करने का काम कर रहे है। बेहड़ ने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को लेकर कौशिक झूठ बोल रहे है कि उनकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे लिया है। जबकि प्रदेश की भाजपा सरकार अब तक मालिकाना कह दिलाने में नाकाम रही है।
विधायक ठुकराल ने फिर मारा मौके पर चैका
रूद्रपुर। नजूल भूमि पर सभी परिवारों को हर हाल में मालिकाना हक दिलाने का वादा करने वाले क्षेत्रीय विधायक राजकुमार ठुकराल भी इस मुद्दे को लेकर विधानसभा से लेकर सरकार की चौखट तक लगातार संघर्ष करते रहे है। गत दिवस शहरी विकास मंत्री के समक्ष उन्होंने अपनी राजनीतिक शक्ति का एहसास भी करा दिया। अपने विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिये उन्होंने यह भी कह दिया है कि अब तो वह तभी चुनाव लडे़ंगे जब मालिकाना हक मिल जायेगा। लगातार दो बार के भाजपा विधायक ने लोगों को मालिकाना हक दिलाने का वायदा तो किया है मगर अब तक उनकी सरकार कुछ नहीं कर पायी है। यह सर्व विदित है कि पिछले विधानसभाचुनाव में ठुकराल हर मंच से मालिकाना हक दिलाने का वादा करते रहे जिसकी बदौलत वह भारी बहुमत से से विधानसभा पहुचे। हांलाकि यह विधायक ठुकराल का ही दुभाग्य कहा जायेगा कि जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब तो कब्जेदारों को हटाने का आदेश नहीं आया लेकिन अब जब प्रदेश में ही नहीं बल्कि केंद्र में भाजपा की सरकार है तब हाईकोर्ट से उजाड़ने का आदेश आ गया। विधायक भले ही विधासभा से लेकर मुख्यमंत्री तक इस मुद्दे का समय समय पर उठाते रहे हों लेकिन अब तक पह पूरी तरह से असफल ही रहे। अब तक सिर्फ आश्वासन ही दिये गये मगर ठोस नीति बनाने के लिये सरकार अब भी मंथन ही करने में लगी है। इधर सिासी गलियारों में विधायक ठुकराल के इस दावे को लेकर तरह तरह की चर्चाये शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर भी विधायक के नये दावे को लेकर विपक्षी चटकारे ले रहे है। कुछ लोगों का कहना है कि निकाय चुनाव चल रहे हैं और ठुकराल लगे हाथ अगले चुनाव की तैयारी अभी से करने लगे है। रही बात चुनाव नहंी लड़ने की तो उस दावे का क्या हुआ जो नजूल पर किया था। अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर विधायक राजकुमार ठुकराल इस मुद्दे को लेकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब हो जाये है या फिर अगले चुनाव में राजनीतिक वनवास का सामना करते है।
तो अब कांग्रेस के गले पड़ेगी नजूल की माला
रूद्रपुर। शहरी विकास मंत्री द्वारा पहली बार खुले मंच पर नजूल के कब्जेदारों को मालिकानाहक दिलाने के लिये पूरी कोशिश करने का दावा किया गया है। चुनावी माहौल में मदन कौशिक ने इसी मुद्दे पर सरकार को कोसने में जुटी कांग्रेस को घेरने में देर नहीं की। कौशिक ने बड़ा अरोप लगाते हुए कहा कि सिर्फ कांग्रेस सत्ता में आने के लिये सिर्फ सियासी स्टंट करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता जनभावनाओं से खेलने का काम करते हैं,जबकि उनके ऐजेंट गरीबों को उजाड़ने के लिये लगातार कोर्ट जा रहे हैं वहीं सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह कोर्ट में पक्ष नहीं रख पा रही है। उनका कहना था कि मामले में सियासत नहीं होनी चाहिये। इधर कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि नजूल भूमि पर बसे लोगों को नियमित करने के लिये पूर्व में कांग्रेस सरकार ने कल्याणकारी नीति बनायी है जिसे भाजपा की सरकार ने कूड़े में डाल दिया है। अपनी सियासत को चमकाने के लिये ही भाजपा सरकार इस मुद््दे को लटाकाये रखना चाहती है। बहरहाल शहरी विकास मंत्री का यह नया दावा अगर जनता में सहानुभूति बनाने में सफल हो जाता है तो निकाय चुनाव में ही नहीं बल्कि लंबे समय तक कांग्रेस की सियासी जमीन पर भाजपा पूरी तरह से हावी रहेगी।
@ Narendra Baghari (Narda)