वार्ड 2 में आसान नहीं कांग्रेस की डगर
(जगदीश चंद/अमित गुंबर) रूद्रपुर। निकाय चुनाव का शोर अब गली-गली पहुंचने लगा है। प्रत्याशियों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। ट्रांजिट कैम्प क्षेत्र के वार्ड 2 में इस बार कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशी राजेन्द्र निषाद मोनू को भाजपा के बागी गरीब बस्ती आजाद मोर्चा के प्रत्याशी महेन्द्र पाल मौर्य से कड़ी चुनौती मिल रही है। दोनों के बीच मुकाबला कांटे का माना जा रहा है। दोनों ही प्रत्याशी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। 3560 मतदाताओं वाले वार्ड नं-2 में इस बार परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं। पर्चा खारिज होने के बाद भाजपा इस वार्ड में मुकाबले से ही बाहर है। इस वार्ड में ट्रांजिट कैम्प और राजा कालोनी का कुछ हिस्सा और कृष्णा कालोनी, नारायण कालोनी, वर्मा कालोनी नेताजी सुभाषनगर आदि का क्षेत्र आता हैं। पूर्व में इस क्षेत्र से भाजपा नेता दलीप अधिकारी की पत्नी सविता अधिकारी पार्षद रह चुकी हैं जबकि उससे पहले दो बार खुद दलीप अधिकारी यहां से पार्षद रहे हैं। ऐसे में दिलीप अधिकारी की इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस बार भाजपा नेता दलीप अधिकारी ने महेन्द्र पाल मौर्य के लिए इस वार्ड से पार्टी का टिकट मांगा था। जबकि भाजपा के टिकट की दौड़ में मनोज गुप्ता भी शामिल थे। भाजपा महेन्द्र मौर्या का टिकट काटकर मनोज गुप्ता को चुनाव मैदान में उतार दिया। जिसके चलते टिकट वितरण से नाराज महेन्द्र मौर्या ने दिलीप अधिकारी द्वारा बनाये गये नये संगठन गरीब बस्ती आजाद मोर्चा के बैनरतले अपना पर्चा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दाखिल किया। बाद में नामांकन की जांच के दौरान भाजपा प्रत्याशी मनोज गुप्ता का पर्चा खारिज होने पर पार्षद की चुनावी जंग से भाजपा खुद ही बाहर हो गयी। इस इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मोनू और गरीब आजाद मोर्चा के प्रत्याशी महेन्द्र पाल के बीच सीधा मुकाबला है। महेन्द्र पाल मौर्या को दिलीप अधिकारी सहित भाजपा के कई असंतुष्ट नेता दमखम से चुनाव लड़ा रहे हैं। वार्ड में करीब एक दशक से रह रहे की वार्ड में अच्छी पकड़ बतायी जाती है। महेन्द्र पाल मौर्य खुद मेडिकल स्टोर व्यवसायी हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस ने वार्ड से इस बार राजेन्द्र निषाद ‘मोनू’ को मैदान में उतारा है। मोनू इससे पहले वार्ड नंबर एक से पार्षद रह चुके हैं। लेकिन इस बार वह अपने क्षेत्र को छोड़कर दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं। जिसके चलते अपनी पार्षदी बचाने के लिए उनके सामने दोहरी चुनौती है। मोनू के लिए प्लस प्वाइंट यह है कि वह खुद कश्यप निषाद समाज से हैं और वार्ड में उनकी बिरादरी के वोटों की संख्या करीब 900 है। ऐसे में मोनू को कश्यप निषाद समाज के वोटों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष में होने की उम्मीद है। वहीं दूसरी तरफ मोनू को पिछले कार्यकाल में किये गये विकास कार्यों की बदौलत भी जीत का उम्मीद है। मोनू मानते हैं कि भले ही वह दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन पिछले पार्षद के कार्यकाल में उन्होंने वार्ड एक में विकास की नई इबादत लिखी है। जिसे देखकर जनता उन्हें अपना आशीर्वाद देगी। मोनू का कहना है कि पांच वर्ष में उनके वार्ड में सबसे अधिक काम हुए। 2 पार्को का सौंदर्यीकरण कराने के साथ ही वार्ड की 90 प्रतिशत सड़कें वह बनवा चुके हैं। इसका पूरा लाभ मोनू को इस चुनाव में मिलने की उम्मीद है। फिलहाल दोनों प्रत्याशी वोटों के गणित में उलझे हैं। फिलहाल जो सियासी समीकरण सामने आये हैं उनमें दोनों के बीच मुकाबला कड़ा होने के आसार हैं।